संविधान संशोधन- 70वाँ
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संविधान संशोधन- 70वाँ
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विवरण | 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है। |
संविधान लागू होने की तिथि | 26 जनवरी, 1950 |
70वाँ संशोधन | 1992 |
संबंधित लेख | संविधान सभा |
अन्य जानकारी | 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है। |
भारत का संविधान (70वाँ संशोधन) अधिनियम, 1992
- भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
- संविधान (69वां संशोधन) विधेयक, 1991 और राष्ट्रीय राजधानी सीमा क्षेत्र सरकार, विधेयक 1991 पर संसद के दोनों सदनों में विचार प्रकट करते समय केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों को भी संविधान के अनुच्छेद 54 के अंतर्गत राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचनमंडल में शामिल करने के पक्ष में विचार प्रकट किए गए।
- इस समय राष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित अनुच्छेद 54 में निर्वाचनमंडल के लिए केवल निर्वाचित संसद सदस्यों और राज्यों के विधानसभा सदस्यों (इसमें केंद्रशासित प्रदेश शामिल नहीं है) को शामिल करने का प्रावधान है।
- इसी प्रकार अनुच्छेद 55 में इस प्रकार के चुनाव के तरीके के लिए राज्यों की विधानसभाओं की भी बात की गई है।
- अनुच्छेद 55 में शामिल की गई एक व्याख्या के अनुसार अनुच्छेद 54 और 55 में राज्य के संदर्भ में इस बात का प्रावधान किया गया कि इसमें राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए निर्वाचनमंडल में राष्ट्रीय राजधानी सीमा क्षेत्र दिल्ली और केंद्रशासित प्रदेश पांडिचेरी को भी शामिल किया जाएगा।
- इससे अनुच्छेद 239 ए के प्रावधानों के तहत केंद्रशासित प्रदेश पांडिचेरी के लिए बनाई गई विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों और अनुच्छेद 239 ए के अंतर्गत राष्ट्रीय राजधानी सीमा क्षेत्र दिल्ली की प्रस्तावित विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों को भी निर्वाचन-मंडल में शामिल किया जा सकेगा।
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