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'''गंगापुर''' [[गुलबर्गा ज़िला]], [[मैसूर]] में स्थित है, जिसे [[तीर्थ स्थल]] का दर्जा प्राप्त है। यह स्थान दक्षिण में '[[दत्तात्रेय सम्प्रदाय]]' का मुख्य स्थान है।
'''गंगापुर''' [[गुलबर्गा ज़िला]], [[मैसूर]] में स्थित है, जिसे [[तीर्थ स्थल]] का दर्जा प्राप्त है। यह स्थान दक्षिण में '[[दत्तात्रेय सम्प्रदाय]]' का मुख्य स्थान है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=264|url=}}</ref>


*'गुरुचरितनामक' ग्रंथ में, जो 15वीं या 16वीं शती में लिखा गया था, दत्तात्रेय संप्रदाय के गुरुओं का विवरण है।
*'गुरुचरितनामक' ग्रंथ में, जो 15वीं या 16वीं शती में लिखा गया था, दत्तात्रेय संप्रदाय के गुरुओं का विवरण है।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==संबंधित लेख==
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07:38, 7 नवम्बर 2012 के समय का अवतरण

गंगापुर गुलबर्गा ज़िला, मैसूर में स्थित है, जिसे तीर्थ स्थल का दर्जा प्राप्त है। यह स्थान दक्षिण में 'दत्तात्रेय सम्प्रदाय' का मुख्य स्थान है।[1]

  • 'गुरुचरितनामक' ग्रंथ में, जो 15वीं या 16वीं शती में लिखा गया था, दत्तात्रेय संप्रदाय के गुरुओं का विवरण है।
  • दत्तात्रेय संप्रदाय के दर्शन में हिन्दू और मुस्लिम दोनों संस्कृति का संगम दिखाई देता है।
  • सूफी संतों के समान ही दत्तात्रेय को रहस्यवादी तथा तत्वदर्शी माना जाता था। उनकी मूर्ति के स्थान में पदचिन्ह्नों की पूजा की जाती है।
  • गंगापुर में 15वीं शती का बना हुआ भगवान विष्णु का एक मंदिर भी है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 264 |

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