"ब्रह्मचारी ठाकुर बाड़ी वृन्दावन": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (1 अवतरण)
छो (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==")
 
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:


 
*[[ग्वालियर]] के महाराज जिया जी सिंधिया ने 1860 ई. में इस भव्य मन्दिर का निर्माण किया था।   
*[[ग्वालियर]] के महाराज जिया जी सिंधिया ने 1860 ई॰ में इस भव्य मन्दिर का निर्माण किया था।   
*उन्होंने अपने गुरु श्रीगिरिधारीदास ब्रह्मचारी जी को सेवा का भार अर्पण कर दिया था।   
*उन्होंने अपने गुरु श्रीगिरिधारीदास ब्रह्मचारी जी को सेवा का भार अर्पण कर दिया था।   
*इस मन्दिर में श्री[[राधा]][[कृष्ण|गोपाल]], हंसगोपाल तथा नित्यगोपाल-तीन विग्रह पृथक्-पृथक् प्रकोष्ठों में विराजमान हैं।   
*इस मन्दिर में श्री[[राधा]][[कृष्ण|गोपाल]], हंसगोपाल तथा नित्यगोपाल-तीन विग्रह पृथक्-पृथक् प्रकोष्ठों में विराजमान हैं।   
*पत्थरों से निर्मित यह भव्य मन्दिर दर्शन योग्य है।  
*पत्थरों से निर्मित यह भव्य मन्दिर दर्शन योग्य है।  
*यह मन्दिर [[श्री लालाबाबू का मन्दिर|लालाबाबू मन्दिर]] के पास ही है।  
*यह मन्दिर [[श्री लालाबाबू का मन्दिर वृन्दावन|लालाबाबू मन्दिर]] के पास ही है।  




==सम्बंधित लिंक==
==संबंधित लेख==
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
[[Category:ब्रज]]
[[Category:ब्रज]]

16:25, 14 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

  • ग्वालियर के महाराज जिया जी सिंधिया ने 1860 ई. में इस भव्य मन्दिर का निर्माण किया था।
  • उन्होंने अपने गुरु श्रीगिरिधारीदास ब्रह्मचारी जी को सेवा का भार अर्पण कर दिया था।
  • इस मन्दिर में श्रीराधागोपाल, हंसगोपाल तथा नित्यगोपाल-तीन विग्रह पृथक्-पृथक् प्रकोष्ठों में विराजमान हैं।
  • पत्थरों से निर्मित यह भव्य मन्दिर दर्शन योग्य है।
  • यह मन्दिर लालाबाबू मन्दिर के पास ही है।


संबंधित लेख