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'''रोहित मेहता''' (जन्म- [[3 अगस्त]], [[1908]], [[सूरत]], [[गुजरात]]; मृत्यु-  [[20 मार्च]], [[1995]], [[वाराणसी]]) प्रसिद्ध [[साहित्यकार]], विचारक, [[लेखक‍]], दार्शनिक, भाष्यकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। वे निरंतर प्रयत्नशील जीवन में आस्था रखने वाले इंसान थे। कई बार जेल भी गये।  
 
'''रोहित मेहता''' (जन्म- [[3 अगस्त]], [[1908]], [[सूरत]], [[गुजरात]]; मृत्यु-  [[20 मार्च]], [[1995]], [[वाराणसी]]) प्रसिद्ध [[साहित्यकार]], विचारक, [[लेखक‍]], दार्शनिक, भाष्यकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। वे निरंतर प्रयत्नशील जीवन में आस्था रखने वाले इंसान थे। कई बार जेल भी गये।  
 
==परिचय==
 
==परिचय==
प्रसिद्ध विचारक लेखक और स्वतंत्रता सेनानी रोहित मेहता का जन्म 3 अगस्त 1908 ईस्वी को सूरत में (गुजरात) हुआ था। सूरत, [[अहमदाबाद]] और [[मुंबई]] में उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की। विद्यार्थी जीवन से ही वे सार्वजनिक कार्यों में भाग लेने लगे थे।18 वर्ष की उम्र में उन्होंने गुजरात कॉलेज अहमदाबाद की 3 महीने तक चली हड़ताल का नेतृत्व किया था। [[स्वतंत्रता संग्राम]] में भाग लेने के कारण उन्होंने 5 बार जेल की सजा काटी। वे [[कांग्रेस]] में समाजवादी विचारों के समर्थक थे। <ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=753|url=}}</ref>  
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प्रसिद्ध विचारक, लेखक और स्वतंत्रता सेनानी रोहित मेहता का जन्म 3 अगस्त 1908 ईस्वी को सूरत (गुजरात) में हुआ था। सूरत, [[अहमदाबाद]] और [[मुंबई]] में उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की। विद्यार्थी जीवन से ही वे सार्वजनिक कार्यों में भाग लेने लगे थे। 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने गुजरात कॉलेज, अहमदाबाद की 3 महीने तक चली हड़ताल का नेतृत्व किया था। [[स्वतंत्रता संग्राम]] में भाग लेने के कारण उन्होंने 5 बार जेल की सजा काटी। वे [[कांग्रेस]] में समाजवादी विचारों के समर्थक थे। <ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=753|url=}}</ref>  
 
==योग्यता==
 
==योग्यता==
रोहित मेहता योग्य व्यक्ति थे। उनमें क्षमताएं थी, वे विचारक थे, दार्शनिक थे, भाष्यकार थे, लेखक थे और विख्यात वक्ता थे। उन्होंने यूरोप, एशिया, अफ्रीका, अमेरिका आदि देशों का भ्रमण किया और दर्शन पर प्रभावशाली व्याख्यान दिये। मेहता का मानना था कि वास्तविक रहस्य कभी न समाप्त होने वाली यात्रा में ही है। वे 1941 में अडयार, [[तमिलनाडु]] गए। मेहता ने 3 वर्षों तक थियोसोफिकल सोसाइटी में अंतर्राष्ट्रीय सेक्रेटरी का काम किया और 15 वर्षों तक इस संस्था की भारतीय शाखा के महामंत्री रहे।  
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रोहित मेहता योग्य व्यक्ति थे। उनमें क्षमताएं थीं, वे विचारक थे, दार्शनिक थे, भाष्यकार थे, लेखक थे और विख्यात वक्ता थे। उन्होंने [[यूरोप]], [[एशिया]], [[अफ्रीका]], [[अमेरिका]] आदि देशों का भ्रमण किया और दर्शन पर प्रभावशाली व्याख्यान दिये। मेहता का मानना था कि वास्तविक रहस्य कभी न समाप्त होने वाली यात्रा में ही है। वे [[1941]] में अडयार, [[तमिलनाडु]] गए। मेहता ने 3 वर्षों तक थियोसोफिकल सोसाइटी में अंतर्राष्ट्रीय सेक्रेटरी का काम किया और 15 वर्षों तक इस संस्था की भारतीय शाखा के महामंत्री रहे।  
 
==रचनाएं==
 
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रोहित मेहता बहुत ही प्रखर [[लेखक‍]] थे। उन्होंने दर्शन पर 25 से अधिक पुस्तकें लिखीं।
 
रोहित मेहता बहुत ही प्रखर [[लेखक‍]] थे। उन्होंने दर्शन पर 25 से अधिक पुस्तकें लिखीं।
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प्रसिद्ध विचारक लेखक और स्वतंत्रता सेनानी रोहित मेहता का जन्म 3 अगस्त 1908 ईस्वी को  के सूरत में हुआ था। सूरत अहमदाबाद और मुंबई में उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की विद्यार्थी जीवन से ही  वे सार्वजनिक कार्यों में रुचि लेने  लगे थे।18 वर्ष की उम्र में उन्होंने गुजरात कॉलेज अहमदाबाद की 3 महीने तक चली हड़ताल का नेतृत्व किया था स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण उन्होंने 5 बार जेल की सजाएं भोगी।बे कांग्रेस में समाजवादी विचारों के समर्थक रहे परंतु 1935 में उन्होंने सक्रिय राजनीति छोड़ दी और अपना शेष जीवन भारतीय दार्शनिक विचारों की प्रचार प्रसार में लगा दिया
 
        रोहित मेहता 1941 में अडयार (तमिलनाडु) उन्होंने 3 वर्षों तक थियोसोफिकल सोसाइटी में अंतर्राष्ट्रीय सेक्रेटरी का काम किया और 15 वर्षों तक इस संस्था की भारतीय शाखा के महामंत्री रहे। उनमें क्षमताएं थी। वे विचारक थे, दार्शनिक थे, भाष्यकार थे, लेखक थे और प्रख्यात वक्ता थे। रोहित मेहता ने दार्शनिक विषयों पर 25 से अधिक पुस्तकें लिखीं।यूरोप, एशिया, अफ्रीका, अमेरिका आदि  देशों में दर्शन पर बराबर व्याख्यान दिये। वे निरंतर प्रयत्नशील जीवन में आस्था रखते थे उनका कहना था कि वास्तविक रहस्य कभी न समाप्त होने वाली यात्रा में है। मेहता का 20 मार्च 1995 को वाराणसी में देहांत हो गया।
 
भारतीय चरित्र कोश 753
 

11:41, 17 जून 2018 का अवतरण

रोहित मेहता (जन्म- 3 अगस्त, 1908, सूरत, गुजरात; मृत्यु- 20 मार्च, 1995, वाराणसी) प्रसिद्ध साहित्यकार, विचारक, लेखक‍, दार्शनिक, भाष्यकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। वे निरंतर प्रयत्नशील जीवन में आस्था रखने वाले इंसान थे। कई बार जेल भी गये।

परिचय

प्रसिद्ध विचारक, लेखक और स्वतंत्रता सेनानी रोहित मेहता का जन्म 3 अगस्त 1908 ईस्वी को सूरत (गुजरात) में हुआ था। सूरत, अहमदाबाद और मुंबई में उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की। विद्यार्थी जीवन से ही वे सार्वजनिक कार्यों में भाग लेने लगे थे। 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने गुजरात कॉलेज, अहमदाबाद की 3 महीने तक चली हड़ताल का नेतृत्व किया था। स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण उन्होंने 5 बार जेल की सजा काटी। वे कांग्रेस में समाजवादी विचारों के समर्थक थे। [1]

योग्यता

रोहित मेहता योग्य व्यक्ति थे। उनमें क्षमताएं थीं, वे विचारक थे, दार्शनिक थे, भाष्यकार थे, लेखक थे और विख्यात वक्ता थे। उन्होंने यूरोप, एशिया, अफ्रीका, अमेरिका आदि देशों का भ्रमण किया और दर्शन पर प्रभावशाली व्याख्यान दिये। मेहता का मानना था कि वास्तविक रहस्य कभी न समाप्त होने वाली यात्रा में ही है। वे 1941 में अडयार, तमिलनाडु गए। मेहता ने 3 वर्षों तक थियोसोफिकल सोसाइटी में अंतर्राष्ट्रीय सेक्रेटरी का काम किया और 15 वर्षों तक इस संस्था की भारतीय शाखा के महामंत्री रहे।

रचनाएं

रोहित मेहता बहुत ही प्रखर लेखक‍ थे। उन्होंने दर्शन पर 25 से अधिक पुस्तकें लिखीं।

मृत्यु

प्रसिद्ध विचारक लेखक और स्वतंत्रता सेनानी रोहित मेहता का 20 मार्च, 1995 को वाराणसी में निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 753 |

बाहरी कड़ियाँ

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