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'''ऋक्षराज''' [[बालि]] और [[सुग्रीव]] के पिता थे। चिरकाल तक राज्य करने के पश्चात् जब ऋक्षराज का देहान्त हुआ, तब उनका बड़ा पुत्र बालि राजा बना। बालि और सुग्रीव में बचपन से ही प्रेम था।
  
 
*एक बार [[मेरु पर्वत]] पर तपस्या करते समय [[ब्रह्मा]] की [[आँख|आँखों]] से गिरे हुए आँसुओं से एक [[बंदर]] उत्पन्न हुआ, जिसका नाम 'ऋक्षराज' था।
 
*एक बार [[मेरु पर्वत]] पर तपस्या करते समय [[ब्रह्मा]] की [[आँख|आँखों]] से गिरे हुए आँसुओं से एक [[बंदर]] उत्पन्न हुआ, जिसका नाम 'ऋक्षराज' था।

07:49, 23 जून 2017 के समय का अवतरण

ऋक्षराज बालि और सुग्रीव के पिता थे। चिरकाल तक राज्य करने के पश्चात् जब ऋक्षराज का देहान्त हुआ, तब उनका बड़ा पुत्र बालि राजा बना। बालि और सुग्रीव में बचपन से ही प्रेम था।

  • एक बार मेरु पर्वत पर तपस्या करते समय ब्रह्मा की आँखों से गिरे हुए आँसुओं से एक बंदर उत्पन्न हुआ, जिसका नाम 'ऋक्षराज' था।
  • ऋक्षराज एक बार पानी में अपनी छाया देखकर कूद पड़ा। पानी में गिरते ही उसने एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर लिया।
  • सुन्दर स्त्री के रूप में ऋक्षराज को देखकर देवराज इंद्र और सूर्य उस पर मोहित हो गए।
  • इंद्र ने अपना वीर्य उसके मत्सक पर और सूर्य ने अपना वीर्य उसके गले में डाल दिया।
  • इस प्रकार उस स्त्री को इंद्र के वीर्य से बालि और सूर्य के वीर्य से सुग्रीव नामक दो बंदर उत्पन्न हुए।
  • कुछ दिनों के बाद उस स्त्री ने फिर से अपना पूर्व रूप धारण कर लिया। ब्रह्मा की आज्ञा से उसके पुत्र किष्किंधा में राज्य करने लगे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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