"तैत्तिरीयोपनिषद शिक्षावल्ली अनुवाक-12" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('*तैत्तिरीयोपनिषद के [[तैत्तिरीयोपनिषद शिक्षावल्ल...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
  
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 +
{{तैत्तिरीयोपनिषद}}
 
[[Category:तैत्तिरीयोपनिषद]]
 
[[Category:तैत्तिरीयोपनिषद]]
 
[[Category:दर्शन कोश]]
 
[[Category:दर्शन कोश]]
[[Category:उपनिषद]]  
+
[[Category:उपनिषद]][[Category:संस्कृत साहित्य]]  
  
 
__INDEX__
 
__INDEX__

13:45, 13 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

  • इस अनुवाक में पुन: मित्र, वरुण, अर्यमा (सूर्य), इन्द्र, बृहस्पति, विष्णु, वायु आदि देवों की उपासना करते हुए उनसे कल्याण तथा शान्ति की कामना की गयी है; क्योंकि वे ही 'सत्य' हैं और 'ब्रह्म' हैं। वे ही हमारी रक्षा कर सकते हैं और हमारे तीन प्रकार के तापों को शान्त कर सकते हैं।
  • ये त्रय ताप हैं- अध्यात्मिक, अधिदैविक और अधिभौतिक। क्रमश: ईश्वर सम्बन्धी, देवता सम्बन्धी और शरीर सम्बन्धी दु:ख।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्दवल्ली

अनुवाक-1 | अनुवाक-2 | अनुवाक-3 | अनुवाक-4 | अनुवाक-5 | अनुवाक-6 | अनुवाक-7 | अनुवाक-8 | अनुवाक-9

तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली

अनुवाक-1 | अनुवाक-2 | अनुवाक-3 | अनुवाक-4 | अनुवाक-5 | अनुवाक-6 | अनुवाक-7 | अनुवाक-8 | अनुवाक-9 | अनुवाक-10

तैत्तिरीयोपनिषद शिक्षावल्ली

अनुवाक-1 | अनुवाक-2 | अनुवाक-3 | अनुवाक-4 | अनुवाक-5 | अनुवाक-6 | अनुवाक-7 | अनुवाक-8 | अनुवाक-9 | अनुवाक-10 | अनुवाक-11 | अनुवाक-12