"ब्रह्मतीर्थ मथुरा" के अवतरणों में अंतर
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तत्र स्नात्वा च पीत्वा च नियतो नियतासन:।<br /> | तत्र स्नात्वा च पीत्वा च नियतो नियतासन:।<br /> | ||
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16:27, 14 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
- यमुना के इस घाट पर अवस्थित होकर लोक पितामह ब्रह्माजी भगवद् आराधना करते हैं । यहाँ स्नान, आचमन, यमुनाजल पान और निवास करने से मनुष्य ब्रह्माजी के माध्यम से विष्णुलोक को प्राप्त करता है । ब्रह्मा के नाम से इसका नाम ब्रह्मतीर्थ पड़ा है ।
तीर्थानामुत्तमं तीर्थ ब्रह्मलोकेऽतिविश्रुतम्।
तत्र स्नात्वा च पीत्वा च नियतो नियतासन:।
ब्रह्मणा समनुज्ञतो विष्णुलोकं स गच्छति।।
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