संजीव कुमार

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
शिल्पी गोयल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:42, 3 जुलाई 2011 का अवतरण (Adding category Category:सिनेमा कोश (को हटा दिया गया हैं।))
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
संजीव कुमार
Sanjeev kumar.jpg
पूरा नाम हरिहर जारिवाल
प्रसिद्ध नाम संजीव कुमार
अन्य नाम हरि भाई
जन्म 9 जुलाई 1938
जन्म भूमि मुंबई
मृत्यु 6 नवम्बर 1985
मृत्यु स्थान मुंबई
पति/पत्नी आजीवन कुंवारे रहे
कर्म भूमि मुंबई
कर्म-क्षेत्र अभिनेता
मुख्य फ़िल्में दस्तक (1970), कोशिश (1972), सीता और गीता (1972), शोले (1975), आँधी (1976), अर्जुन पंडित (1977) आदि
पुरस्कार-उपाधि दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता व सहायक अभिनेता के लिए फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार
नागरिकता भारतीय

संजीव कुमार (जन्म- 9 जुलाई 1938 मुंबई- मृत्यु- 6 नवम्बर 1985 मुंबई) हिन्दी फ़िल्मों में एक भारतीय अभिनेता थे। इनका नाम हरिहर जरीवाल था लेकिन फ़िल्मी दुनियाँ में ये अपने दूसरे नाम 'संजीव कुमार' के नाम से प्रसिद्ध हैं। फ़िल्मी दुनियाँ में संजीव कुमार ने नायक, सहनायक, खलनायक और चरित्र कलाकार भूमिकाओं को निभाया। इनके द्वारा अभिनीत प्रसिद्ध फ़िल्मों में कोशिश, शोले, अनामिका, खिलौना, दस्तक, नया दिन नयी रात आदि हैं।

जीवन परिचय

संजीव कुमार का जन्म मुंबई में 9 जुलाई 1938 को एक मध्यम वर्गीय गुजराती परिवार में हुआ था। वह बचपन से हीं फ़िल्मों में बतौर अभिनेता काम करने का सपना देखा करते थे। इसी सपने को पूरा करने के लिए वह अपने जीवन के शुरूआती दौर मे रंगमंच से जुड़े और बाद में उन्होंने फ़िल्मालय के एक्टिंग स्कूल में दाख़िला लिया। इसी दौरान वर्ष 1960 में उन्हें फ़िल्मालय बैनर की फ़िल्म हम हिन्दुस्तानी में एक छोटी सी भूमिका निभाने का मौका मिला।[1]

फ़िल्मी सफ़र

वर्ष 1962 में राजश्री प्रोडक्शन की निर्मित फ़िल्म आरती के लिए उन्होंने स्क्रीन टेस्ट दिया जिसमें वह पास नही हो सके। सर्वप्रथम मुख्य अभिनेता के रूप में संजीव कुमार को वर्ष 1965 में प्रदर्शित फ़िल्म निशान में काम करने का मौका मिला। वर्ष 1960 से वर्ष 1968 तक संजीव कुमार फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। फ़िल्म हम हिंदुस्तानी के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली वह उसे स्वीकार करते चले गए। इस बीच उन्होंने स्मगलर, पति-पत्नी, हुस्न और इश्क, बादल, नौनिहाल और गुनाहगार जैसी कई फ़िल्मों में अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई।[1]

सहायक अभिनेता

वर्ष 1968 में प्रदर्शित फ़िल्म शिकार में वह पुलिस ऑफिसर की भूमिका में दिखाई दिए। यह फ़िल्म पूरी तरह अभिनेता धर्मेन्द्र पर केन्द्रित थी फिर भी संजीव कुमार धर्मेन्द्र जैसे अभिनेता की उपस्थिति में अपने अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब रहे। इस फ़िल्म में उनके दमदार अभिनय के लिए उन्हें सहायक अभिनेता का फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड भी मिला।[1]

अभिनय

वर्ष 1968 में प्रदर्शित फ़िल्म संघर्ष में उनके सामने हिन्दी फ़िल्म जगत के अभिनय सम्राट दिलीप कुमार थे लेकिन संजीव कुमार अपनी छोटी सी भूमिका के जरिए दर्शकों में प्रसिद्ध रहे। इसके बाद आशीर्वाद, राजा और रंक, सत्याकाम और अनोखी रात जैसी फ़िल्मों में मिली कामयाबी के जरिए संजीव कुमार दर्शकों के बीच अपने अभिनय की धाक जमाते हुए ऐसी स्थिति में पहुंच गए जहां वह फ़िल्म में अपनी भूमिका स्वयं चुन सकते थे। वर्ष 1970 में प्रदर्शित फ़िल्म खिलौना की जबर्दस्त कामयाबी के बाद संजीव कुमार बतौर अभिनेता अपनी अलग पहचान बना ली।[1]

सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार

शोले की सूटिंग के दौरान कैमरे के पीछे चट्टान पर पहली बार जेलर की वर्दी पहने हुए असरानी के अभ्यास पर हँसते हुए अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र, संजीव कुमार व अमजद ख़ान

वर्ष 1970 में ही प्रदर्शित फ़िल्म दस्तक में उनके लाजवाब अभिनय के लिए वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1972 में प्रदर्शित फ़िल्म कोशिश में उनके अभिनय का नया आयाम दर्शकों को देखने को मिला। फ़िल्म कोशिश में संजीव कुमार ने गूंगे की भूमिका निभायी। बगैर संवाद बोले सिर्फ आंखों और चेहरे के भाव से दर्शकों को सब कुछ बता देना संजीव कुमार की अभिनय प्रतिभा का ऐसा उदाहरण था जिसे शायद ही कोई अभिनेता दोहरा पाए।

फ़िल्म कोशिश में संजीव कुमार अपने लड़के की शादी एक गूंगी लड़की से करना चाहते है और उनका लड़का इस शादी के लिए राजी नहीं होता है। तब वह अपनी मृत पत्नी की दीवार पर लटकी फ़ोटो को उतार लेते हैं। उनकी आंखों में विषाद की गहरी छाया और चेहरे पर क्रोध होता है। इस दृश्य के जरिए उन्होंने बिना बोले ही अपने मन की सारी बात दर्शकों तक बडे़ ही सरल अंदाज में पहुंचा दी थी। इस फ़िल्म में उनके लाजवाब अभिनय के लिए उन्हें दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया।[1]

फ़िल्मों की कामयाबी

खिलौना, दस्तक और कोशिश जैसी फ़िल्मों की कामयाबी से संजीव कुमार शोहरत की बुंलदियों पर जा बैठे। अपनी फ़िल्मों की कामयाबी के बाद भी उन्होंने फ़िल्म परिचय में एक छोटी सी भूमिका स्वीकार की और उससे भी वह दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहे। इस बीच सीता और गीता, अनामिका और मनचली जैसी फ़िल्मों में अपने रूमानी अंदाज के जरिए दर्शको के बीच प्रसिद्ध रहे।[1]

फ़िल्म नया दिन नयी रात

वर्ष 1974 में प्रदर्शित फ़िल्म नया दिन नयी रात में संजीव कुमार के अभिनय और विविधता के नए आयाम दर्शकों को देखने को मिले इस फ़िल्म में उन्होंने नौ अलग-अलग भूमिकाओं में अपने अभिनय की छाप छोड़ी। फ़िल्म में संजीव कुमार ने लूले-लंगड़े, अंधे, बूढे, बीमार, कोढ़ी, हिजड़े, डाकू, जवान और प्रोफ़ेसर के किरदार को निभाकर जीवन के नौ रसो को रूपहले पर्दे पर साकार किया। यह फ़िल्म उनके हर किरदार की अलग ख़ासियत की वजह से जानी जाती है लेकिन इस फ़िल्म में उनके एक हिजड़े का किरदार आज भी फ़िल्मी दर्शकों के मस्तिष्क पर छा जाता है।

फ़िल्म 'शतरंज के खिलाड़ी' का एक दृश्य

विभिन्न भूमिका

अभिनय मे एकरूपता से बचने और स्वंय को चरित्र अभिनेता के रूप में भी स्थापित करने के लिए संजीव कुमार ने अपने को विभिन्न भूमिकाओं में पेश किया। इस क्रम में वर्ष 1975 में प्रदर्शित रमेश सिप्पी की सुपरहिट फ़िल्म शोले में वह फ़िल्म अभिनेत्री जया भादुड़ी के ससुर की भूमिका निभाने से भी नही हिचके। हांलाकि संजीव कुमार ने फ़िल्म शोले के पहले जया भादुडी के साथ कोशिश और अनामिका में नायक की भूमिका निभाई थी। वर्ष 1977 में प्रदर्शित फ़िल्म शतरंज के खिलाड़ी में उन्हें महान निर्देशक सत्यजीत रे के साथ काम करने का मौका मिला। इस फ़िल्म के जरिए भी उन्होंने दर्शकों का मन मोहे रखा। इसके बाद संजीव कुमार ने मुक्ति (1977),त्रिशूल (1978), पति पत्नी और वो (1978), देवता (1978),जानी दुश्मन (1979), गृहप्रवेश (1979), हम पांच (1980), चेहरे पे चेहरा (1981), दासी(1981), विधाता (1982), नमकीन (1982), अंगूर (1982) और हीरो (1983) जैसी कई सुपरहिट फ़िल्मों के जरिए दर्शकों के दिल पर राज किया।[1]


भारतीय सिनेमा जगत में संजीव कुमार को एक ऐसे बहुआयामी कलाकार के तौर पर जाना जाता है जिन्होंने नायक, सहनायक, खलनायक और चरित्र कलाकार भूमिकाओं से दर्शको को अपना दीवाना बनाया। संजीव कुमार के अभिनय में एक विशेषता रही कि वह किसी भी तरह की भूमिका के लिए सदा उपयुक्त रहते थे। बाद मे संजीव कुमार ने गुलजार के निर्देशन मे आंधी, मौसम, नमकीन और अंगूर जैसी कई फ़िल्मों मे अपने अभिनय का जौहर दिखाया। वर्ष 1982 मे प्रदर्शित फ़िल्म अंगूर में संजीव कुमार ने दोहरी भूमिका निभाई।[2]

पुरस्कार

संजीव कुमार दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित किए गए हैं। वर्ष 1975 में प्रदर्शित फ़िल्म आंधी के लिए सबसे पहले उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार दिया गया। इसके बाद वर्ष 1976 में भी फ़िल्म अर्जुन पंडित में बेमिसाल अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार से नवाजे गए।[1]

मृत्यु

अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के दिल में खास पहचान बनाने वाले अजीम कलाकार 6 नवंबर 1985 को दिल का गंभीर दौरा पड़ने के कारण इस दुनिया को अलविदा कह गए।[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 1.5 1.6 1.7 संजीव कुमार (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) जागरण याहू। अभिगमन तिथि: 2 जुलाई, 2011
  2. 2.0 2.1 बहुआयामी कलाकार थे संजीव कुमार (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) प्रेस नोट। अभिगमन तिथि: 2 जुलाई, 2011

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख