प्रिया राजवंश
प्रिया राजवंश
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पूरा नाम | वेरा सुन्दर सिंह |
प्रसिद्ध नाम | प्रिया राजवंश |
जन्म | 1937 |
जन्म भूमि | शिमला, हिमाचल प्रदेश |
मृत्यु | 27 मार्च, 2000 |
मृत्यु स्थान | मुम्बई, महाराष्ट्र |
अभिभावक | पिता - सुन्दर सिंह |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | अभिनेत्री |
मुख्य फ़िल्में | हाथों की लकीरें (1986), कुदरत (1981), साहेब बहादुर (1977), हँसते ज़ख़्म (1973), हिन्दुस्तान की कसम (1973), हीर राँझा (1970), हक़ीक़त (1964) |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | 1937 में शिमला में जन्मीं प्रिया राजवंश अपने जमाने की खूबसूरत अभिनेत्री में गिनी जाती थीं। |
अद्यतन | 05:58, 5 जुलाई 2017 (IST) |
प्रिया राजवंश (अंग्रेज़ी- Priya Rajvansh; जन्म- 1937, शिमला, हिमाचल प्रदेश; मृत्यु- 27 मार्च, 2000, मुम्बई, महाराष्ट्र) भारतीय हिंदी सिनेमा की अभिनेत्री थी। इन्होंने सिर्फ चेतन आनन्द की बनाई फ़िल्मों में ही अभिनय किया था। उनकी कुछ उल्लेखनीय फ़िल्म हकीकत (1964), हीर राँझा (1970) तथा हँसते ज़ख़्म (1973) हैं।
संक्षिप्त परिचय
प्रिया राजवंश का जन्म 1937 को शिमला, हिमाचल प्रदेश में हुआ था। इनका पुरा नाम वेरा सुन्दर सिंह था। प्रिया की शुरूआती पढ़ाई शिमला में ही हुई। उन्हें बचपन से ही कला में रुचि थी। यही वजह थी कि उन्होंने पढ़ाई के दौरान कई नाटकों में हिस्सा लिया। इनके पिता सुन्दर सिंह वन विभाग में संरक्षक थे। पिता को संयुक्त राष्ट्र संघ की तरफ से ब्रिटेन भेजा गया। उनके साथ प्रिया भी लंदन पहुंच गईं। प्रिया ने वहाँ पहुंचते ही फेमस इंस्टीट्यूट रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट्स में एडमिशन लिया।
फ़िल्मी सफ़र
प्रिया राजवंश जब नाटकों में काम करती थीं, तभी एक फोटोग्राफर ने उनकी फोटोज खींची। चेतन आनंद ने अपने एक दोस्त के घर यह तस्वीर देखी तो वह प्रिया राजवंश की खूबसूरती के क़ायल हो गए। उन दिनों चेतन आनंद को अपनी नई फ़िल्म के लिए नए चेहरे की तलाश थी। 20 अक्टूबर, 1962 को चीन ने देश पर हमला कर दिया था। हिंदुस्तानी फौज को भारी नुक़सान हुआ था और फौज को पीछे हटना पड़ा। इस थीम पर चेतन आनंद हक़ीक़त नाम से फ़िल्म बनाना चाहते थे। उन्होंने प्रिया राजवंश से संपर्क किया और उन्हें फ़िल्म की नायिका के लिए चुन लिया गया।
हत्या
प्रिया राजवंश की ज़िंदगी में अकेलापन और परेशानियां उस वक्त आईं, जब 6 फरवरी, 1997 को चेतन आनंद का देहांत हो गया। प्रिया राजवंश अकेली रह गईं। वह जिस बंगले में रहती थीं, उसकी क़ीमत दिनोदिन ब़ढती जा रही थी। चेतन के बेटे केतन आनंद और विवेक आनंद प्रिया राजवंश को इस बंगले से निकाल देना चाहते थे, लेकिन जब वे इसमें कामयाब नहीं हो पाए तो उन्होंने नौकरानी माला चौधरी और अशोक स्वामी के साथ मिलकर 27 मार्च, 2000 को प्रिया राजवंश का बेहरहमी से क़त्ल कर दिया। मुंबई की एक अदालत ने प्रिया राजवंश हत्याकांड में 31 जुलाई, 2002 को केतन आनंद और विवेक आनंद तथा उनके सहयोगियों नौकरानी माला चौधरी और अशोक स्वामी को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ प्रिया राजवंश : परी कथा सी ज़िंदगी (हिंदी) चौथी दुनिया। अभिगमन तिथि: 07.07, 2017।
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