बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-5 ब्राह्मण-2
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- बृहदारण्यकोपनिषद के अध्याय पांचवाँ का यह दूसरा ब्राह्मण है।
मुख्य लेख : बृहदारण्यकोपनिषद
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- इस ब्राह्मण में प्रजापति के पुत्र देवगण, असुर और मनुष्य ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने के उपरान्त प्रजापति से उपदेश लेने जाते हैं।
- वहां वे उनके सम्मुख 'द' अक्षर का उपदेश देते हैं और उनसे पूछते हैं कि वे इससे क्या समझे।
- देवताओं ने कहा कि उन्होंने इसका अर् 'दमन' समझा है।
- वे अपनी चित्तवृत्तियों और इन्द्रियों का दमन करके सात्विक भावनाओं को जन्म दें।
- असुरों ने कहा कि उन्होंने इसका अर्थ 'दया' समझा है।
- वे अपनी हिंसात्मक वृत्तियों को छोड़कर जीवों पर दया करना सीखें और अपनी तामसिक वृत्तियों पर अंकुश लगायें।
- मनुष्यों ने कहा कि उन्होंने इसका अर्थ 'दान' समझा है।
- वे अपनी संग्रह करने की प्रवृत्ति से ऋषियों और ब्राह्मणों को दान दें और अपनी राजसिक प्रवृत्तियों के साथ न्याय करें। प्रजापति तीनों का उत्तर सुनकर सन्तुष्ट हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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