"रत्नागिरी": अवतरणों में अंतर
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* | [[चित्र:Ratnagiri.jpg|thumb|250px|रत्नागिरी का एक दृश्य]] | ||
*सोलहवीं सदी में [[बीजापुर]] के सुल्तानों ने इसका निर्माण करवाया था। [[शिवाजी]] ने 1670 ई. में इसका पुननिर्माण कराकर [[मराठा]] नौसेना का प्रमुख केन्द्र बनाया। | '''रत्नागिरी''' [[भारत]] के [[महाराष्ट्र]] राज्य के दक्षिण-पश्चिम भाग में [[अरब सागर]] के तट पर स्थित है। रत्नागिरी [[बाल गंगाधर तिलक]] की जन्मस्थली है। रत्नागिरी कोंकण क्षेत्र का ही एक भाग है। रत्नागिरी में बहुत लंबा समुद्र तट हैं। रत्नागिरी में कई बंदरगाह भी हैं। रत्नागिरी क्षेत्र पश्िचम में सह्याद्रि पहाड़ी से घिरा हुआ है।<ref name="यात्रा सलाह">{{cite web |url=http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=72 |title=रत्नागिरी |accessmonthday=[[14 मार्च]] |accessyear=[[2011]] |last= |first=मुकेश |authorlink= |format= |publisher=यात्रा सलाह |language=हिन्दी }}</ref> | ||
==इतिहास== | |||
*रत्नागिरी का [[मराठा]] इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। रत्नागिरी 1731 ई. में सतारा के राजा के अधिकार में आ गया और यह 1818 ई. तक सतारा के क़ब्ज़े में रहा। 1818 ई. में रत्नागिरी पर अंग्रेजों ने क़ब्ज़ा कर लिया। | |||
*रत्नागिरी में पर एक क़िला भी है जिसे [[बीजापुर]] के राजपरिवार ने बनवाया था। बाद में 1670 ई. में इस क़िले की [[शिवाजी]] ने मरम्मत करवाई थी। | |||
*रत्नागिरी का संबंध [[महाभारत]] काल से भी है। कहा जाता है अपने वनवास का तेरहवां वर्ष पांडवों ने रत्नागिरी से सटे हुए क्षेत्र में बिताया था। रत्नागिरी में ही [[म्यांमार]] के अंतिम राजा थिबू तथा वीर सावरकर को कैद कर रखा गया था।<ref name="यात्रा सलाह" /> | |||
==यातायात और परिवहन== | |||
;रेल मार्ग | |||
रत्नागिरी में रेलवे जंक्शन है। रत्नागिरी आने की सबसे बढिया रेल कोंकण कन्या एक्सप्रेस है। | |||
;सड़क मार्ग | |||
रत्नागिरी के लिए मुंबई से सीधी बस सेवा है। मुंबई सेंट्रल, बोरीबली तथा परेल से रत्नागिरी के लिए बसें चलती है।<ref name="यात्रा सलाह" /> | |||
==पर्यटन== | |||
[[चित्र:Ratnadurg-Fort.jpg|thumb|250px|रत्नागिरी दुर्ग]] | |||
====रत्नागिरी दुर्ग==== | |||
*रत्नागिरी, रत्नदुर्ग या भगवती दुर्ग के रूप में जाना जाने वाला एक दुर्ग है। रत्नागिरी [[मुंबई]] से 220 किलोमिटर दक्षिण में स्थित है। | |||
*सोलहवीं [[सदी]] में [[बीजापुर]] के सुल्तानों ने इसका निर्माण करवाया था। [[शिवाजी]] ने 1670 ई. में इसका पुननिर्माण कराकर [[मराठा]] नौसेना का प्रमुख केन्द्र बनाया। | |||
*इस दुर्ग में तीन सुदृढ़ चोटियाँ हैं। दक्षिण की ओर स्थित सबसे बड़ी चोटी '''पारकोट''' के नाम से जानी जाती है। | *इस दुर्ग में तीन सुदृढ़ चोटियाँ हैं। दक्षिण की ओर स्थित सबसे बड़ी चोटी '''पारकोट''' के नाम से जानी जाती है। | ||
*मध्य चोटी पर '''बाले''' नामक क़िला है, जिसमें प्रसिद्ध भगवती मंदिर आज भी सुरक्षित है। | *मध्य चोटी पर '''बाले''' नामक क़िला है, जिसमें प्रसिद्ध भगवती मंदिर आज भी सुरक्षित है। | ||
*तीसरी चोटी मंदिर के पीछे ढलान पर है, जहाँ से कहा जाता है कि दंडित बंदियों को नीचे धकेलकर मार दिया जाता था। चोटी के पश्चिम में कुछ पुरानी गुफाएँ भी हैं। | *तीसरी चोटी मंदिर के पीछे ढलान पर है, जहाँ से कहा जाता है कि दंडित बंदियों को नीचे धकेलकर मार दिया जाता था। चोटी के पश्चिम में कुछ पुरानी गुफाएँ भी हैं। | ||
*[[बर्मा]] (म्यांमार) के अंतिम राजा थिबॉ को [[अंग्रेज|अंग्रेजों]] ने [[1885]] ई. में देश निकाला देकर यहीं भेजा था तथा उसे विशेष रूप से नज़रबंद करके रखा गया था। | *[[बर्मा]] (म्यांमार) के अंतिम राजा थिबॉ को [[अंग्रेज|अंग्रेजों]] ने [[1885]] ई. में देश निकाला देकर यहीं भेजा था तथा उसे विशेष रूप से नज़रबंद करके रखा गया था। | ||
====जयगढ़ क़िला==== | |||
जयगढ़ क़िले की स्थापना 17 वीं शताब्दी में हुई थी। जयगढ़ क़िला एक खड़ी पहाड़ी पर बना हुआ है। जयगढ़ क़िले के पास से ही संगमेश्वर नदी बहती है। जयगढ़ क़िले से आसपास का बहुत सुंदर दूश्य दिखता है।<ref name="यात्रा सलाह" /> | |||
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चित्र:Coastline-Ratnagiri.jpg|समुद्री तट,रत्नागिरी | |||
चित्र:Thibaw-Palace.jpg|थीवा महल, रत्नागिरी | |||
चित्र:Bankot-Fort-Ratnagiri.jpg|बनकोट क़िला, रत्नागिरी | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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11:46, 1 जुलाई 2012 के समय का अवतरण

रत्नागिरी भारत के महाराष्ट्र राज्य के दक्षिण-पश्चिम भाग में अरब सागर के तट पर स्थित है। रत्नागिरी बाल गंगाधर तिलक की जन्मस्थली है। रत्नागिरी कोंकण क्षेत्र का ही एक भाग है। रत्नागिरी में बहुत लंबा समुद्र तट हैं। रत्नागिरी में कई बंदरगाह भी हैं। रत्नागिरी क्षेत्र पश्िचम में सह्याद्रि पहाड़ी से घिरा हुआ है।[1]
इतिहास
- रत्नागिरी का मराठा इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। रत्नागिरी 1731 ई. में सतारा के राजा के अधिकार में आ गया और यह 1818 ई. तक सतारा के क़ब्ज़े में रहा। 1818 ई. में रत्नागिरी पर अंग्रेजों ने क़ब्ज़ा कर लिया।
- रत्नागिरी में पर एक क़िला भी है जिसे बीजापुर के राजपरिवार ने बनवाया था। बाद में 1670 ई. में इस क़िले की शिवाजी ने मरम्मत करवाई थी।
- रत्नागिरी का संबंध महाभारत काल से भी है। कहा जाता है अपने वनवास का तेरहवां वर्ष पांडवों ने रत्नागिरी से सटे हुए क्षेत्र में बिताया था। रत्नागिरी में ही म्यांमार के अंतिम राजा थिबू तथा वीर सावरकर को कैद कर रखा गया था।[1]
यातायात और परिवहन
- रेल मार्ग
रत्नागिरी में रेलवे जंक्शन है। रत्नागिरी आने की सबसे बढिया रेल कोंकण कन्या एक्सप्रेस है।
- सड़क मार्ग
रत्नागिरी के लिए मुंबई से सीधी बस सेवा है। मुंबई सेंट्रल, बोरीबली तथा परेल से रत्नागिरी के लिए बसें चलती है।[1]
पर्यटन

रत्नागिरी दुर्ग
- रत्नागिरी, रत्नदुर्ग या भगवती दुर्ग के रूप में जाना जाने वाला एक दुर्ग है। रत्नागिरी मुंबई से 220 किलोमिटर दक्षिण में स्थित है।
- सोलहवीं सदी में बीजापुर के सुल्तानों ने इसका निर्माण करवाया था। शिवाजी ने 1670 ई. में इसका पुननिर्माण कराकर मराठा नौसेना का प्रमुख केन्द्र बनाया।
- इस दुर्ग में तीन सुदृढ़ चोटियाँ हैं। दक्षिण की ओर स्थित सबसे बड़ी चोटी पारकोट के नाम से जानी जाती है।
- मध्य चोटी पर बाले नामक क़िला है, जिसमें प्रसिद्ध भगवती मंदिर आज भी सुरक्षित है।
- तीसरी चोटी मंदिर के पीछे ढलान पर है, जहाँ से कहा जाता है कि दंडित बंदियों को नीचे धकेलकर मार दिया जाता था। चोटी के पश्चिम में कुछ पुरानी गुफाएँ भी हैं।
- बर्मा (म्यांमार) के अंतिम राजा थिबॉ को अंग्रेजों ने 1885 ई. में देश निकाला देकर यहीं भेजा था तथा उसे विशेष रूप से नज़रबंद करके रखा गया था।
जयगढ़ क़िला
जयगढ़ क़िले की स्थापना 17 वीं शताब्दी में हुई थी। जयगढ़ क़िला एक खड़ी पहाड़ी पर बना हुआ है। जयगढ़ क़िले के पास से ही संगमेश्वर नदी बहती है। जयगढ़ क़िले से आसपास का बहुत सुंदर दूश्य दिखता है।[1]
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वीथिका
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समुद्री तट,रत्नागिरी
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थीवा महल, रत्नागिरी
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बनकोट क़िला, रत्नागिरी
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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