"पूंछरी का लौठा गोवर्धन": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
रिंकू बघेल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा पर्यटन | |||
|चित्र=Punchari-Ka-Lautha-Govardhan.jpg | |||
|चित्र का नाम=पूंछरी का लौठा, [[गोवर्धन]] | |||
== | |विवरण=पूंछरी गांव आन्यौर गांव से तीन कि.मी. दक्षिण-दिशा में [[राजस्थान]] राज्य के अन्तर्गत है। | ||
पूंछरी गांव में परिक्रमा मार्ग पर श्रीलौठाजी का मन्दिर दर्शनीय है। | |राज्य=[[राजस्थान]] | ||
|केन्द्र शासित प्रदेश= | |||
श्रीकृष्ण ने कहा- | |ज़िला=[[भरतपुर]] | ||
'''हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे | |निर्माता= | ||
'''हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे | |स्वामित्व= | ||
== | |प्रबंधक= | ||
|निर्माण काल= | |||
|स्थापना= | |||
|भौगोलिक स्थिति= | |||
|मार्ग स्थिति= | |||
|मौसम= | |||
|तापमान= | |||
|प्रसिद्धि=[[हिन्दू]] धार्मिक स्थल | |||
|कब जाएँ=कभी भी | |||
|कैसे पहुँचें= | |||
|हवाई अड्डा= | |||
|रेलवे स्टेशन= | |||
|बस अड्डा=गोवर्धन बस अड्डा | |||
|यातायात=बस, कार, ऑटो आदि | |||
|क्या देखें=[[दानघाटी गोवर्धन]], मुखारबिन्द, [[मानसी गंगा गोवर्धन|मानसी गंगा]], | |||
|कहाँ ठहरें=होटल तथा धर्मशालाएँ आदि। | |||
|क्या खायें= | |||
|क्या ख़रीदें= | |||
|एस.टी.डी. कोड= | |||
|ए.टी.एम= | |||
|सावधानी= | |||
|मानचित्र लिंक= | |||
|संबंधित लेख=[[मथुरा]], [[गोवर्धन]], लौठा जी, [[कृष्ण]], [[वृन्दावन]], आन्यौर गाँव, [[राजस्थान]], आदि। | |||
|शीर्षक 1= | |||
|पाठ 1= | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|अन्य जानकारी=पूंछरी गांव में गोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर श्रीलौठा जी का मन्दिर दर्शनीय है। यहाँ से पूर्व दिशा की परिक्रमा समाप्त होकर पश्चिम की ओर परिक्रमा मार्ग मोड़ खाता है। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन={{अद्यतन|13:02, 13 अगस्त 2016 (IST)}} | |||
}} | |||
पूंछरी गांव [[राजस्थान]] राज्य के अन्तर्गत है। आन्यौर गांव से तीन कि.मी. दक्षिण-दिशा में पूंछरी गांव स्थित है। पूंछरी में भरतपुर राजाओं के द्वारा अनेक कलात्मक छतरियों का निर्माण कराया गया है। यहाँ से पूर्व दिशा की परिक्रमा समाप्त होकर पश्चिम की ओर परिक्रमा मार्ग मोड़ खाता है। | |||
==नामकरण== | |||
इस गांव के पूंछरी नाम होने का प्रथम कारण यह है कि [[गोवर्धन|श्रीगोवर्धन]] का आकार एक [[मोर]] के सदृश है। [[राधाकुण्ड गोवर्धन|श्रीराधाकुण्ड]] उनके जिह्वा एवं कृष्णकुण्ड चिवुक हैं, ललिता कुण्ड ललाट है। पूंछरी नाचते हुए मोर के पंखों-पूँछ के स्थान पर है। इसलिये इस ग्राम का नाम 'पूछँरी' प्रसिद्ध है। | |||
द्वितीय कारण यह है कि श्रीगिरिराजजी की आकृति गौरूप है। इस आकृति में भी श्रीराधाकुण्ड उनके जिहवा एवं ललिताकुण्ड ललाट हैं एवं पूँछ पूंछरी में हैं। इस कारण से भी इस गांव का नाम पूंछरी है। इस स्थान पर श्रीगिरिराजजी के चरण विराजित हैं। | |||
==श्रीलौठाजी मन्दिर== | |||
पूंछरी गांव में परिक्रमा मार्ग पर श्रीलौठाजी का मन्दिर दर्शनीय है। श्रीलौठा जी से सम्बन्धित एक कथा प्रचलित है, जो निम्न प्रकार है- | |||
[[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] के श्रीलौठा जी नाम के एक मित्र थे। श्रीकृष्ण ने [[द्वारका]] जाते समय लौठा जी को अपने साथ चलने का अनुरोध किया। इस पर लौठाजी बोले- "हे प्रिय मित्र! मुझे [[ब्रज]] त्यागने की कोई इच्छा नहीं हैं, परन्तु तुम्हारे ब्रज त्यागने का मुझे अत्यन्त दु:ख है, अत: तुम्हारे पुन: ब्रजागमन होने तक मैं अन्न-जल छोड़कर प्राणों का त्याग यहीं कर दूंगा। जब तू यहाँ लौट आवेगा, तब मेरा नाम लौठा सार्थक होगा।" | |||
श्रीकृष्ण ने कहा- "सखा! ठीक है मैं तुम्हें वरदान देता हूँ कि बिना अन्न-जल के तुम स्वस्थ और जीवित रहोगे।" तभी से श्रीलौठा जी पूंछरी में बिना खाये-पिये तपस्या कर रहे हैं- 'धनि-धनि पूंछरी के लौठा। अन्न खाय न पानी पीवै ऐसेई पड़ौ सिलौठा।' उसे विश्वास है कि श्रीकृष्णजी अवश्य यहाँ लौटकर आवेंगे, क्योंकि श्रीकृष्ण जी स्वयं वचन दे गये हैं। इसलिये इस स्थान पर श्रीलौठा जी का मन्दिर प्रतिष्ठित है। इस मन्दिर के पास श्रीगौरगोविन्द दास बाबा का कीर्तन भवन दर्शनीय है। यहाँ पर अखण्ड श्रीहरिनाम कीर्तन होता है। | |||
<poem style="text-align:center">'''हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।''' | |||
'''हरे [[राम]] हरे राम राम राम हरे हरे ।।'''</poem> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}} | {{ब्रज के दर्शनीय स्थल}} | ||
07:32, 13 अगस्त 2016 के समय का अवतरण
पूंछरी का लौठा गोवर्धन
| |
![]() | |
विवरण | पूंछरी गांव आन्यौर गांव से तीन कि.मी. दक्षिण-दिशा में राजस्थान राज्य के अन्तर्गत है। |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | भरतपुर |
प्रसिद्धि | हिन्दू धार्मिक स्थल |
कब जाएँ | कभी भी |
![]() |
गोवर्धन बस अड्डा |
![]() |
बस, कार, ऑटो आदि |
क्या देखें | दानघाटी गोवर्धन, मुखारबिन्द, मानसी गंगा, |
कहाँ ठहरें | होटल तथा धर्मशालाएँ आदि। |
संबंधित लेख | मथुरा, गोवर्धन, लौठा जी, कृष्ण, वृन्दावन, आन्यौर गाँव, राजस्थान, आदि।
|
अन्य जानकारी | पूंछरी गांव में गोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर श्रीलौठा जी का मन्दिर दर्शनीय है। यहाँ से पूर्व दिशा की परिक्रमा समाप्त होकर पश्चिम की ओर परिक्रमा मार्ग मोड़ खाता है। |
अद्यतन | 13:02, 13 अगस्त 2016 (IST)
|
पूंछरी गांव राजस्थान राज्य के अन्तर्गत है। आन्यौर गांव से तीन कि.मी. दक्षिण-दिशा में पूंछरी गांव स्थित है। पूंछरी में भरतपुर राजाओं के द्वारा अनेक कलात्मक छतरियों का निर्माण कराया गया है। यहाँ से पूर्व दिशा की परिक्रमा समाप्त होकर पश्चिम की ओर परिक्रमा मार्ग मोड़ खाता है।
नामकरण
इस गांव के पूंछरी नाम होने का प्रथम कारण यह है कि श्रीगोवर्धन का आकार एक मोर के सदृश है। श्रीराधाकुण्ड उनके जिह्वा एवं कृष्णकुण्ड चिवुक हैं, ललिता कुण्ड ललाट है। पूंछरी नाचते हुए मोर के पंखों-पूँछ के स्थान पर है। इसलिये इस ग्राम का नाम 'पूछँरी' प्रसिद्ध है।
द्वितीय कारण यह है कि श्रीगिरिराजजी की आकृति गौरूप है। इस आकृति में भी श्रीराधाकुण्ड उनके जिहवा एवं ललिताकुण्ड ललाट हैं एवं पूँछ पूंछरी में हैं। इस कारण से भी इस गांव का नाम पूंछरी है। इस स्थान पर श्रीगिरिराजजी के चरण विराजित हैं।
श्रीलौठाजी मन्दिर
पूंछरी गांव में परिक्रमा मार्ग पर श्रीलौठाजी का मन्दिर दर्शनीय है। श्रीलौठा जी से सम्बन्धित एक कथा प्रचलित है, जो निम्न प्रकार है-
श्रीकृष्ण के श्रीलौठा जी नाम के एक मित्र थे। श्रीकृष्ण ने द्वारका जाते समय लौठा जी को अपने साथ चलने का अनुरोध किया। इस पर लौठाजी बोले- "हे प्रिय मित्र! मुझे ब्रज त्यागने की कोई इच्छा नहीं हैं, परन्तु तुम्हारे ब्रज त्यागने का मुझे अत्यन्त दु:ख है, अत: तुम्हारे पुन: ब्रजागमन होने तक मैं अन्न-जल छोड़कर प्राणों का त्याग यहीं कर दूंगा। जब तू यहाँ लौट आवेगा, तब मेरा नाम लौठा सार्थक होगा।"
श्रीकृष्ण ने कहा- "सखा! ठीक है मैं तुम्हें वरदान देता हूँ कि बिना अन्न-जल के तुम स्वस्थ और जीवित रहोगे।" तभी से श्रीलौठा जी पूंछरी में बिना खाये-पिये तपस्या कर रहे हैं- 'धनि-धनि पूंछरी के लौठा। अन्न खाय न पानी पीवै ऐसेई पड़ौ सिलौठा।' उसे विश्वास है कि श्रीकृष्णजी अवश्य यहाँ लौटकर आवेंगे, क्योंकि श्रीकृष्ण जी स्वयं वचन दे गये हैं। इसलिये इस स्थान पर श्रीलौठा जी का मन्दिर प्रतिष्ठित है। इस मन्दिर के पास श्रीगौरगोविन्द दास बाबा का कीर्तन भवन दर्शनीय है। यहाँ पर अखण्ड श्रीहरिनाम कीर्तन होता है।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।
संबंधित लेख