"गुजरात": अवतरणों में अंतर
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*गुजरात ई.पू. तीसरी शताब्दी में [[मौर्य साम्राज्य]] में शामिल था। [[जूनागढ़]] के अभिलेख से इस बात की पुष्टि होती है। पाँचवीं शताब्दी में [[हूण|हूणों]] के आक्रमण के बाद [[उत्तराखंड]] से गुर्जरों का इस क्षेत्र में आगमन हुआ। | *गुजरात ई.पू. तीसरी शताब्दी में [[मौर्य साम्राज्य]] में शामिल था। [[जूनागढ़]] के अभिलेख से इस बात की पुष्टि होती है। पाँचवीं शताब्दी में [[हूण|हूणों]] के आक्रमण के बाद [[उत्तराखंड]] से गुर्जरों का इस क्षेत्र में आगमन हुआ। | ||
*गुजरात पर चौथी-पाँचवीं शताब्दी के दौरान [[गुप्त वंश]] का शासन रहा। नौवीं शताब्दी में [[सोलंकी वंश]] का शासन रहा। 10 वीं शताब्दी में मूलराज सोलंकी ने आधुनिक गुजरात की स्थापना की। | *गुजरात पर चौथी-पाँचवीं शताब्दी के दौरान [[गुप्त वंश]] का शासन रहा। नौवीं शताब्दी में [[सोलंकी वंश]] का शासन रहा। 10 वीं शताब्दी में मूलराज सोलंकी ने आधुनिक गुजरात की स्थापना की। | ||
*गुर्जरों की भूमि के रूप में गुजरात को जाना जाता है। इस प्रकार ''गूर्जरराष्ट्र'' से विकृत होते-होते उसका नामंतरण गुजरात के रूप में हुआ। गुजरातवासी वाणिज्य व्यापार में कुशल होते है। | *गुर्जरों की भूमि के रूप में गुजरात को जाना जाता है। इस प्रकार '''गूर्जरराष्ट्र''' से विकृत होते-होते उसका नामंतरण गुजरात के रूप में हुआ। गुजरातवासी वाणिज्य व्यापार में कुशल होते है। | ||
*विदेशों में बसे असंरथ गुजरातवासियों ने अपने व्यापार कौशल से अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में भी ख्याति अर्जित की है। [[महात्मा गाँधी]] का जन्म प्रदेश गुजरात द्रुत गति से औद्योगिक विकास कर रहा है। | *विदेशों में बसे असंरथ गुजरातवासियों ने अपने व्यापार कौशल से अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में भी ख्याति अर्जित की है। [[महात्मा गाँधी]] का जन्म प्रदेश गुजरात द्रुत गति से औद्योगिक विकास कर रहा है। | ||
==नामोत्पत्ति== | ==नामोत्पत्ति== | ||
गुजरात नाम, गुर्जरत्रा से आया है। [[गुर्जर|गुर्जरो]] का साम्राज्य 6ठीं से 12वीं सदी तक गुर्जरत्रा या गुर्जर-भूमि के नाम से जाना जाता था। गुर्जर एक समुदाय है|<ref>{{cite book|title=The History and Culture of the Indian People: The classical age|author=Ramesh Chandra Majumdar|coauthor=Achut Dattatrya Pusalker, A. K. Majumdar, Dilip Kumar Ghose, Vishvanath Govind Dighe, Bharatiya Vidya Bhavan|publisher=Bharatiya Vidya Bhavan|year=1977|page=153}}</ref>प्राचीन महाकवि [[राजशेखर]] ने गुर्जरो का सम्बन्ध [[सूर्यवंश]] या रघुवंश से बताया है।<ref>{{cite book|title=Some aspects of ancient Indian culture|author=Devadatta Ramakrishna Bhandarkar|publisher=Asian Educational Services|year=1989|id=ISBN 8120604571, ISBN 9788120604575|url=http://books.google.co.in/books?id=gUAvuYu-otEC&pg=PA64&dq|page=64}}</ref>कुछ विद्वान इन्हें मध्य-एशिया से आये आर्य भी बताते हैं। | गुजरात नाम, गुर्जरत्रा से आया है। [[गुर्जर|गुर्जरो]] का साम्राज्य 6ठीं से 12वीं सदी तक गुर्जरत्रा या गुर्जर-भूमि के नाम से जाना जाता था। गुर्जर एक समुदाय है|<ref>{{cite book|title=The History and Culture of the Indian People: The classical age|author=Ramesh Chandra Majumdar|coauthor=Achut Dattatrya Pusalker, A. K. Majumdar, Dilip Kumar Ghose, Vishvanath Govind Dighe, Bharatiya Vidya Bhavan|publisher=Bharatiya Vidya Bhavan|year=1977|page=153}}</ref>प्राचीन महाकवि [[राजशेखर]] ने गुर्जरो का सम्बन्ध [[सूर्यवंश]] या रघुवंश से बताया है।<ref>{{cite book|title=Some aspects of ancient Indian culture|author=Devadatta Ramakrishna Bhandarkar|publisher=Asian Educational Services|year=1989|id=ISBN 8120604571, ISBN 9788120604575|url=http://books.google.co.in/books?id=gUAvuYu-otEC&pg=PA64&dq|page=64}}</ref>कुछ विद्वान इन्हें मध्य-एशिया से आये आर्य भी बताते हैं। | ||
==इतिहास | ==इतिहास== | ||
गुजरात का इतिहास ईस्वी पूर्व लगभग 2,000 साल पुराना है। यह भी मान्यता है कि भगवान [[कृष्ण]] [[मथुरा]] छोड़कर [[सौराष्ट्र]] के पश्चिमी तट पर जा बसे थे, जो [[द्वारिका]] अर्थात 'प्रवेशद्वार' कहलाया। बाद के वर्षों में [[मौर्य राजवंश|मौर्य]], [[गुप्त राजवंश|गुप्त]], [[प्रतिहार साम्राज्य|प्रतिहार]] तथा अन्य अनेक राजवंशों ने इस प्रदेश पर शासन किया। चालुक्य, सोलंकी राजाओं का शासन काल गुजरात के लिए प्रगति और | गुजरात का इतिहास ईस्वी पूर्व लगभग 2,000 साल पुराना है। यह भी मान्यता है कि भगवान [[कृष्ण]] [[मथुरा]] छोड़कर [[सौराष्ट्र]] के पश्चिमी तट पर जा बसे थे, जो [[द्वारिका]] अर्थात 'प्रवेशद्वार' कहलाया। बाद के वर्षों में [[मौर्य राजवंश|मौर्य]], [[गुप्त राजवंश|गुप्त]], [[प्रतिहार साम्राज्य|प्रतिहार]] तथा अन्य अनेक राजवंशों ने इस प्रदेश पर शासन किया। [[चालुक्य वंश|चालुक्य]], सोलंकी राजाओं का शासन काल गुजरात के लिए प्रगति और समृद्धि का [[युग]] था। [[महमूद ग़ज़नवी]] की लूटपाट के बाद भी चालुक्य राजाओं ने यहाँ के लोगों की समृद्धि और भलाई का पूरा ध्यान रखा। इस गौरवपूर्ण काल के पश्चात गुजरात को मुसलमानों, मराठों और ब्रिटिश शासन के दौरान बुरे दिनों का सामना करना पड़ा। आज़ादी से पहले आज का गुजरात मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित था-[[चित्र:Dwarkadhish-Temple-Dwarka-Gujarat-2.jpg|thumb|220px|[[द्वारिकाधीश मंदिर द्वारिका|द्वारिकाधीश मन्दिर]], [[द्वारका]], गुजरात<br /> Dwarkadhish Temple, Dwarka, Gujarat|left]] | ||
[[चित्र:Dwarkadhish-Temple-Dwarka-Gujarat-2.jpg|thumb|220px|[[द्वारिकाधीश मंदिर द्वारिका|द्वारिकाधीश मन्दिर]], [[द्वारका]], गुजरात<br /> Dwarkadhish Temple, Dwarka, Gujarat|left]] | |||
#एक ब्रिटिश क्षेत्र और | #एक ब्रिटिश क्षेत्र और | ||
#दूसरा देसी रियासतें। | #दूसरा देसी रियासतें। | ||
राज्यों के पुनर्गठन के कारण सौराष्ट्र के राज्यों और [[कच्छ]] के केंद्र शासित प्रदेश के साथ पूर्व ब्रिटिश गुजरात को मिलाकर द्विभाषी [[मुंबई]] राज्य का गठन हुआ। पहली मई, 1060 को वर्तमान गुजरात राज्य अस्तित्व में आया। गुजरात [[भारत]] के पश्चिमी तट पर स्थित है। इसके पश्चिम में [[अरब सागर]], उत्तर में [[पाकिस्तान]] तथा उत्तर-पूर्वी सीमा पर [[राजस्थान]], दक्षिण-पूर्वी सीमा पर [[मध्य प्रदेश]] और दक्षिण में [[महाराष्ट्र]] है। | राज्यों के पुनर्गठन के कारण सौराष्ट्र के राज्यों और [[कच्छ]] के केंद्र शासित प्रदेश के साथ पूर्व ब्रिटिश गुजरात को मिलाकर द्विभाषी [[मुंबई]] राज्य का गठन हुआ। पहली मई, 1060 को वर्तमान गुजरात राज्य अस्तित्व में आया। गुजरात [[भारत]] के पश्चिमी तट पर स्थित है। इसके पश्चिम में [[अरब सागर]], उत्तर में [[पाकिस्तान]] तथा उत्तर-पूर्वी सीमा पर [[राजस्थान]], दक्षिण-पूर्वी सीमा पर [[मध्य प्रदेश]] और दक्षिण में [[महाराष्ट्र]] है। | ||
*गुजरात राज्य का इतिहास [[सिन्धु घाटी सभ्यता]] के समकालीन है अर्थात इसका [[इतिहास]] लगभग 2000 ई. पू. पुराना है। हाल के पुरातात्विक उत्खनन ([[द्वारका]] में) से मिथक बने [[श्री कृष्ण]] की ऐतिहासिकता सिद्ध हो गयी है, जिसका समय 3000 ई. पू. से भी पुराना माना जाता है। | |||
*गुजरात में सिन्धु घाटी सभ्यता का महत्त्वपूर्ण केन्द्र [[लोथल]] था, जो उस समय का एक महत्त्वपूर्ण बन्दरगाह था। सिंधु सभ्यता से संबंधित स्थल ''[[सुतकोतड़ा]]'' भी इसी प्रदेश में था। | |||
*आधुनिक खुदाई से सिन्धु सभ्यता से संबंधित एक प्रमुख स्थल '''[[धौलावीरा]]''' प्रकाश में आया है जो इसी प्रदेश में था। | |||
*गुजरात पर क्रमशः मौर्य, गुप्त, प्रतिहार तथा उनके परवर्ती राजवंशों ने शासन किया, किंतु गुजरात में प्रगति तथा समृद्धि चालुक्य (सोलंकी) राजाओं के समय में हुईं। इसलिए इस काल को गुजरात के इतिहास में ''स्वर्णिम काल'' कहा जाता है। | |||
*गुप्त सेनापति भट्टारक द्वारा वल्लभी में पाँचवीं शताब्दी के अंतिम चरण में एक नये राजवंश की नींव रखी गई जिसे मैत्रक राजवंश के नाम से जाना जाता है। | |||
*475 ई. में मैत्रकों के सरदार भट्टारक की नियुक्ति वहाँ सेनापति के पद पर हुई थी। | |||
*भट्टारक तथा उसके पुत्र दोनों ने अपने साथ सेनापति की पदवी का ही इस्तेमाल किया | |||
*मैत्रकों के तीसरे राजा द्रोण सिंह द्वारा सर्वप्रथम महाराजा की उपाधि धारण की गई। | |||
*मैत्रकों का प्रथम तिथियुक्त अभिलेख गुप्तसंवत 206 (526 ई.) को ध्रुवसेन प्रथम का प्राप्त हुआ है। | |||
*मैत्रक शासक ध्रुवसेन द्वितीय की शादी [[हर्षवर्धन]] की पुत्री के साथ हुई थी। | |||
*ध्रुवसेन द्वितीय के समय ही [[ह्वेनसांग]] गुजरात आया था। | |||
*मैत्रकों के समय ''वल्लभी शिक्षा'' का प्रसिद्ध केन्द्र थी। | |||
*गुजरात (अन्हिलवाड़ या अन्हिलपटक) के चालुक्य (सोलंकी) राज्य के संस्थापक गुर्जर जाति के नेता वनराज को माना जाता है, जिसने 765 ई. में इस वंश की नींव डाली। हालांकि [[सोलंकी वंश]] का प्रथम शासक मूलराज (947-995) को माना जाता है। | |||
*भीमदेव प्रथम (1022-1064) के काल में [[महमूद ग़ज़नवी]] तथा भीम द्वितीय के काल [[मुहम्मद ग़ोरी]] का आक्रमण अन्हिलवाड़ को झेलना पड़ा। | |||
*सोलंकी राजवंश के बाद दक्षिण गुजरात के बघेलों के शासन की स्थापना हुई जिसकी नींव '''लवण प्रसाद बघेल''' द्वारा डाली गई। | |||
*13वीं सदी के अंत में यह प्रदेश [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के अधिकार में चला गया। कुछ समय बाद गुजरात के सुलतान स्वतंत्र हो गए। इन्हीं में से अहमदशाह प्रथम ने 15 वीं सदी के पूर्वार्द्ध में [[अहमदाबाद]] की स्थापना की। | |||
*महमूद बघेरा के समय में गुजरात बहुत समृद्ध हुआ लेकिन अंत में 16 वीं सदी में [[अकबर]] ने इस प्रदेश पर अधिकार कर लिया। | |||
*वर्ष 1800 में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने [[सूरत]] पर कब्ज़ा कर लिया वर्ष [[1947]] में [[भारत]] के स्वतंत्र होने तक वे ही गुजरात पर राज्य करते रहे। | |||
*गुजरात का भारत के स्वतंत्र संग्राम में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। क्योंकि इस प्रदेश ने राष्ट्र को [[महात्मा गाँधी]] तथा [[सरदार बल्लभ भाई पटेल]] जैसे नेता दिए। | |||
*राष्ट्रपिता महत्मा गाँधी की जन्म स्थली गुजरात का ही एक गाँव [[पोरबन्दर]] है। | |||
==स्थापना== | |||
[[भारत]] के स्वतंत्र होने के समय यह प्रदेश [[मुम्बई]] राज्य का अंग था। अलग गुजरात का जन्म [[1 मई]], [[1960]] को हुआ। | |||
==भौगोलिक संरचना== | |||
गुजरात को तीन भौगोलिक क्षेत्रों में बाँटा गया है जैसे- | |||
# [[सौराष्ट्र प्रायद्वीप]]- जो मूलतः एक पहाड़ी क्षेत्र है, बीच-बीच में मध्यम ऊँचाई के पर्वत हैं। | |||
# [[कच्छ]]- जो पूर्वोत्तर में उजाड़ और चट्टानी है। विख्यात कच्छ का रन इसी क्षेत्र में है। | |||
# गुजरात का मैदान- जो [[कच्छ के रन]] और अरावली की पहाड़ियों से लेकर दमन गंगा तक फैली है। | |||
*गुजरात की सबसे ऊँची चोटी [[गिरनार|गिरिनार पहाड़ियों]] में स्थित गोरखनाथ की चोटी है, जो 1117 मीटर ऊँची है। | |||
*गुजरात की जलवायु ऊष्ण प्रदेशीय और मानसूनी है। | |||
*वर्षा की कमी के कारण इस प्रदेश में रेतीली और बलुई मिट्टी पायी जाती है। | |||
*प्रदेश में पूर्व की ओर उत्तरी गुजरात में वर्षा की मात्र 50 सेमी तक होती है। इसके दक्षिण की ओर मध्य गुजरात में मिट्टी कुछ अधिक उपजाऊ है तथा जलवायु भी अपेक्षयता आर्द्र है। वर्षा 75 सेमी तक होती है। | |||
*[[नर्मदा नदी|नर्मदा]], [[ताप्ती नदी|ताप्ती]], साबरमती, [[सरस्वती नदी|सरस्वती]], माही, भादर, बनास, और विश्वामित्र इस प्रदेश की सुपरिचित नदियाँ हैं। | |||
*कर्क रेखा इस राज्य की उत्तरी सीमा से होकर गुजरती है, अतः यहाँ गर्मियों में खूब गर्मी तथा सर्दियों में खूब सर्दी पड़ती है। | |||
====सीमा क्षेत्र==== | |||
[[भारत]] के पश्चिमी तट पर स्थित पश्चिम में [[अरब सागर]], उत्तर तथा उत्तर-पूर्व में क्रमशः [[पाकिस्तान]] तथा [[राजस्थान]] दक्षिण- पूर्व में [[मध्य प्रदेश]] तथा दक्षिण में [[महाराष्ट्र]] है। | |||
==कृषि== | ==कृषि== | ||
*गुजरात कपास, तंबाकू और मूंगफली का उत्पादन करने वाला देश का प्रमुख राज्य है। | *गुजरात कपास, तंबाकू और मूंगफली का उत्पादन करने वाला देश का प्रमुख राज्य है। | ||
*यह कपड़ा, तेल और साबुन जैसे महत्त्वपूर्ण | *यह कपड़ा, तेल और साबुन जैसे महत्त्वपूर्ण उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध करता है। | ||
*अन्य महत्त्वपूर्ण नकदी फ़सलें हैं - इसबगोल, धान, [[गेहूँ]] और बाजरा। | *अन्य महत्त्वपूर्ण नकदी फ़सलें हैं - इसबगोल, धान, [[गेहूँ]] और बाजरा। | ||
*गुजरात के वनों में उपलब्ध वृक्षों की जातियां हैं- सागवान, खैर, हलदरियो, सादाद और | *गुजरात के वनों में उपलब्ध वृक्षों की जातियां हैं- सागवान, खैर, हलदरियो, सादाद और [[बांस]]। | ||
==उद्योग== | ==उद्योग== | ||
{{राज्य मानचित्र|float=right}} | {{राज्य मानचित्र|float=right}} | ||
राज्य के औद्योगिक ढांचे में धीरे-धीरे विविधता आती जा रही है। यहाँ रसायन,पेट्रो-रसायन, उर्वरक, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि उद्योगों का विकास रहा है। | राज्य के औद्योगिक ढांचे में धीरे-धीरे विविधता आती जा रही है। यहाँ रसायन, पेट्रो-रसायन, उर्वरक, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि उद्योगों का विकास रहा है। | ||
* 2004 के अंत में राज्य में पंजीकृत फैक्टरियों की संख्या 21,536 (अस्थाई) थी जिनमें औसतन 9.27 लाख दैनिक मजदूरों को रोजगार मिला हुआ था। | *[[2004]] के अंत में राज्य में पंजीकृत फैक्टरियों की संख्या 21,536 (अस्थाई) थी जिनमें औसतन 9.27 लाख दैनिक मजदूरों को रोजगार मिला हुआ था। | ||
*मार्च, 2005 तक राज्य में 2.99 लाख लघु औद्योगिक इकाइयों का पंजीकरण हो चुका था। | *[[मार्च]], [[2005]] तक राज्य में 2.99 लाख लघु औद्योगिक इकाइयों का पंजीकरण हो चुका था। | ||
*गुजरात औद्योगिक विकास निगम को ढांचागत सुविधाओं के साथ औद्योगिक संपदाओं के विकास की भूमिका सौंपी गई है। *दिसंबर, 2005 तक गुजरात औद्योगिक विकास निगम ने 237 औद्योगिक संपदाएं स्थापित की थी। | *गुजरात औद्योगिक विकास निगम को ढांचागत सुविधाओं के साथ औद्योगिक संपदाओं के विकास की भूमिका सौंपी गई है। | ||
*[[दिसंबर]], [[2005]] तक गुजरात औद्योगिक विकास निगम ने 237 औद्योगिक संपदाएं स्थापित की थी। | |||
==सिंचाई और बिजली== | ==सिंचाई और बिजली== | ||
*राज्य में भूतलीय जल तथा भूमिगत जल द्वारा कुल सिंचाई क्षमता 64.48 लाख हेक्टेयर आंकी गई है जिसमें सरदार सरोवर (नर्मदा) परियोजना की 17.92 लाख हेक्टेयर क्षमता भी शामिल है। | *राज्य में भूतलीय जल तथा भूमिगत जल द्वारा कुल सिंचाई क्षमता 64.48 लाख हेक्टेयर आंकी गई है जिसमें सरदार सरोवर (नर्मदा) परियोजना की 17.92 लाख हेक्टेयर क्षमता भी शामिल है। | ||
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*राज्य के [[अहमदाबाद]] स्थित मुख्य हवाई अड्डे से [[मुंबई]], [[दिल्ली]] और अन्य शहरों के लिए दैनिक विमान सेवा उपलब्ध है। अहमदाबाद हवाई अड्डे को अब अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा मिल गया हैं। अन्य हवाई अड्डे [[वडोदरा]], [[भावनगर]], [[भुज]], [[सूरत]], [[जामनगर]], [[कांदला]], [[केशोद]], [[पोरबंदर]] और [[राजकोट]] में है। | *राज्य के [[अहमदाबाद]] स्थित मुख्य हवाई अड्डे से [[मुंबई]], [[दिल्ली]] और अन्य शहरों के लिए दैनिक विमान सेवा उपलब्ध है। अहमदाबाद हवाई अड्डे को अब अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा मिल गया हैं। अन्य हवाई अड्डे [[वडोदरा]], [[भावनगर]], [[भुज]], [[सूरत]], [[जामनगर]], [[कांदला]], [[केशोद]], [[पोरबंदर]] और [[राजकोट]] में है। | ||
*गुजरात में कुल 40 बंदरगाह हैं। कांदला राज्य का प्रमुख बंदरगाह है। वर्ष 2004-05 के दौरान गुजरात के मंझोले और छोटे बंदरगाहों से कुल 971.28 लाख टन माल ढोया गया जबकि कांदला बंदरगाह से 415.51 लाख टन माल ढोया गया। | *गुजरात में कुल 40 बंदरगाह हैं। कांदला राज्य का प्रमुख बंदरगाह है। वर्ष 2004-05 के दौरान गुजरात के मंझोले और छोटे बंदरगाहों से कुल 971.28 लाख टन माल ढोया गया जबकि कांदला बंदरगाह से 415.51 लाख टन माल ढोया गया। | ||
==राष्ट्रीय उद्यान== | |||
{| class="bharattable-green" border="1" style="margin:5px; float:right" | |||
|+ गुजरात के राष्ट्रीय उद्यान | |||
|- | |||
! उद्यान का नाम | |||
! ज़िला | |||
! क्षेत्रफल | |||
! वन्य जीवों की मुख्य प्रजातियाँ | |||
|- | |||
| [[गिर राष्ट्रीय उद्यान]] | |||
| [[जूनागढ़]] | |||
| 258.71 वर्ग किमी | |||
| एशियाई शेर, तेंदुआ, चीतल, जंगली, बिल्ली, लकड़बग्धा,<br /> | |||
जंगली सूअर, सांभर चौसिंगा, चिंकारा, कृष्ण मृग आदि <br /> | |||
तथा 300 पक्षियों की प्रजातियाँ | |||
|- | |||
|वेलावदार राष्ट्रीय उद्यान | |||
|भावनगर | |||
| 34.08 वर्ग किमी | |||
|तेंदुआ, हिरण, चिंकारा मोर | |||
|- | |||
|बंसदा राष्ट्रीय उद्यान | |||
|वलसाड | |||
| 23.89 वर्ग किमी | |||
| तेंदुआ, हिरण, मोर | |||
|- | |||
| मेरीन राष्ट्रीय उद्यान | |||
|जामनगर | |||
|162.89 वर्ग किमी | |||
|रगोग, हरा कछुवा, ऑलिव रिडले, घड़ियाल,<br /> | |||
जलगोह, बाज, चमचाचोंच पीही, जलमुर्गी। | |||
|} | |||
गुजरात में गिर राष्ट्रीय उद्यान, वेलावदार राष्ट्रीय उद्यान, बंसदा, राष्ट्रीय उद्यान और मेरीन राष्ट्रीय उद्यान मिलाकर कुल चार राष्ट्रीय उद्यान हैं जो कुल 47,967 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैले हुए हैं। | |||
<u>'''गिर राष्ट्रीय उद्यान'''</u> | |||
*गिर राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में [[1975]] में की गई थी और जूनागढ़ ज़िले में 258-71 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है। | |||
*गिर की जलवायु ऊष्णकटिबंधीय है और इसको वनस्पति ऊष्मकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती है। वनों में सागवान, [[बरगद]], मिश्रित पर्णपाती तथा कंटीले पेड़-पौधे, जैसे-बबूल, कीकर, बेर आदि मिलते हैं। | |||
*गिर वन संकटापन्न और विरल प्रजाति के एशियाई [[शेर]] के एकमात्र आश्रय स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। इसमें [[तेंदुआ]] लक्करबग्धा, जंगली सुअर, नीलगाय, सांभर [[चीतल]] चिंकारा, चौसिंगा, मगर, गोह आदि पाये जाते हैं। | |||
<u>'''वेलावदार राष्ट्रीय उद्यान'''</u> | |||
यह भावनगर ज़िले में 34 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला है। इसमें ऊष्णकटिबंधीय कंटीले वन पाये जाते हैं। काला हिरण और [[भेड़िया]] इसके प्रमुख वन्य पशु हैं जबकि [[मोर]] सामान्य पक्षी है। | |||
<u>'''बंसदा राष्ट्रीय उद्यान'''</u> | |||
इसे बलसाड ज़िले में [[1976]] में स्थापित किया गया था। और इसका क्षेत्रफल 24 किमी. है। इस उद्यान में नम पर्णपाती वन हैं जबकि मोर मुख्य पक्षी है। | |||
<u>'''मैरीन राष्ट्रीय उद्यान'''</u> | |||
[[1982]] में राज्य के जामनगर ज़िले में स्थापित मेरीन ''राष्ट्रीय उद्यान'' का क्षेत्रफल 163 वर्ग किमी. है। ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित समुद्रीतटीय एवं दलदली भूमिवाले इस उद्यान में मैंग्रोव प्रजातियों के वृक्ष पाये जाते हैं जबकि अंशतः अर्द्धसदाहरित वन भी पाये जाते हैं। यहाँ वन्यजीवों में समुद्री गाय (डूगोंग), हरी त्वचावाले कछुए, खारेपानी के मगरमच्छ, ओलिव रिडले गोह, मुख्य हैं। पक्षियों में चमचाचोंच, जलमुर्गी, पीही आदि सामान्य रूप से पाये जाते हैं। | |||
==त्योहार== | ==त्योहार== | ||
[[चित्र:Nageshwar-Mahadev-Gujarat-1.jpg|thumb|नंगेश्वर महादेव, [[द्वारका]], गुजरात<br /> Nageshwar Mahadev, Dwarka, Gujarat]] | [[चित्र:Nageshwar-Mahadev-Gujarat-1.jpg|thumb|नंगेश्वर महादेव, [[द्वारका]], गुजरात<br /> Nageshwar Mahadev, Dwarka, Gujarat]] |
08:49, 29 मार्च 2011 का अवतरण
गुजरात
| |
राजधानी | गांधीनगर |
राजभाषा(एँ) | गुजराती भाषा, मराठी भाषा, हिन्दी भाषा |
स्थापना | 1960/05/01 |
जनसंख्या | 5,06,71,017[1] |
क्षेत्रफल | 1,96,024 वर्ग किमी.[1] |
भौगोलिक निर्देशांक | 23.2167°N 72.6833°E |
ज़िले | 26 |
सबसे बड़ा नगर | अहमदाबाद |
बड़े नगर | जूनागढ़, जामनगर, राजकोट, भावनगर, गांधीनगर, वडोदरा |
मुख्य ऐतिहासिक स्थल | सोमनाथ, सौराष्ट्र, लंघनाज आदि। |
मुख्य पर्यटन स्थल | द्वारिकाधीश मंदिर, कच्छ का रण, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग |
लिंग अनुपात | 1000:920 ♂/♀ |
साक्षरता | 69.14% |
राज्यपाल | डॉ. कमला बेनीवाल |
मुख्यमंत्री | नरेंद्र मोदी |
विधानसभा सदस्य | 182 |
बाहरी कड़ियाँ | अधिकारिक वेबसाइट |
अद्यतन | 12:45, 29 मार्च 2011 (IST) |
- प्राचीनता एवं ऐतिहासिकता की दृष्टि से गुजरात भारत के अग्रणी राज्यों में एक है। इसकी उत्तरी-पश्चिमी सीमा पाकिस्तान से लगी है।
- यहाँ मिले पुरातात्विक अवशेषों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस राज्य में मानव सभ्यता का विकास 5 हज़ार वर्ष पहले हो चुका था। कहा जाता है कि ई. पू. 2500 वर्ष पहले पंजाब से हड़प्पा वासियों ने कच्छ के रण पार कर नर्मदा की उपत्यका में मौजूदा गुजरात की नींव डाली थी।
- गुजरात ई.पू. तीसरी शताब्दी में मौर्य साम्राज्य में शामिल था। जूनागढ़ के अभिलेख से इस बात की पुष्टि होती है। पाँचवीं शताब्दी में हूणों के आक्रमण के बाद उत्तराखंड से गुर्जरों का इस क्षेत्र में आगमन हुआ।
- गुजरात पर चौथी-पाँचवीं शताब्दी के दौरान गुप्त वंश का शासन रहा। नौवीं शताब्दी में सोलंकी वंश का शासन रहा। 10 वीं शताब्दी में मूलराज सोलंकी ने आधुनिक गुजरात की स्थापना की।
- गुर्जरों की भूमि के रूप में गुजरात को जाना जाता है। इस प्रकार गूर्जरराष्ट्र से विकृत होते-होते उसका नामंतरण गुजरात के रूप में हुआ। गुजरातवासी वाणिज्य व्यापार में कुशल होते है।
- विदेशों में बसे असंरथ गुजरातवासियों ने अपने व्यापार कौशल से अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में भी ख्याति अर्जित की है। महात्मा गाँधी का जन्म प्रदेश गुजरात द्रुत गति से औद्योगिक विकास कर रहा है।
नामोत्पत्ति
गुजरात नाम, गुर्जरत्रा से आया है। गुर्जरो का साम्राज्य 6ठीं से 12वीं सदी तक गुर्जरत्रा या गुर्जर-भूमि के नाम से जाना जाता था। गुर्जर एक समुदाय है|[2]प्राचीन महाकवि राजशेखर ने गुर्जरो का सम्बन्ध सूर्यवंश या रघुवंश से बताया है।[3]कुछ विद्वान इन्हें मध्य-एशिया से आये आर्य भी बताते हैं।
इतिहास
गुजरात का इतिहास ईस्वी पूर्व लगभग 2,000 साल पुराना है। यह भी मान्यता है कि भगवान कृष्ण मथुरा छोड़कर सौराष्ट्र के पश्चिमी तट पर जा बसे थे, जो द्वारिका अर्थात 'प्रवेशद्वार' कहलाया। बाद के वर्षों में मौर्य, गुप्त, प्रतिहार तथा अन्य अनेक राजवंशों ने इस प्रदेश पर शासन किया। चालुक्य, सोलंकी राजाओं का शासन काल गुजरात के लिए प्रगति और समृद्धि का युग था। महमूद ग़ज़नवी की लूटपाट के बाद भी चालुक्य राजाओं ने यहाँ के लोगों की समृद्धि और भलाई का पूरा ध्यान रखा। इस गौरवपूर्ण काल के पश्चात गुजरात को मुसलमानों, मराठों और ब्रिटिश शासन के दौरान बुरे दिनों का सामना करना पड़ा। आज़ादी से पहले आज का गुजरात मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित था-

Dwarkadhish Temple, Dwarka, Gujarat
- एक ब्रिटिश क्षेत्र और
- दूसरा देसी रियासतें।
राज्यों के पुनर्गठन के कारण सौराष्ट्र के राज्यों और कच्छ के केंद्र शासित प्रदेश के साथ पूर्व ब्रिटिश गुजरात को मिलाकर द्विभाषी मुंबई राज्य का गठन हुआ। पहली मई, 1060 को वर्तमान गुजरात राज्य अस्तित्व में आया। गुजरात भारत के पश्चिमी तट पर स्थित है। इसके पश्चिम में अरब सागर, उत्तर में पाकिस्तान तथा उत्तर-पूर्वी सीमा पर राजस्थान, दक्षिण-पूर्वी सीमा पर मध्य प्रदेश और दक्षिण में महाराष्ट्र है।
- गुजरात राज्य का इतिहास सिन्धु घाटी सभ्यता के समकालीन है अर्थात इसका इतिहास लगभग 2000 ई. पू. पुराना है। हाल के पुरातात्विक उत्खनन (द्वारका में) से मिथक बने श्री कृष्ण की ऐतिहासिकता सिद्ध हो गयी है, जिसका समय 3000 ई. पू. से भी पुराना माना जाता है।
- गुजरात में सिन्धु घाटी सभ्यता का महत्त्वपूर्ण केन्द्र लोथल था, जो उस समय का एक महत्त्वपूर्ण बन्दरगाह था। सिंधु सभ्यता से संबंधित स्थल सुतकोतड़ा भी इसी प्रदेश में था।
- आधुनिक खुदाई से सिन्धु सभ्यता से संबंधित एक प्रमुख स्थल धौलावीरा प्रकाश में आया है जो इसी प्रदेश में था।
- गुजरात पर क्रमशः मौर्य, गुप्त, प्रतिहार तथा उनके परवर्ती राजवंशों ने शासन किया, किंतु गुजरात में प्रगति तथा समृद्धि चालुक्य (सोलंकी) राजाओं के समय में हुईं। इसलिए इस काल को गुजरात के इतिहास में स्वर्णिम काल कहा जाता है।
- गुप्त सेनापति भट्टारक द्वारा वल्लभी में पाँचवीं शताब्दी के अंतिम चरण में एक नये राजवंश की नींव रखी गई जिसे मैत्रक राजवंश के नाम से जाना जाता है।
- 475 ई. में मैत्रकों के सरदार भट्टारक की नियुक्ति वहाँ सेनापति के पद पर हुई थी।
- भट्टारक तथा उसके पुत्र दोनों ने अपने साथ सेनापति की पदवी का ही इस्तेमाल किया
- मैत्रकों के तीसरे राजा द्रोण सिंह द्वारा सर्वप्रथम महाराजा की उपाधि धारण की गई।
- मैत्रकों का प्रथम तिथियुक्त अभिलेख गुप्तसंवत 206 (526 ई.) को ध्रुवसेन प्रथम का प्राप्त हुआ है।
- मैत्रक शासक ध्रुवसेन द्वितीय की शादी हर्षवर्धन की पुत्री के साथ हुई थी।
- ध्रुवसेन द्वितीय के समय ही ह्वेनसांग गुजरात आया था।
- मैत्रकों के समय वल्लभी शिक्षा का प्रसिद्ध केन्द्र थी।
- गुजरात (अन्हिलवाड़ या अन्हिलपटक) के चालुक्य (सोलंकी) राज्य के संस्थापक गुर्जर जाति के नेता वनराज को माना जाता है, जिसने 765 ई. में इस वंश की नींव डाली। हालांकि सोलंकी वंश का प्रथम शासक मूलराज (947-995) को माना जाता है।
- भीमदेव प्रथम (1022-1064) के काल में महमूद ग़ज़नवी तथा भीम द्वितीय के काल मुहम्मद ग़ोरी का आक्रमण अन्हिलवाड़ को झेलना पड़ा।
- सोलंकी राजवंश के बाद दक्षिण गुजरात के बघेलों के शासन की स्थापना हुई जिसकी नींव लवण प्रसाद बघेल द्वारा डाली गई।
- 13वीं सदी के अंत में यह प्रदेश अलाउद्दीन ख़िलजी के अधिकार में चला गया। कुछ समय बाद गुजरात के सुलतान स्वतंत्र हो गए। इन्हीं में से अहमदशाह प्रथम ने 15 वीं सदी के पूर्वार्द्ध में अहमदाबाद की स्थापना की।
- महमूद बघेरा के समय में गुजरात बहुत समृद्ध हुआ लेकिन अंत में 16 वीं सदी में अकबर ने इस प्रदेश पर अधिकार कर लिया।
- वर्ष 1800 में अंग्रेज़ों ने सूरत पर कब्ज़ा कर लिया वर्ष 1947 में भारत के स्वतंत्र होने तक वे ही गुजरात पर राज्य करते रहे।
- गुजरात का भारत के स्वतंत्र संग्राम में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। क्योंकि इस प्रदेश ने राष्ट्र को महात्मा गाँधी तथा सरदार बल्लभ भाई पटेल जैसे नेता दिए।
- राष्ट्रपिता महत्मा गाँधी की जन्म स्थली गुजरात का ही एक गाँव पोरबन्दर है।
स्थापना
भारत के स्वतंत्र होने के समय यह प्रदेश मुम्बई राज्य का अंग था। अलग गुजरात का जन्म 1 मई, 1960 को हुआ।
भौगोलिक संरचना
गुजरात को तीन भौगोलिक क्षेत्रों में बाँटा गया है जैसे-
- सौराष्ट्र प्रायद्वीप- जो मूलतः एक पहाड़ी क्षेत्र है, बीच-बीच में मध्यम ऊँचाई के पर्वत हैं।
- कच्छ- जो पूर्वोत्तर में उजाड़ और चट्टानी है। विख्यात कच्छ का रन इसी क्षेत्र में है।
- गुजरात का मैदान- जो कच्छ के रन और अरावली की पहाड़ियों से लेकर दमन गंगा तक फैली है।
- गुजरात की सबसे ऊँची चोटी गिरिनार पहाड़ियों में स्थित गोरखनाथ की चोटी है, जो 1117 मीटर ऊँची है।
- गुजरात की जलवायु ऊष्ण प्रदेशीय और मानसूनी है।
- वर्षा की कमी के कारण इस प्रदेश में रेतीली और बलुई मिट्टी पायी जाती है।
- प्रदेश में पूर्व की ओर उत्तरी गुजरात में वर्षा की मात्र 50 सेमी तक होती है। इसके दक्षिण की ओर मध्य गुजरात में मिट्टी कुछ अधिक उपजाऊ है तथा जलवायु भी अपेक्षयता आर्द्र है। वर्षा 75 सेमी तक होती है।
- नर्मदा, ताप्ती, साबरमती, सरस्वती, माही, भादर, बनास, और विश्वामित्र इस प्रदेश की सुपरिचित नदियाँ हैं।
- कर्क रेखा इस राज्य की उत्तरी सीमा से होकर गुजरती है, अतः यहाँ गर्मियों में खूब गर्मी तथा सर्दियों में खूब सर्दी पड़ती है।
सीमा क्षेत्र
भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पश्चिम में अरब सागर, उत्तर तथा उत्तर-पूर्व में क्रमशः पाकिस्तान तथा राजस्थान दक्षिण- पूर्व में मध्य प्रदेश तथा दक्षिण में महाराष्ट्र है।
कृषि
- गुजरात कपास, तंबाकू और मूंगफली का उत्पादन करने वाला देश का प्रमुख राज्य है।
- यह कपड़ा, तेल और साबुन जैसे महत्त्वपूर्ण उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध करता है।
- अन्य महत्त्वपूर्ण नकदी फ़सलें हैं - इसबगोल, धान, गेहूँ और बाजरा।
- गुजरात के वनों में उपलब्ध वृक्षों की जातियां हैं- सागवान, खैर, हलदरियो, सादाद और बांस।
उद्योग
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राज्य के औद्योगिक ढांचे में धीरे-धीरे विविधता आती जा रही है। यहाँ रसायन, पेट्रो-रसायन, उर्वरक, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि उद्योगों का विकास रहा है।
- 2004 के अंत में राज्य में पंजीकृत फैक्टरियों की संख्या 21,536 (अस्थाई) थी जिनमें औसतन 9.27 लाख दैनिक मजदूरों को रोजगार मिला हुआ था।
- मार्च, 2005 तक राज्य में 2.99 लाख लघु औद्योगिक इकाइयों का पंजीकरण हो चुका था।
- गुजरात औद्योगिक विकास निगम को ढांचागत सुविधाओं के साथ औद्योगिक संपदाओं के विकास की भूमिका सौंपी गई है।
- दिसंबर, 2005 तक गुजरात औद्योगिक विकास निगम ने 237 औद्योगिक संपदाएं स्थापित की थी।
सिंचाई और बिजली
- राज्य में भूतलीय जल तथा भूमिगत जल द्वारा कुल सिंचाई क्षमता 64.48 लाख हेक्टेयर आंकी गई है जिसमें सरदार सरोवर (नर्मदा) परियोजना की 17.92 लाख हेक्टेयर क्षमता भी शामिल है।
- राज्य में जून 2005 तक कुल सिंचाई क्षमता 40.34 लाख हेक्टेयर क्षमता भी शामिल है।
- राज्य में जून 2007 तक कुल सिंचाई क्षमता 42.26 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई थी।
- जून 2007 तक अधिकतम उपयोग क्षतमा 37.33 लाख हेक्टेयर आंकी गई।

Garba-Dance., Gujarat
परिवहन
- 2005-06 के अंत में सड़कों की कुल लंबाई (गैर योजना, सामुदायिक, शहरी और परियोजना सड़कों के अलावा) लगभग 74,038 किलोमीटर थी।
- राज्य के अहमदाबाद स्थित मुख्य हवाई अड्डे से मुंबई, दिल्ली और अन्य शहरों के लिए दैनिक विमान सेवा उपलब्ध है। अहमदाबाद हवाई अड्डे को अब अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा मिल गया हैं। अन्य हवाई अड्डे वडोदरा, भावनगर, भुज, सूरत, जामनगर, कांदला, केशोद, पोरबंदर और राजकोट में है।
- गुजरात में कुल 40 बंदरगाह हैं। कांदला राज्य का प्रमुख बंदरगाह है। वर्ष 2004-05 के दौरान गुजरात के मंझोले और छोटे बंदरगाहों से कुल 971.28 लाख टन माल ढोया गया जबकि कांदला बंदरगाह से 415.51 लाख टन माल ढोया गया।
राष्ट्रीय उद्यान
उद्यान का नाम | ज़िला | क्षेत्रफल | वन्य जीवों की मुख्य प्रजातियाँ |
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गिर राष्ट्रीय उद्यान | जूनागढ़ | 258.71 वर्ग किमी | एशियाई शेर, तेंदुआ, चीतल, जंगली, बिल्ली, लकड़बग्धा,जंगली सूअर, सांभर चौसिंगा, चिंकारा, कृष्ण मृग आदि तथा 300 पक्षियों की प्रजातियाँ |
वेलावदार राष्ट्रीय उद्यान | भावनगर | 34.08 वर्ग किमी | तेंदुआ, हिरण, चिंकारा मोर |
बंसदा राष्ट्रीय उद्यान | वलसाड | 23.89 वर्ग किमी | तेंदुआ, हिरण, मोर |
मेरीन राष्ट्रीय उद्यान | जामनगर | 162.89 वर्ग किमी | रगोग, हरा कछुवा, ऑलिव रिडले, घड़ियाल, जलगोह, बाज, चमचाचोंच पीही, जलमुर्गी। |
गुजरात में गिर राष्ट्रीय उद्यान, वेलावदार राष्ट्रीय उद्यान, बंसदा, राष्ट्रीय उद्यान और मेरीन राष्ट्रीय उद्यान मिलाकर कुल चार राष्ट्रीय उद्यान हैं जो कुल 47,967 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैले हुए हैं। गिर राष्ट्रीय उद्यान
- गिर राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में 1975 में की गई थी और जूनागढ़ ज़िले में 258-71 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
- गिर की जलवायु ऊष्णकटिबंधीय है और इसको वनस्पति ऊष्मकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती है। वनों में सागवान, बरगद, मिश्रित पर्णपाती तथा कंटीले पेड़-पौधे, जैसे-बबूल, कीकर, बेर आदि मिलते हैं।
- गिर वन संकटापन्न और विरल प्रजाति के एशियाई शेर के एकमात्र आश्रय स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। इसमें तेंदुआ लक्करबग्धा, जंगली सुअर, नीलगाय, सांभर चीतल चिंकारा, चौसिंगा, मगर, गोह आदि पाये जाते हैं।
वेलावदार राष्ट्रीय उद्यान यह भावनगर ज़िले में 34 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला है। इसमें ऊष्णकटिबंधीय कंटीले वन पाये जाते हैं। काला हिरण और भेड़िया इसके प्रमुख वन्य पशु हैं जबकि मोर सामान्य पक्षी है। बंसदा राष्ट्रीय उद्यान इसे बलसाड ज़िले में 1976 में स्थापित किया गया था। और इसका क्षेत्रफल 24 किमी. है। इस उद्यान में नम पर्णपाती वन हैं जबकि मोर मुख्य पक्षी है। मैरीन राष्ट्रीय उद्यान
1982 में राज्य के जामनगर ज़िले में स्थापित मेरीन राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 163 वर्ग किमी. है। ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित समुद्रीतटीय एवं दलदली भूमिवाले इस उद्यान में मैंग्रोव प्रजातियों के वृक्ष पाये जाते हैं जबकि अंशतः अर्द्धसदाहरित वन भी पाये जाते हैं। यहाँ वन्यजीवों में समुद्री गाय (डूगोंग), हरी त्वचावाले कछुए, खारेपानी के मगरमच्छ, ओलिव रिडले गोह, मुख्य हैं। पक्षियों में चमचाचोंच, जलमुर्गी, पीही आदि सामान्य रूप से पाये जाते हैं।
त्योहार

Nageshwar Mahadev, Dwarka, Gujarat
- भाद्रपद्र (अगस्त-सितंबर) मास के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी, पंचमी और षष्ठी के दिन तरणेतर गांव में भगवान शिव की स्तुति में तरणेतर मेला लगता है।
- भगवान कृष्ण द्वारा रुक्मणी से विवाह के उपलक्ष्य में चैत्र (मार्च-अप्रैल) के शुक्ल पक्ष की नवमी को पोरबंदर के पास माधवपुर में माधवराय मेला लगता है।
- उत्तरी गुजरात के बांसकांठा ज़िले में हर वर्ष मां अंबा को समर्पित अंबा जी मेला आयेजित किया जाता हैं।
- राज्य का सबसे बड़ा वार्षिक मेला द्वारका और डाकोर में भगवान कृष्ण के जन्मदिवस जन्माष्टमी के अवसर पर बड़े हर्षोल्लास से आयोजित होता है।
- इसके अतिरिक्त गुजरात में मकर संक्राति, नवरात्र, डांगी दरबार, शामला जी मेले तथा भावनाथ मेले का भी आयोजन किया जाता हैं।
पर्यटन स्थल
- गिर के जंगल में लायन सेंक्चुरी स्थित है।
- सोमनाथ मंदिर भी स्थित है।
- राज्य में द्वारका, सोमनाथ, पालीताना के निकट शत्रुंजय पहाड़ी, पावागढ़, अंबाजी भद्रेश्वर, शामलाजी, तरंगा और गिरनार जैसे धार्मिक स्थलों के अलावा महात्मा गाँधी की जन्मभूमि पोरबंदर तथा पुरातत्त्व और वास्तुकला की दृष्टि से उल्लेखनीय पाटन, सिद्धपुर, घुरनली, दभेई, बाडनगर, मोधेरा, लाथल और अमहदाबाद जैसे स्थान भी हैं।
- अहमदपुर मांडती, चारबाड़ उभारत और तीथल के सुंदर समुद्री तट, सतपुड़ा पर्वतीय स्थल, गिर वनों के शेरों का अभयारण्य और कच्छ में जंगली गधों का अभयारण्य भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।
टेरा
टेरा गुजरात राज्य के कच्छ शहर के पास स्थित है। यह स्थान अपनी अद्वितीय पारिस्थितिकी और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। इस प्राचीन क्षेत्र में रामायण की अपनी परम्परा है। यह रामरंध के नाम से जानी जाती है। टेरा के क़िले में कच्छी रामायण (रामरंध) के विभिन्न प्रकरणों को दर्शाते भित्तिचित्र चित्रित हैं।
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चित्र वीथिका
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महात्मा गाँधी जी की प्रतिमा
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लक्ष्मी विलास पैलेस, वड़ोदरा
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वड़ोदरा संग्रहालय
बाहरी कड़ियाँ
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 गुजरात (हिन्दी) (पी.एच.पी) भारत की आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 29 मार्च, 2011।
- ↑ Ramesh Chandra Majumdar (1977) The History and Culture of the Indian People: The classical age। Bharatiya Vidya Bhavan।
- ↑ Devadatta Ramakrishna Bhandarkar (1989) Some aspects of ancient Indian culture। Asian Educational Services। ISBN 8120604571, ISBN 9788120604575।