"पहेली जून 2016" के अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) ('{{फ़ॅसबुक पहेली}} {| class="bharattable-green" width="100%" |- | चित्र:Paheli-logo.png|right|120px...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replacement - "150px" to "100px") |
||
पंक्ति 113: | पंक्ति 113: | ||
-[[स्वामी श्रद्धानंद]] | -[[स्वामी श्रद्धानंद]] | ||
+[[महात्मा हंसराज|लाला हंसराज]] | +[[महात्मा हंसराज|लाला हंसराज]] | ||
− | ||[[चित्र:Mahatma-Hansraj.jpg|right| | + | ||[[चित्र:Mahatma-Hansraj.jpg|right|100px|महात्मा हंसराज]]'महात्मा हंसराज' [[पंजाब]] के प्रसिद्ध [[आर्य समाज|आर्य समाजी]] नेता, समाज सुधारक और शिक्षाविद थे। उनके महत्त्वपूर्ण योगदान और प्रयासों के फलस्वरूप ही देशभर में 'डी.ए.वी.' के नाम से 750 से भी अधिक विद्यालय व महाविद्यालय गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। [[स्वामी दयानन्द सरस्वती|स्वामी दयानन्द]] की स्मृति में एक शिक्षण संस्था की स्थापना का विचार बहुत समय से [[महात्मा हंसराज]] के मन में चल रहा था, पंरन्तु धन का अभाव उनके रास्ते में आ रहा था। उनके बड़े भाई लाला मुल्कराज स्वंय भी [[आर्य समाज]] के विचारों वाले व्यक्ति थे। उन्होंने हंसराज के सामने प्रस्ताव रखा कि वे इस शिक्षा संस्था का अवैतनिक प्रधानाध्यापक बनना स्वीकार कर लें। उनके भरण-पोषण के लिए वे हंसराज को अपना आधा वेतन अर्थात् तीस रुपये प्रति मास देते रहेगें। व्यक्तिगत सुख के ऊपर समाज की सेवा को प्रधानता देने वाले हंसराज ने संहर्ष ही इसे स्वीकर कर लिया। इस प्रकार [[1 जून]], [[1886]] को महात्मा हंसराज 'दयानन्द एंग्लो-वैदिक हाई स्कूल', लाहौर के अवैतनिक प्रधानाध्यापक बन गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महात्मा हंसराज]] |
{किसके कथनानुसार "कन्नड़ लिपि विश्व की सभी लिपियों की रानी है"? | {किसके कथनानुसार "कन्नड़ लिपि विश्व की सभी लिपियों की रानी है"? | ||
पंक्ति 217: | पंक्ति 217: | ||
-[[दुर्गाबाई देशमुख]] | -[[दुर्गाबाई देशमुख]] | ||
+[[पंडिता रमाबाई]] | +[[पंडिता रमाबाई]] | ||
− | ||[[चित्र:Pandita-ramabai.jpg|right| | + | ||[[चित्र:Pandita-ramabai.jpg|right|100px|पंडिता रमाबाई]]'पंडिता रमाबाई' प्रख्यात विदुषी समाज सुधारक और भारतीय नारियों को उनकी पिछड़ी हुई स्थिति से ऊपर उठाने के लिए समर्पित थीं। अंग्रेज़ी भाषा का ज्ञान प्राप्त करने के लिए [[पंडिता रमाबाई]] 1883 ई. में इंग्लैण्ड गई थीं। वहां दो [[वर्ष]] तक [[संस्कृत]] की प्रोफेसर रहने के बाद वे [[अमेरिका]] पहुंचीं। उन्होंने इंग्लैंड में [[ईसाई धर्म]] स्वीकार कर लिया था। अमेरिका में उनके प्रयत्न से "रमाबाई एसोसिएशन" बना, जिसने [[भारत]] के विधवा आश्रम का 10 वर्ष तक खर्च चलाने का जिम्मा लिया। इसके बाद वे [[1889]] में भारत लौटीं और विधवाओं के लिए '''शारदा सदन''' की स्थापना की। बाद में "कृपा सदन" नामक एक और महिला आश्रम बनाया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पंडिता रमाबाई]] |
{अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है? | {अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है? | ||
पंक्ति 241: | पंक्ति 241: | ||
-[[रामचंद्र शुक्ल]] | -[[रामचंद्र शुक्ल]] | ||
-[[रामधारी सिंह 'दिनकर']] | -[[रामधारी सिंह 'दिनकर']] | ||
− | ||[[चित्र:Bhadant Anand Kausalyayan.JPG|border|right| | + | ||[[चित्र:Bhadant Anand Kausalyayan.JPG|border|right|100px|भदन्त आनन्द कौसल्यायन]]'भदन्त आनन्द कौसल्यायन' प्रसिद्ध [[बौद्ध]] विद्वान, समाज सुधारक, लेखक तथा [[पालि भाषा]] के मूर्धन्य विद्वान् थे। ये पूरे जीवन घूम-घूमकर राष्ट्रभाषा [[हिन्दी]] का प्रचार-प्रसार करते रहे। [[भदन्त आनन्द कौसल्यायन]] बीसवीं शती में [[बौद्ध धर्म]] के सर्वश्रेष्ठ क्रियाशील व्यक्तियों में गिने जाते थे। ये दस वर्षों तक 'राष्ट्रभाषा प्रचार समिति', वर्धा के प्रधानमंत्री रहे थे। ये देशवासियों की समता के समर्थक थे। भदन्त आनन्द जी ने [[हिन्दी साहित्य]] के संवर्धन के लिए बहुत काम किया। बौद्ध जातक कथाओं को हिन्दी में उपलब्ध कराने का श्रेय उनको ही है। उनकी कुछ अन्य कृतियां भी प्रसिद्ध हैं, जैसे- 'जो भूल न सका', 'जो लिखना पड़ा', 'रेल का टिकट', 'दर्शन-वेद से मार्क्स तक' तथा '''राम कहानी राम की जबानी''' आदि।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भदन्त आनन्द कौसल्यायन]] |
</quiz> | </quiz> | ||
11:29, 15 दिसम्बर 2017 का अवतरण
वर्ष 2013 >> जुलाई 2013 • अगस्त 2013 • सितंबर 2013 • अक्तूबर 2013 • नवंबर 2013 • दिसंबर 2013
वर्ष 2014 >> जनवरी 2014 • फ़रवरी 2014 • मार्च 2014 • अप्रॅल 2014 • मई 2014 • जून 2014 • जुलाई 2014 • अगस्त 2014 • सितंबर 2014 • अक्टूबर 2014 • नवम्बर 2014 • दिसम्बर 2014
वर्ष 2015 >> जनवरी 2015 • फ़रवरी 2015 • मार्च 2015 • अप्रॅल 2015 • मई 2015 • जून 2015 • जुलाई 2015 • अगस्त 2015 • सितंबर 2015 • अक्टूबर 2015 • नवम्बर 2015 • दिसम्बर 2015
वर्ष 2016 >> जनवरी 2016 • फ़रवरी 2016 • मार्च 2016 • अप्रैल 2016 • मई 2016 • जून 2016 • जुलाई 2016 • अगस्त 2016 • सितंबर 2016 • अक्टूबर 2016 • नवंबर 2016 • दिसंबर 2016
वर्ष 2017 >> जनवरी 2017 • फ़रवरी 2017 • मार्च 2017 • अप्रैल 2017 • मई 2017 • जून 2017 • जुलाई 2017 • अगस्त 2017 • सितम्बर 2017 • अक्टूबर 2017 • नवम्बर 2017 • दिसम्बर 2017
वर्ष 2018 >> जनवरी 2018
टीका-टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेखसामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान
|