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'''कुछ धरा न होना''' एक प्रचलित [[कहावत लोकोक्ति मुहावरे|लोकोक्ति]] अथवा [[हिन्दी]] मुहावरा है।
 
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'''अर्थ'''- सार से रहित होना,बेदम होना।
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'''अर्थ'''- सार से रहित होना, बेदम होना।
  
'''प्रयोग'''- उसकी सारी सेना को एक [[कनखी]] से देखकर निडर [[कार्तिकेय]] ने समझ लिया कि इस सेना मे कुछ धरा नहीं हैं। ([[सीताराम चतुर्वेदी]])   
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'''प्रयोग'''- उसकी सारी सेना को एक [[कनखी]] से देखकर निडर [[कार्तिकेय]] ने समझ लिया कि इस सेना में कुछ धरा नहीं है। ([[सीताराम चतुर्वेदी]])   
  
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

11:19, 22 जून 2017 का अवतरण

कुछ धरा न होना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- सार से रहित होना, बेदम होना।

प्रयोग- उसकी सारी सेना को एक कनखी से देखकर निडर कार्तिकेय ने समझ लिया कि इस सेना में कुछ धरा नहीं है। (सीताराम चतुर्वेदी

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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