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10:34, 3 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
- बृहदारण्यकोपनिषद के अध्याय छठा का यह दूसरा ब्राह्मण है।
मुख्य लेख : बृहदारण्यकोपनिषद
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- इस ब्राह्मण में 'पंचाग्नि विद्या' को जानने और उसके प्रतिफल पर प्रकाश डाला गया है।
- इसमें श्वेतकेतु और प्रवाहण के संवादों से 'पंचाग्नि विद्या' की गति बतायी गयी है।
- छान्दोग्य उपनिषद के चौथे अध्याय में दसवें से सत्रहवें खण्ड तक इसका विस्तार है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख