- अक्रोध से क्रोध को जीतें, दुष्ट को भलाई से जीतें, कृपण को दान से जीतें और झूठ बोलनेवाले को सत्य से जीतें।
- पूर्णतया निंदित या पूर्णतया प्रशंसित पुरुष न था, न होगा, न आजकल है।
- आरोग्य परम लाभ है, संतोष परम धन है, विश्वास परम बंधु है और निर्वाण परम सुख।
- घृणा प्रेम से ही कम होती है, यही सर्वदा उसका स्वभाव रहा है।
- जिसने अपने को समझ लिया वह दूसरों को समझाने नहीं जाएगा।
- इस संसार में घृणा घृणा से भी कभी कम नहीं, घृणा प्रेम से ही कम होती है, यही सर्वदा उसका स्वभाव रहा है।
- धर्म का दान हमारे सारे दानों को जीत लेता है। धर्म रस सारे रसों को जीत लेता है। धर्म में प्रेम सारे प्रेमों को जीत लेता है।
- प्रेम से शोक उत्पन्न होता है, प्रेम से भय उत्पन्नहोता है, प्रेम से मुक्त को शोक नहीं, फिर भय कहां से?
- हर्ष के साथ शोक और भय इस प्रकार लगे हुए हैं जिस प्रकार प्रकाश के साथ छाया। सच्चा सुखी वही है जिसकी दृष्टि में दोनों समान हैं।
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इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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