- जो लक्ष्मी प्राणों के देने पर भी नहीं प्राप्त होती, वह चंचल होती हुई भी नीतिज्ञ मनुष्य के पास अपने आप दौड़ी चली आती है।
- मनुष्य को चाहिए कि वह अपनी बात की रक्षा करे। क्योंकि बात बिगड़ जाने पर विनाश हो जाता है।
- नीच व्यक्ति किसी प्रशंसनीय पद पर पहुंचने के बाद सबसे पहले अपने स्वामी को ही मारने को दौड़ता है।
- दु:ख की अवस्था में मनुष्य दैव को दोष देता है। वह अपने कर्मों का दोष नहीं देखता।
- कांच भी कंचन का संग पा जाने पर मरकत मणि की शोभा प्राप्त कर लेता है। उसी प्रकार सज्जनों का साथ करने से मूर्ख भी विद्वान् बन जाता है।
- साफ़ पैर में कीचड़ लपेटकर धोने की अपेक्षा उसे न लगने देना ही अच्छा है।
- जो महान् है, वह महान् पर ही वीरता दिखाता है।
- हे राजन्, क्षण भर का समय है ही क्या, यह समझने वाला मनुष्य मूर्ख होता है। और एक कौड़ी है ही क्या, यह सोचने वाला दरिद्र हो जाता है।
- सज्जन नारियल के समान ऊपर से कठोर, किंतु भीतर से कोमल होते हैं।
- न कोई किसी का मित्र है और न कोई किसी का शत्रु। संसार में व्यवहार से ही लोग मित्र और शत्रु होते रहते हैं।
- उत्साही, आलस्यहीन, बहादुर और पक्की मित्रता निभाने वाले मनुष्य के पास लक्ष्मी निवास करने के लिए स्वयं चली आती है।
- अनिष्ट से यदि इष्ट सिद्धि हो भी जाए, तो भी उसका परिणाम अच्छा नहीं होता।
- सब गुणों को दबाकर स्वभाव सबके सिर पर बैठ रहता है।
- स्वाभिमानी पुरुष मर मिटता है, पर किसी के सामने दीन नहीं बनता।
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इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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