शेख सादी के अनमोल वचन

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शेख सादी के अनमोल वचन
  • महासागर पत्थर फेंकने से चंचल नहीं होता। जो साधक खिन्न हो जाए वह अभी थोड़े पानी में है।
  • महान् लोग खेल में भी ऐसा शब्द नहीं कहते, जिससे चैतन्यशील उपदेश न लें।
  • अमीर जो ग़रीबों के समान नम्र हैं और ग़रीब जो कि अमीरों के समान उदार हैं, वही ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं।
  • जिसने विद्या पढ़ी और आचरण नहीं किया- वह उसके समान है, जिसने बैल जोता है और बीज नहीं बिखेरा है।
  • मैं ईश्वर से डरता हूं। ईश्वर के बाद मुख्यत: उससे डरता हूं जो ईश्वर से नहीं डरता।
  • लोगों के छिपे हुए ऐब ज़ाहिर मत करो। इससे उनकी इज्जत ज़रूर घट जाएगी, मगर तुम्हारा तो एतबार ही उठ जाएगा।
  • जो मनुष्य तौल कर बातें नहीं करता उसे कठोर बातें सुननी पड़ती हैं। ~ सादी
  • वह जो दूसरों का दोष तेरे सामने लाता है, निश्चय ही तेरे दोष भी दूसरों के सामने ले जाएगा।
  • दो चीज़ें बुद्धि की लज्जा हैं- बोलने के समय चुप रहना और चुप रहने के समय बोलना।
  • ज़रूरी नहीं कि जो रूप-रंग में ठीक हो, वह सद्गुण संपन्न भी हो।
  • बुरों पर दया करना भलों पर अत्याचार है, और अत्याचारियों को क्षमा करना पीड़ितों पर अत्याचार है।
  • दुखियों की दशा वही जानता है, जो अपनी परिस्थितियों से दुखी हो गया हो।
  • युवकों की उमंगों की वृद्धों से आशा मत करो। क्योंकि नदी का प्रवाहित जल दुबारा नहीं आता।
  • असंयमी विद्वान अंधा मशालदार है।
  • बुद्धि बिना शक्ति के छल और कलपना मात्र है और शक्ति के बिना बुद्धि मूर्खता और उन्माद है।
  • ज़रूरी नहीं कि जो रूप में ठीक हो, वह सद्गुण संपन्न भी हो।
  • दो बैर करने वालों के बीच में बात ऐसे कह दे कि यदि वे मित्र बन जाएं, तो तू लज्जित न हो।
  • हृदयहीन मनुष्य से उपासना नहीं होती।
  • हर मन एक माणिक्य है, उसे दुखाना किसी भी तरह अच्छा नहीं।


इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत



टीका टिप्पणी और संदर्भ


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