- कामना सरलता से लोभ बन जाती है और लोभ वासना बन जाता है।
- बुद्धिमत्ता का लक्ष्य स्वतंत्रता है। संस्कृति का लक्ष्य पूर्णता है। ज्ञान का लक्ष्य प्रेम है। शिक्षा का लक्ष्य चरित्र है।
- दिन को प्रेम से प्रारंभ करो, दिन को प्रेम से भरो, दिन को प्रेम से बिताओ, दिन को प्रेम से समाप्त करो- यही परमात्मा तक पहुंचने का मार्ग है।
- संपूर्ण विश्व में केवल एक ही जाति है- मानव जाति। एक ही भाषा है- प्रेम की भाषा।
- शांति और सुख बाह्य वस्तुएं नहीं हैं, वह तुम्हारे अंदर ही निवास करती हैं।
- संसार में रहो, परंतु संसार को अपने अंदर मत रहने दो। यही विवेक का लक्षण है।
- प्रत्येक प्राणी में सत्य की एक चिंगारी है। उसके बिना कोई जीवित नहीं रह सकता।
- सेवा करने वाले हाथ स्तुति करने वाले होठों की अपेक्षा अधिक पवित्र हैं।
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इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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