परिवर्तन (सूक्तियाँ)
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क्रमांक | सूक्तियाँ | सूक्ति कर्ता |
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(1) | बदलाव से पूरी मुक्ति मतलब ग़लतियों से पूरी मुक्ति है, लेकिन यह तो अकेली सर्वज्ञता का विशेषाधिकार है। | सी सी काल्टन |
(2) | सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं है। | |
(3) | हर चीज़ बदलती है, नष्ट कोई चीज़ नहीं होती। | अरविन्द घोष |
(4) | परिवर्तन ही सृष्टि है, जीवन है और स्थिर होना मृत्यु। | जयशंकर प्रसाद |
(5) | स्वयं को बदल दो भाग्य बदल जायेगा। | कहावत |
(6) | परिवर्तन नए अवसर लाता है। | नीडो क्युबैन |
(7) | परिवर्तन को जो ठुकरा देता है वह क्षय का निर्माता है, केवलमात्र मानव व्यवस्था जो प्रगति से विमुख है वह है क़ब्रगाह। | हैरल्ड विल्सन |
(8) | दुःखी होने पर प्रायः लोग आंसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते लेकिन जब वे क्रोधित होते हैं तो परिवर्तन ला देते हैं। | माल्कम एक्स |
(9) | मजबूरी की स्थिति आने से पहले ही परिवर्तन कर लें। | जैक वेल्च |
(10) | बहुधा वातावरण में परिवर्तन से कहीं अधिक व्यक्ति के भीतर ही बदलाव की ज़रूरत होती है। | ए सी बेंसन |
(11) | दुनिया परिवर्तन से नफरत करती है, लेकिन यही एकमात्र वस्तु है जिससे प्रगति का जन्म हुआ है। | चार्ल्स कैट्टरिंग |
(12) | आपके सिवाए आपकी खुशियों का नियंत्रण किसी ओर के पास नहीं है; इसलिए, आपके पास अपनी किसी भी स्थिति को परिवर्तन करने की शक्ति है। | बारबरा डे एंजेलिस |
(13) | हमारे शरीर को नियमितता भाती है, लेकिन मन सदैव परिवर्तन चाहता है। | |
(14) | हम मात्र प्रवचन से नहीं अपितु आचरण से परिवर्तन करने की संस्कृति में विश्वास रखते हैं। | |
(15) | परिवर्तन के बीच व्यवस्था और व्यवस्था के बीच परिवर्तन को बनाये रखना ही प्रगति की कला है। | अल्फ्रेड ह्वाइटहेड |
(16) | समय परिवर्तन का धन है। परंतु घड़ी उसे केवल परिवर्तन के रूप में दिखाती है, धन के रूप में नहीं। | रवींद्रनाथ ठाकुर |
(17) | हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं। | महात्मा गाँधी |
(18) | अपने जीवन में परिवर्तन करने के लिए तत्काल कार्य करना आरम्भ करें, ऐसा शानदार ढ़ंग से करें, इसमें कोई अपवाद नहीं है। | विलियम जेम्स |
(19) | मेरी पीढ़ी की महानतम खोज यह रही है कि मनुष्य अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन कर के अपने जीवन को बदल सकता है। | विलियम जेम्स (1842-1910), अमरीकी दार्शनिक |
(20) | जब आर्थिक परिवर्तन की प्रगति बहुत बढ़ जाती है, पर शासन तंत्र जैसा का तैसा बना रहता है, तब दोनों के बीच बहुत बड़ा अंतर आ जाता है। प्राय: यह अंतर एक
आकस्मिक परिवर्तन से दूर होता है, जिसे क्रांति कहते हैं। |
जवाहरलाल नेहरू |
(21) | परिवर्तन ही सृष्टि है, जीवन है। स्थिर होना मृत्यु है। | जयशंकर प्रसाद |
(22) | संगत से चरित्र में परिवर्तन नहीं होता। ढाल और तलवार सदा एक साथ रहती है, पर फिर भी एक घातक है और दूसरी रक्षक। दोनों का स्वभाव भिन्न है। | दयाराम |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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