कँगूरा - संज्ञा पुल्लिंग (फ़ारसी कंगूरह) (विशेषण कँगूरेदार)[1]
1. शिखर। चोटी।
उदाहरण-
कौतुकी कपीश कुदि कनक कंगूरा चढ़ि रावन भवन जाइ ठाढ़ो तेहि काल भो। - तुलसी साहब की शब्दावली[2]
2. कोट या किले की दीवार में थोड़ी थोड़ी दूर पर बने हुए स्थान जिनका सिरा दीवार से कुछ ऊंचा निकला होता है और जहाँ से छिपे सिपाही निशाना लगाते हैं। बुर्ज।
उदाहरण-
कोट कंगूरन चढ़ि गए कोटि कोटि रणधीर। - तुलसी साहब की शब्दावली[3]
3. मंदिर आदि का ऊपरी कलश आदि।
4. कंगूरे के आकार का छोटा रवा।
5. नथ के चंदक आदि पर का वह उभाड़ जो छोटे-छोटे रवों को शिखराकार रखकर बनाया जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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