कछुइक - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) विशेषण (हिन्दी कछु+एक)[1]
थोड़ा सा। किंचित। कुछ कुछ। कुछ एक।
उदाहरण-
(क) सुमना जाति मल्लिका, उत्तम गंधा आस। कछु इक तुब तब बास सों, मिलति जासु की बास। - नंददास ग्रंथावली[2]
(ख) दत्तात्रेय सुखदेव जी कहे कछु इक बैन। - सुंदरदास ग्रंथावली[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 744 |
- ↑ नंददास ग्रंथावली, पृष्ठ 105, सं. ब्रजरत्नदास, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण
- ↑ सुंदरदास ग्रंथावली, भाग 2, पृष्ठ 787, सम्पादक हरिनारायण शर्मा, राजस्थान रिसर्च सोसाइटी, कलकत्ता, प्रथम संस्करण
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