कंद्रप - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कन्दर्प)[1]
उदाहरण-
सरस परस्पर मुदित, उदित कंदर्प तन चीने। - हम्मीर रासो[2]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 726 |
- ↑ हम्मीर रासो, पृष्ठ 43, सम्पादक श्यामसुन्दर दास, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण
संबंधित लेख
|