"सत्यवान मुनि": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
 
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*सत्यवान प्राचीनकाल के एक शांत प्रकृति के मुनि थे।  
*सत्यवान प्राचीनकाल के एक शांत प्रकृति के मुनि थे।  
*एक दिन सत्यवान अपनी तपस्या में रत थे। उनकी तपस्या भंग करने के निमित्त से [[इंद्र]] एक सैनिक के रूप में उनके आश्रम में गये।  
*एक दिन सत्यवान अपनी तपस्या में रत थे। उनकी तपस्या भंग करने के निमित्त से [[इंद्र]] एक सैनिक के रूप में उनके आश्रम में गये।  
*इंद्र ने मुनि को धरोहरस्वरूप एक खड्ग अर्पित की।  
*इंद्र ने मुनि को धरोहरस्वरूप एक [[खड्ग]] अर्पित की।  
*सत्यवान मुनि का ध्यान निरन्तर खड्ग की चिन्ता में रत रहने लगा। उनका तप धीरे-धीरे क्षीण होने लगा और क्रोध वृद्धि जागने लगी। धीरे-धीरे वह एक क्रोधी क्रूर व्यक्ति के रूप में नरक के अधिकारी बने।<ref>(पुस्तक 'भारतीय मिथक कोश') पृष्ठ संख्या-332</ref>
*सत्यवान मुनि का ध्यान निरन्तर खड्ग की चिन्ता में रत रहने लगा। उनका तप धीरे-धीरे क्षीण होने लगा और क्रोध वृद्धि जागने लगी। धीरे-धीरे वह एक क्रोधी क्रूर व्यक्ति के रूप में नरक के अधिकारी बने।




पंक्ति 15: पंक्ति 15:
{{संदर्भ ग्रंथ}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय मिथक कोश|लेखक= डॉ. उषा पुरी विद्यावाचस्पति|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=332|url=}}
<references/>
<references/>
{{ॠषि-मुनि2}}{{ॠषि-मुनि}}{{पौराणिक चरित्र}}  
{{ऋषि मुनि2}}{{ऋषि मुनि}}{{पौराणिक चरित्र}}  
[[Category:पौराणिक चरित्र]]
[[Category:पौराणिक चरित्र]]
[[Category:पौराणिक कोश]][[Category:ॠषि मुनि]]
[[Category:पौराणिक कोश]][[Category:ऋषि मुनि]]
[[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]]
[[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]]
[[Category:नया पन्ना]]
__INDEX__
__INDEX__

06:00, 6 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण

  • सत्यवान प्राचीनकाल के एक शांत प्रकृति के मुनि थे।
  • एक दिन सत्यवान अपनी तपस्या में रत थे। उनकी तपस्या भंग करने के निमित्त से इंद्र एक सैनिक के रूप में उनके आश्रम में गये।
  • इंद्र ने मुनि को धरोहरस्वरूप एक खड्ग अर्पित की।
  • सत्यवान मुनि का ध्यान निरन्तर खड्ग की चिन्ता में रत रहने लगा। उनका तप धीरे-धीरे क्षीण होने लगा और क्रोध वृद्धि जागने लगी। धीरे-धीरे वह एक क्रोधी क्रूर व्यक्ति के रूप में नरक के अधिकारी बने।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय मिथक कोश |लेखक: डॉ. उषा पुरी विद्यावाचस्पति |प्रकाशक: नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 332 |