नवनीत कुमार (वार्ता | योगदान) |
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'''हारीत''' का उल्लेख पौराणिक [[ग्रंथ]] [[महाभारत]] में हुआ है। [[महाभारत वन पर्व]] और [[महाभारत शान्ति पर्व]] के अनुसार ये एक प्राचीन [[ऋषि]] का नाम है, जो [[युधिष्ठिर]] का विशेष सम्मान करते थे। ये शर-शैय्या पर पड़े [[भीष्म|भीष्म पितामह]] को देखने गये थे।<ref>महाभारत वन पर्व 26.23; महाभारत शान्ति पर्व 47.7</ref> | '''हारीत''' का उल्लेख पौराणिक [[ग्रंथ]] [[महाभारत]] में हुआ है। [[महाभारत वन पर्व]] और [[महाभारत शान्ति पर्व]] के अनुसार ये एक प्राचीन [[ऋषि]] का नाम है, जो [[युधिष्ठिर]] का विशेष सम्मान करते थे। ये शर-शैय्या पर पड़े [[भीष्म|भीष्म पितामह]] को देखने गये थे।<ref>महाभारत वन पर्व 26.23; महाभारत शान्ति पर्व 47.7</ref> | ||
05:25, 2 मार्च 2016 के समय का अवतरण
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हारीत का उल्लेख पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत वन पर्व और महाभारत शान्ति पर्व के अनुसार ये एक प्राचीन ऋषि का नाम है, जो युधिष्ठिर का विशेष सम्मान करते थे। ये शर-शैय्या पर पड़े भीष्म पितामह को देखने गये थे।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 550 |
- ↑ महाभारत वन पर्व 26.23; महाभारत शान्ति पर्व 47.7
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