"आलंदी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
(5 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
[[चित्र:Alandi.jpg|thumb|आलंदी का एक दृश्य, [[महाराष्ट्र]]]] | [[चित्र:Alandi.jpg|thumb|आलंदी का एक दृश्य, [[महाराष्ट्र]]]] | ||
'''आलंदी''' [[महाराष्ट्र|महाराष्ट्र राज्य]], [[पुणे]] से 13 मील दूरी पर स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है, जो एक [[तीर्थ स्थान]] के रूप में प्रचलित है। | |||
* | *यह [[महाराष्ट्र]] के प्रसिद्ध [[संत ज्ञानेश्वर]] की समाधि-स्थलि के रूप में प्रसिद्ध है। | ||
*कहा जाता है कि ज्ञानेश्वर ने जीवित समाधि ली थी। | *कहा जाता है कि संत ज्ञानेश्वर ने यहाँ जीवित समाधि ली थी। | ||
*आलंदी इंद्रायणी के तट पर है। | *आलंदी '''इंद्रायणी नदी''' के तट पर है।<ref>* ऐतिहासिक स्थानावली| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार, पृष्ठ संख्या - 70</ref> | ||
*यहाँ उनका समाधि मंदिर है। | |||
*आलंदी में वह दीवार भी नगर से बाहर है जिसे चांगदेव से मिलने के लिए ज्ञानेश्वर ने चलाया था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम= हिन्दूओं के तीर्थ स्थान|लेखक= सुदर्शन सिंह 'चक्र'|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=|संकलन=|संपादन=|पृष्ठ संख्या=197|url=}}</ref> | |||
{{ | {{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थान}} | {{महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थान}}{{महाराष्ट्र_के_धार्मिक_स्थल}} | ||
[[Category:महाराष्ट्र]] | [[Category:महाराष्ट्र]][[Category:महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:महाराष्ट्र के धार्मिक स्थल]] | ||
[[Category:महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थान]] | [[Category:ऐतिहासिक स्थानावली]] | ||
[[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] | |||
[[Category: | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
10:54, 5 मई 2018 के समय का अवतरण

आलंदी महाराष्ट्र राज्य, पुणे से 13 मील दूरी पर स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है, जो एक तीर्थ स्थान के रूप में प्रचलित है।
- यह महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत ज्ञानेश्वर की समाधि-स्थलि के रूप में प्रसिद्ध है।
- कहा जाता है कि संत ज्ञानेश्वर ने यहाँ जीवित समाधि ली थी।
- आलंदी इंद्रायणी नदी के तट पर है।[1]
- यहाँ उनका समाधि मंदिर है।
- आलंदी में वह दीवार भी नगर से बाहर है जिसे चांगदेव से मिलने के लिए ज्ञानेश्वर ने चलाया था।[2]
|
|
|
|
|