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'''यायावर''' नाम के एक [[ऋषि]] का विवरण [[हिन्दू]] पौराणिक [[महाभारत|महाकाव्य महाभारत]] में मिलता है। ये जरत्कारु ऋषि के पूर्वपुरुष थे, जो वंश न चलने के दु:ख से उल्टे लटके रहते थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम= महाभारत शब्दकोश|लेखक= एस. पी. परमहंस|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या= 89|url=}}</ref> | '''यायावर''' नाम के एक [[ऋषि]] का विवरण [[हिन्दू]] पौराणिक [[महाभारत|महाकाव्य महाभारत]] में मिलता है। ये जरत्कारु ऋषि के पूर्वपुरुष थे, जो वंश न चलने के दु:ख से उल्टे लटके रहते थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम= महाभारत शब्दकोश|लेखक= एस. पी. परमहंस|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या= 89|url=}}</ref> | ||
07:52, 3 जनवरी 2016 के समय का अवतरण
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एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- यायावर (बहुविकल्पी) |
यायावर नाम के एक ऋषि का विवरण हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में मिलता है। ये जरत्कारु ऋषि के पूर्वपुरुष थे, जो वंश न चलने के दु:ख से उल्टे लटके रहते थे।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 89 |
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