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जन्म
के. जी. बालकृष्णन (12 मई) फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल (12 मई) कृष्ण चन्द्र भट्टाचार्य (12 मई) जे. कृष्णमूर्ति (12 मई) के. पलानीस्वामी (12 मई) नंदू नाटेकर (12 मई) घनश्याम नायक (12 मई) मृणालिनी साराभाई (11 मई) सआदत हसन मंटो (11 मई) एस. एम. श्रीनागेश (11 मई) के. वी. के. सुंदरम (11 मई) शक्ति सिन्हा (11 मई) सागर सरहदी (11 मई)
मृत्यु
शमशेर बहादुर सिंह (12 मई) सुचित्रा भट्टाचार्य (12 मई) धनंजय कीर (12 मई) नृत्यांगना अलकनन्दा (12 मई) आबिदा सुल्तान (11 मई)

आज का दिन - 11 मई 2025 (भारतीय समयानुसार)



विशेष आलेख

कृष्ण
कृष्ण

छांदोग्य उपनिषद(3,17,6), जिसमें देवकी पुत्र कृष्ण का उल्लेख है और उन्हें घोर आंगिरस का शिष्य कहा है। परवर्ती साहित्य में श्रीकृष्ण को देव या विष्णु रूप में प्रदर्शित करने का भाव मिलता है।<balloon title="(दे० तैत्तिरीय आरण्यक, 10, 1, 6; पाणिनि-अष्टाध्यायी, 4, 3, 98 आदि)" style=color:blue>*</balloon>

महाभारत तथा हरिवंश, विष्णु, ब्रह्म, वायु, भागवत, पद्म, देवी भागवत अग्नि तथा ब्रह्मवर्त पुराणों में उन्हें प्राय: भगवान के रूप में ही दिखाया गया है। इन ग्रंथो में यद्यपि कृष्ण के आलौकिक तत्व की प्रधानता है तो भी उनके मानव या ऐतिहासिक रूप के भी दर्शन यत्र-तत्र मिलते हैं। पुराणों में कृष्ण-संबंधी विभिन्न वर्णनों के आधार पर कुछ पाश्चात्य विद्वानों को यह कल्पना करने का अवसर मिला कि कृष्ण ऐतिहासिक पुरुष नहीं थे। इस कल्पना की पुष्टि में अनेक दलीलें दी गई हैं, जो ठीक नहीं सिद्ध होती। यदि महाभारत और पुराणों के अतिरिक्त, ब्राह्मण-ग्रंथों तथा उपनिषदों के उल्लेख देखे जायें तो कृष्ण के ऐतिहासिक तत्व का पता चल जायगा। बौद्ध-ग्रंथ घट जातक तथा जैन-ग्रंथ उत्तराध्ययन सूत्र से भी श्रीकृष्ण का ऐतिहासिक होना सिद्ध है। यह मत भी भ्रामक है कि ब्रज के कृष्ण, द्वारका के कृष्ण तथा महाभारत के कृष्ण एक न होकर अलग-अलग व्यक्ति थे।<balloon title="(श्रीकृष्ण की ऐतिहासिकता तथा तत्संबंधी अन्य समस्याओं के लिए देखिए- राय चौधरी-अर्ली हिस्ट्री आफ वैष्णव सेक्ट, पृ० 39, 52; आर०जी० भंडारकार-ग्रंथमाला, जिल्द 2, पृ० 58-291; विंटरनीज-हिस्ट्री आफ इंडियन लिटरेचर, जिल्द 1, पृ० 456; मैकडॉनल तथा कीथ-वैदिक इंडेक्स, जि० 1, पृ० 184; ग्रियर्सन-एनसाइक्लोपीडिया आफ रिलीजंस (`भक्ति' पर निबंध); भगवानदास-कृष्ण; तदपत्रिकर-दि कृष्ण प्रायलम; पार्जीटर-ऎश्यंट इंडियन हिस्टारिकल ट्रेडीशन आदि।)" style=color:blue>*</balloon>

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सूक्ति और कहावत

  • जब तक जीना, तब तक सीखना - अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है। -स्वामी विवेकानन्द
  • यह मनुष्य अन्तकाल में जिस-जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग करता है, वह उस-उस को ही प्राप्त होता हैं; क्योंकि वह सदा उसी भाव से भावित रहा है । - श्रीमद्भागवत गीता
  • इतिहास याने अनादिकाल से अब तक का सारा जीवन । पुराण याने अनादि काल से अब तक टिका हुआ अनुभव का अमर अंश। -विनोबा भावे
  • जीवन का कार्यक्रम है रचनात्मक, विनाशात्मक नहीं;
    मनुष्य का कर्तव्य है अनुराग, विराग नहीं। -भगवतीचरण वर्मा
  • ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता । - हजारीप्रसाद द्विवेदी
  • शब्द खतरनाक वस्तु हैं । सर्वाधिक खतरे की बात तो यह है कि वे हमसे यह कल्पना करा लेते हैं कि हम बातों को समझते हैं जबकि वास्तव में हम नहीं समझते । - चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य

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दर्शन

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कुम्भ मेला, वृन्दावन
कुम्भ मेला, वृन्दावन

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