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*चन्द्रवंशी राजा दुष्यंत के माता-पिता के नाम के सम्बन्ध में भिन्न-भिन्न मत है। भागवत रैभ को हरिवंश में सुंत को, [[महाभारत]] में ऐति को और [[वायु पुराण]] में मल्लि को इसका पिता बताया गया है।  
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'''राजा दुष्यंत''' [[चन्द्रवंश|चन्द्रवंशी]] राजा थे जिनके माता-पिता के नाम के सम्बन्ध में भिन्न-भिन्न मत है। [[भागवत पुराण|भागवत]] और [[विष्णु पुराण]] रैभ्य (रैभ) को [[हरिवंश पुराण|हरिवंश]] में सुंत को, [[महाभारत]] में ऐति को और [[वायु पुराण]] में मल्लि को इसका पिता बताया गया है।  
 
*इसी प्रकार कहीं पर माँ का नाम उपदानवी मिलता है और कहीं पर स्तनतरी।  
 
*इसी प्रकार कहीं पर माँ का नाम उपदानवी मिलता है और कहीं पर स्तनतरी।  
*महाभारत के अनुसार दुष्यंत एक बार शिकार खेलते हुए [[कण्व]] ॠषि के आश्रम में जा पहुँचे। वहाँ [[मेनका]] अप्सरा के गर्भ से उत्पन्न [[विश्वामित्र]] की अति सुंदरी कन्या [[शकुन्तला]] पर मुग्ध हो गए। दोनों ने गंधर्व विवाह कर लिया।
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*महाभारत के अनुसार दुष्यंत एक बार शिकार खेलते हुए [[कण्व]] ॠषि के आश्रम में जा पहुँचे। वहाँ [[मेनका]] अप्सरा के गर्भ से उत्पन्न [[विश्वामित्र]] की अति सुंदरी कन्या [[शकुन्तला]] पर मुग्ध हो गए। दोनों ने [[गंधर्व विवाह]] कर लिया, और उसे वहीं छोड़कर अपनी राजधानी लौट गया।
*इस विवाह से [[भरत (दुष्यंत पुत्र)|भरत]] नाम के प्रतापी पुत्र का जन्म हुआ था। भरत श्रीहरि का अंशावतार था। उसके हाथ में चक्र तथा पैरों में कमलकोश का चिन्ह था।  
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*शकुंतला का लालन-पालन कण्व ऋषि ने किया था, क्योंकि मेनका उसे वन में छोड़ गयी थी। कण्व बाहर गये हुए थे। लौटने पर उनको सब समाचार विदित हुए।
*कहते हैं, देश का नाम 'भारत' इसी के नाम पर पड़ा। कण्व ॠषि के आने पर जब गर्भवती शकुन्तला दुष्यंत के पास पहुँची तो लोकलाजवश राजा ने उसे स्वीकार नहीं किया। किन्तु बाद में आकाशवाणी होने पर उसे अपनी भूल का पता चला और शकुन्तला को पतिगृह में स्थान मिला।
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*शकुंतला ने भरत नामक पुत्र को जन्म दिया। कण्व ने उनको नगर पहुँचाने की व्यवस्था की पहले तो दुष्यंत ने उसे ग्रहण नहीं किया, किन्तु बाद में आकाशवाणी होने पर उसे अपनी भूल का पता चला और शकुन्तला को पतिगृह में स्थान मिला।
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*भरत श्रीहरि का अंशावतार था। उसके हाथ में चक्र था तथा पैरों में कमलकोश का चिह्न था।  
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*कहते हैं, देश का नाम 'भारत' इसी के नाम पर पड़ा। <ref>इतिहासकार भरत को क़बीला मानकर उससे नामकरण मानते हैं।</ref>
 
*[[कालिदास]] ने अपने नाटक 'अभिज्ञान शाकुंतल' में [[दुर्वासा]] के शाप और राजा की अंगूठी खोने की जो घटना दी है, वह महाभारत की मूल कहानी से भिन्न है। उसे लोग कवि-कल्पना मानते हैं।
 
*[[कालिदास]] ने अपने नाटक 'अभिज्ञान शाकुंतल' में [[दुर्वासा]] के शाप और राजा की अंगूठी खोने की जो घटना दी है, वह महाभारत की मूल कहानी से भिन्न है। उसे लोग कवि-कल्पना मानते हैं।
  
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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12:55, 12 मई 2016 के समय का अवतरण

दुष्यंत शकुंतला से विवाह का प्रस्ताव रखते हुए

राजा दुष्यंत चन्द्रवंशी राजा थे जिनके माता-पिता के नाम के सम्बन्ध में भिन्न-भिन्न मत है। भागवत और विष्णु पुराण रैभ्य (रैभ) को हरिवंश में सुंत को, महाभारत में ऐति को और वायु पुराण में मल्लि को इसका पिता बताया गया है।

  • इसी प्रकार कहीं पर माँ का नाम उपदानवी मिलता है और कहीं पर स्तनतरी।
  • महाभारत के अनुसार दुष्यंत एक बार शिकार खेलते हुए कण्व ॠषि के आश्रम में जा पहुँचे। वहाँ मेनका अप्सरा के गर्भ से उत्पन्न विश्वामित्र की अति सुंदरी कन्या शकुन्तला पर मुग्ध हो गए। दोनों ने गंधर्व विवाह कर लिया, और उसे वहीं छोड़कर अपनी राजधानी लौट गया।
  • शकुंतला का लालन-पालन कण्व ऋषि ने किया था, क्योंकि मेनका उसे वन में छोड़ गयी थी। कण्व बाहर गये हुए थे। लौटने पर उनको सब समाचार विदित हुए।
  • शकुंतला ने भरत नामक पुत्र को जन्म दिया। कण्व ने उनको नगर पहुँचाने की व्यवस्था की पहले तो दुष्यंत ने उसे ग्रहण नहीं किया, किन्तु बाद में आकाशवाणी होने पर उसे अपनी भूल का पता चला और शकुन्तला को पतिगृह में स्थान मिला।
  • भरत श्रीहरि का अंशावतार था। उसके हाथ में चक्र था तथा पैरों में कमलकोश का चिह्न था।
  • कहते हैं, देश का नाम 'भारत' इसी के नाम पर पड़ा। [1]
  • कालिदास ने अपने नाटक 'अभिज्ञान शाकुंतल' में दुर्वासा के शाप और राजा की अंगूठी खोने की जो घटना दी है, वह महाभारत की मूल कहानी से भिन्न है। उसे लोग कवि-कल्पना मानते हैं।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. इतिहासकार भरत को क़बीला मानकर उससे नामकरण मानते हैं।

संबंधित लेख

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