हितोपदेश के अनमोल वचन

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हितोपदेश के अनमोल वचन
  • शास्त्रों द्वारा नाना प्रकार के संशयों का निराकरण और परोक्ष विषयों का ज्ञान होता है। इसलिए शास्त्र सभी के नेत्ररूप हैं। इसीलिए कहा जाता है कि जिसे शास्त्रों का ज्ञान नहीं है, वह एक प्रकार से अंधा है।
  • यदि कुछ न हो तो प्रेमपूर्वक बोलकर ही अतिथि का सत्कार करना चाहिए।
  • शास्त्र पढ़ कर भी लोग मूर्ख होते हैं, किंतु जो उसके अनुसार आचरण करता है वह विद्वान होता है। रोगियो के लिए भली भांति सोचकर तय की गई दवा का नाम लेने भर से किसी को रोग से छुटकारा नहीं मिल सकता।
  • मुंह के सामने मीठी बाते करने और पीठ पीछे छुरी चलाने वाले मित्र को दुधमुंहे विष भरे घड़े की तरह छोड़ दे।
  • शास्त्र पढ़कर भी लोग मूर्ख होते हैं, किंतु जो उसके अनुसार आचरण करता है, वस्तुत: वही विद्वान है।
  • श्रम करने से ही कार्य सिद्ध होते हैं, केवल मनोरथ करने से नहीं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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