"अर्जुन मुंडा": अवतरणों में अंतर
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'''अर्जुन मुंडा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Arjun Munda'', जन्म- [[3 मई]], [[1968]]) [[झारखण्ड]] से [[भारतीय जनता पार्टी]] के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ हैं। वे सत्रहवीं लोकसभा के सांसद हैं, जहाँ उन्हें [[नरेंद्र मोदी]] के मंत्रिमण्डल में '''जनजातीय मामलों''' | |चित्र=Arjun-Munda.jpg | ||
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}}'''अर्जुन मुंडा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Arjun Munda'', जन्म- [[3 मई]], [[1968]]) [[झारखण्ड]] से [[भारतीय जनता पार्टी]] के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ हैं। वे सत्रहवीं लोकसभा के सांसद हैं, जहाँ उन्हें [[नरेंद्र मोदी]] के मंत्रिमण्डल में '''जनजातीय मामलों का मंत्री''' बनाया गया है। अर्जुन मुंडा [[:श्रेणी:पंद्रहवीं लोकसभा सांसद|पंद्रहवीं लोकसभा]] के भी सदस्य चुने गये थे। युवावस्था से ही वह राजनीति के प्रति आकर्षित थे और [[1980]] के दशक के अंत में हुए बिहार-झारखंड विभाजन आंदोलन में शामिल हुए। यह आंदोलन 'झारखंड मुक्ति मोर्चा' के नेतृत्व में चलाया जा रहा था। अर्जुन मुंडा [[1995]] में पहली बार बिहार राज्यसभा में खरसवान जिले से निर्वाचित हुए। इसके बाद [[2000]] में वे भाजपा के उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। [[2000]] में ही झारखंड राज्य की स्थापना हुई और [[2003]] में मुंडा झारखंड के [[मुख्यमंत्री]] बनें। इसके बाद [[2005]] में भी उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। [[11 सितंबर]], [[2010]] से [[18 जनवरी]], [[2013]] तक वे झारखंड के मुख्यमंत्री रहे। | |||
==परिचय== | |||
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==राजनीतिक शुरुआत== | |||
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==कॅरियर== | |||
अर्जुन मुंडा ने [[1980]] के दशक में 'झारखंड मुक्ति मोर्चा' की अध्यक्षता में झारखंड आंदोलन के साथ बहुत ही कम उम्र में अपना राजनीतिक कॅरियर शुरू किया। इस आंदोलन के पीछे अर्जुन मुंडा का विचार [[बिहार]] के दक्षिणी क्षेत्र में एक आदिवासी राज्य का निर्माण करना था। उनकी लोकप्रियता जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों की मदद करने से काफी बढ़ गई और [[1995]] में अर्जुन मुंडा को बिहार विधानसभा के लिए निर्वाचित किया गया, जो कि उस समय खरसावाँ का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। अर्जुन मुंडा ने वर्ष [[2000]] और [[2005]] के चुनाव में उस सीट को बरकरार रखा, लेकिन वर्ष [[2000]] में अर्जुन मुंडा ने [[भारतीय जनता पार्टी]] का प्रतिनिधित्व किया। अर्जुन मुंडा [[11 सितंबर]], [[2010]] से [[8 जनवरी]], [[2013]] तक [[झारखंड के मुख्यमंत्री]] रहे। उन्होंने [[9 जनवरी]], [[2013]] को [[मुख्यमंत्री]] पद से इस्तीफा दे दिया। | |||
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अर्जुन मुंडा
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पूरा नाम | अर्जुन मुंडा |
जन्म | 3 मई, 1968 |
जन्म भूमि | खरंगाझार, जमशेदपुर, झारखंड |
पति/पत्नी | मीरा मुंडा |
संतान | तीन पुत्र |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) |
पद | जनजातिय मामलों के मंत्री, भारत सरकार- 30 मई, 2019 से मुख्यमंत्री, झारखंड- तीन बार |
अन्य जानकारी | अर्जुन मुंडा ने 1980 के दशक में 'झारखंड मुक्ति मोर्चा' की अध्यक्षता में झारखंड आंदोलन के साथ बहुत ही कम उम्र में अपना राजनीतिक कॅरियर शुरू किया था। |
अद्यतन | 12:49, 10 जुलाई 2021 (IST)
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अर्जुन मुंडा (अंग्रेज़ी: Arjun Munda, जन्म- 3 मई, 1968) झारखण्ड से भारतीय जनता पार्टी के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ हैं। वे सत्रहवीं लोकसभा के सांसद हैं, जहाँ उन्हें नरेंद्र मोदी के मंत्रिमण्डल में जनजातीय मामलों का मंत्री बनाया गया है। अर्जुन मुंडा पंद्रहवीं लोकसभा के भी सदस्य चुने गये थे। युवावस्था से ही वह राजनीति के प्रति आकर्षित थे और 1980 के दशक के अंत में हुए बिहार-झारखंड विभाजन आंदोलन में शामिल हुए। यह आंदोलन 'झारखंड मुक्ति मोर्चा' के नेतृत्व में चलाया जा रहा था। अर्जुन मुंडा 1995 में पहली बार बिहार राज्यसभा में खरसवान जिले से निर्वाचित हुए। इसके बाद 2000 में वे भाजपा के उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। 2000 में ही झारखंड राज्य की स्थापना हुई और 2003 में मुंडा झारखंड के मुख्यमंत्री बनें। इसके बाद 2005 में भी उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। 11 सितंबर, 2010 से 18 जनवरी, 2013 तक वे झारखंड के मुख्यमंत्री रहे।
परिचय
अर्जुन मुंडा का जन्म 3 मई, 1968 को जमशेदपुर के खरंगाझार (पहले बिहार का एक भाग) में स्वर्गीय गणेश और साइरा मुंडा के यहाँ हुआ था। वह परिवार के पांच बच्चों में से सबसे छोटे हैं। उनके एक भाई और तीन बहनें हैं। अर्जुन मुंडा ने एक स्थानीय स्कूल से अपनी पढ़ाई की और 'इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय' से समाजशास्त्र में अपना डिप्लोमा पूरा किया। अर्जुन मुंडा ने मीरा मुंडा से विवाह किया और उनके तीन बेटे हैं।
राजनीतिक शुरुआत
अप्रैल 2009 में जमशेदपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए अर्जुन मुंडा को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नामित किया, हालांकि राज्य की राजनीति में ज्यादा दिलचस्पी न होने के कारण वह बहुत उत्सुक नहीं थे, परन्तु बाद में इन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। अर्जुन मुंडा का जमशेदपुर शहर के साथ लंबे समय से संबंध था, क्योंकि यहीं पर अर्जुन मुंडा का जन्म हुआ और यहीं से उन्होंने अपने जीवन की शुरूआत की और समय के साथ यह साबित हुआ कि एक जिले का विकास केवल उस व्यक्ति द्वारा संभव है, जो किसी निश्चित जगह और सार्वजनिक प्रशासन में एक सफल व्यवसाय का अनुलग्नक हो।
कॅरियर
अर्जुन मुंडा ने 1980 के दशक में 'झारखंड मुक्ति मोर्चा' की अध्यक्षता में झारखंड आंदोलन के साथ बहुत ही कम उम्र में अपना राजनीतिक कॅरियर शुरू किया। इस आंदोलन के पीछे अर्जुन मुंडा का विचार बिहार के दक्षिणी क्षेत्र में एक आदिवासी राज्य का निर्माण करना था। उनकी लोकप्रियता जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों की मदद करने से काफी बढ़ गई और 1995 में अर्जुन मुंडा को बिहार विधानसभा के लिए निर्वाचित किया गया, जो कि उस समय खरसावाँ का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। अर्जुन मुंडा ने वर्ष 2000 और 2005 के चुनाव में उस सीट को बरकरार रखा, लेकिन वर्ष 2000 में अर्जुन मुंडा ने भारतीय जनता पार्टी का प्रतिनिधित्व किया। अर्जुन मुंडा 11 सितंबर, 2010 से 8 जनवरी, 2013 तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने 9 जनवरी, 2013 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
वर्ष 2000 में जब झारखंड राज्य बना और भाजपा ने बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में पहली सरकार का गठन किया, तब अर्जुन मुंडा ने कैबिनेट में समाज कल्याण मंत्री के रूप में सेवा की थी। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कुछ उत्कृष्ट कार्य किये और कुछ जमीन के विवाद पर निर्णय लिया। 2003 में गैर-भाजपा विधायकों ने मरांडी के स्थान पर अर्जुन मुंडा जैसे सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को इस स्थान पर लेने के लिए सोचा, जो एक प्रतिष्ठित आदिवासी नेता थे।
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नरेन्द्र मोदी का कैबिनेट मंत्रिमण्डल
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