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*शशबिंदु बड़ा प्रतापी, धर्मनिष्ठ, ब्राह्मण भक्त और दानप्रिय राजा था। | *शशबिंदु बड़ा प्रतापी, धर्मनिष्ठ, ब्राह्मण भक्त और दानप्रिय राजा था। | ||
*शशबिंदु ने दस लाख [[यज्ञ]] करने का निश्चय किया। | *शशबिंदु ने दस लाख [[यज्ञ]] करने का निश्चय किया। | ||
*[[अश्वमेध यज्ञ]] करके उसने अपने सभी पुत्र ब्राह्मणों को दान में दे दिए थे। पुत्रों के साथ | *[[अश्वमेध यज्ञ]] करके उसने अपने सभी पुत्र [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को दान में दे दिए थे। | ||
*शशबिंदु ने पुत्रों के साथ सुंदरियां, अश्व-[[हाथी]], विपुल धन आदि भी दान में दिया।<ref>[[द्रोण पर्व महाभारत]] 65</ref> | |||
12:53, 9 सितम्बर 2011 का अवतरण
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- प्राचीन काल में राजा शशबिंदु के एक लाख स्त्रियां थी।
- शशबिंदु को प्रत्येक रानी से एक एक हजार पुत्र थे।
- शशबिंदु बड़ा प्रतापी, धर्मनिष्ठ, ब्राह्मण भक्त और दानप्रिय राजा था।
- शशबिंदु ने दस लाख यज्ञ करने का निश्चय किया।
- अश्वमेध यज्ञ करके उसने अपने सभी पुत्र ब्राह्मणों को दान में दे दिए थे।
- शशबिंदु ने पुत्रों के साथ सुंदरियां, अश्व-हाथी, विपुल धन आदि भी दान में दिया।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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