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'''विभु''' का उल्लेख [[हिन्दू]] पौराणिक [[महाकाव्य]] [[महाभारत]] में हुआ है। [[महाभारत द्रोणपर्व]] के अनुसार ये [[शकुनि]] के एक [[भाई]] का नाम था। महाभारत के युद्ध में महारथी शतचन्द्र के मारे जाने पर अमर्ष में भरे हुए शकुनि के वीर भाई [[गवाक्ष]], [[शरभ]], विभु, सुभग और [[भानुदत्त]] -ये पांच शूर महारथी [[भीमसेन]] पर टूट पड़े और उन्हें पैने बाणों द्वारा घायल करने लगे।<ref>महाभारत द्रोणपर्व 157.21-42</ref> | '''विभु''' का उल्लेख [[हिन्दू]] पौराणिक [[महाकाव्य]] [[महाभारत]] में हुआ है। [[महाभारत द्रोणपर्व]] के अनुसार ये [[शकुनि]] के एक [[भाई]] का नाम था। महाभारत के युद्ध में महारथी शतचन्द्र के मारे जाने पर अमर्ष में भरे हुए शकुनि के वीर भाई [[गवाक्ष]], [[शरभ]], विभु, सुभग और [[भानुदत्त]] -ये पांच शूर महारथी [[भीमसेन]] पर टूट पड़े और उन्हें पैने बाणों द्वारा घायल करने लगे।<ref>महाभारत द्रोणपर्व 157.21-42</ref> | ||
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विभु का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। महाभारत द्रोणपर्व के अनुसार ये शकुनि के एक भाई का नाम था। महाभारत के युद्ध में महारथी शतचन्द्र के मारे जाने पर अमर्ष में भरे हुए शकुनि के वीर भाई गवाक्ष, शरभ, विभु, सुभग और भानुदत्त -ये पांच शूर महारथी भीमसेन पर टूट पड़े और उन्हें पैने बाणों द्वारा घायल करने लगे।[1]
इन्हें भी देखें: शकुनि, भीमसेन, कौरव, पांडव एवं महाभारत
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 98 |
- ↑ महाभारत द्रोणपर्व 157.21-42
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