उर्स

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  • उर्स मुसलमानों के मतानुसार किसी फ़कीर, महात्मा, पीर आदि के मरने के दिन का कृत्य या उत्सव होता है।
  • इस दिन संबंधित फ़कीर या पीर की दरगाह की सफाई करके उसे सजाया जाता है और मुसलमान लोग नमाज़ पढ़ने के बाद उस पर चिराग जलाते या चादरें चढ़ाते हैं।
  • तत्पश्चात्‌ वहाँ संगीत[1] का कार्यक्रम रखा जाता है। भारत में अजमेर और पिरानकलियर के उर्स बहुत प्रसिद्ध हैं जहाँ देश भर के कव्वाल तथा गायक-गायिकाएँ आती हैं और अपने संगीत से उपस्थित जनसमुदाय का मनोरंजन करती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. क़व्वाली)

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