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'''सुहरावर्दिया''' रहस्यवादियों (सूफ़ियों) का एक मुस्लिम 'सिलसिला' (किसी बड़े महात्मा के शिष्यों का अनुक्रम) है, जो अपने आध्यात्मिक अनुशासन की कठोरता के लिए जाना जाता है। इसे [[बग़दाद]] में अबू नजीब अस्-सुहरावर्दी द्वारा स्थापित किया गया था और इसके बाद उनके भानजे उमर अस्-सुहरावर्दी ने इसे आगे बढ़ाया।
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'''सुहरावर्दिया''' रहस्यवादियों (सूफ़ियों) का एक [[मुस्लिम]] 'सिलसिला' (किसी बड़े महात्मा के शिष्यों का अनुक्रम) है, जो अपने आध्यात्मिक अनुशासन की कठोरता के लिए जाना जाता है। इसे [[बग़दाद]] में 'अबू नजीब अस्-सुहरावर्दी' द्वारा स्थापित किया गया था और इसके बाद उनके भानजे 'उमर अस्-सुहरावर्दी' ने इसे आगे बढ़ाया।
  
*सिलसिले की रस्मी प्रार्थनाएँ (ज़िक्र) से जुड़े ख़ुदा के सात नामों के हज़ारों जपों पर आधारित हैं।
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*सिलसिले की रस्मी प्रार्थनाओं (ज़िक्र) से जुड़े ख़ुदा के सात नाम हज़ारों जपों पर आधारित हैं।
 
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*मुख्य सिलसिला [[अफ़ग़ानिस्तान]] और भारतीय उपमहाद्वीप में केन्द्रित हो गया था।
 
*मुख्य सिलसिला [[अफ़ग़ानिस्तान]] और भारतीय उपमहाद्वीप में केन्द्रित हो गया था।

11:10, 17 नवम्बर 2011 का अवतरण

सुहरावर्दिया रहस्यवादियों (सूफ़ियों) का एक मुस्लिम 'सिलसिला' (किसी बड़े महात्मा के शिष्यों का अनुक्रम) है, जो अपने आध्यात्मिक अनुशासन की कठोरता के लिए जाना जाता है। इसे बग़दाद में 'अबू नजीब अस्-सुहरावर्दी' द्वारा स्थापित किया गया था और इसके बाद उनके भानजे 'उमर अस्-सुहरावर्दी' ने इसे आगे बढ़ाया।

  • सिलसिले की रस्मी प्रार्थनाओं (ज़िक्र) से जुड़े ख़ुदा के सात नाम हज़ारों जपों पर आधारित हैं।
  • ये सात सूक्ष्म आत्माओं (लताइफ़ सबा) और सात रोशनियों से संबद्ध है।
  • मुख्य सिलसिला अफ़ग़ानिस्तान और भारतीय उपमहाद्वीप में केन्द्रित हो गया था।
  • इस सिलसिले की अन्य शाखाएँ बाद में पश्चिम की ओर बढ़ीं।
  • ईरान में ‘उमर उल खल्वती’ द्वारा स्थापित परम्परावादी ख़ल्वतिया भी कठोरतापूर्वक अनुशासित था।
  • यह बाद में तुर्की और मिस्र से भी कई शाखाओं में बँट गया और फैला।
  • अरदाबिल, ईरान में सफ़उद्दीन द्वारा संगठित सफ़विया ने ईरानी सफ़वी वंश (1502-1736 ई.) और कई तुर्की शाखाओं को जन्म दिया, जो 16वीं सदी की शुरुआत में ऑटोमन शासकों के विरुद्ध सक्रिय थे।
  • अल्जीरियाई रहमानिया 18वीं सदी के दूसरे भाग में ख़ल्वतिया से विकसित हुआ, जब इसके संस्थापक ‘अब्द अर-रहमान अल-गुश्तुली’ खल्वती श्रद्धा का केन्द्र बन गए।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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