"पदार्थ तत्त्व निरूपणम": अवतरणों में अंतर
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*उन्होंने परमाणु और द्वयणुक की संकल्पना का खण्डन किया और पृथक्त्व, परत्व, अपरत्व और संख्या को गुण नहीं माना। | *उन्होंने परमाणु और द्वयणुक की संकल्पना का खण्डन किया और पृथक्त्व, परत्व, अपरत्व और संख्या को गुण नहीं माना। | ||
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13:21, 16 जून 2011 का अवतरण
रघुनाथ शिरोमणि रचित पदार्थ तत्त्व निरूपणम (पदार्थखण्डनम्)
- रघुनाथ शिरोमणि का जन्म सिलहर (आसाम) में हुआ था।
- विद्याभूषण के अनुसार इनका समय 1477-1557 ई. है।
- इनके पूर्वज मिथिला से आसाम में गये थे।
- इनके पिता का नाम गोविन्द चक्रवर्ती और माता का नाम सीता देवी था।
- गोविन्द चक्रवर्ती की अल्पायु में ही मृत्यु हो जाने के कारण इनकी माता ने बड़े कष्ट के साथ इनका पालन किया।
- यात्रियों के एक दल के साथ वह गंगास्नान करने के लिए नवद्वीप पहुँची।
- संयोगवश उसने वासुदेव सार्वभौम के घर पर आश्रय प्राप्त किया।
- वासुदेव से ही रघुनाथ को विद्या प्राप्त हुई।
- बाद में रघुनाथ ने मिथिला पहुँच कर पक्षधर मिश्र से न्याय का अध्ययन किया।
- रघुनाथ ने अनेक ग्रन्थों की रचना की—
- उदयन के आत्मतत्त्वविवेक और न्यायकुसुमांजलि पर टीका
- श्रीहर्ष के खण्डनखण्डखाद्य पर - दीधिति
- वल्लभ की न्यायलीलावती पर - दीधिति
- गंगेश की तत्त्वचिन्तामणि पर - दीधिति
- वर्धमान के किरणावलीप्रकाश पर - दीधिति
- रघुनाथ सभी विद्यास्थानों में दक्ष थे।
- उन्होंने अपनी शास्त्रार्थधौरेयता के संबन्ध में जो कथन किये, वे आज भी विद्ववर्ग में चर्चा के विषय बने रहते हैं।
- रघुनाथ द्वारा वैशेषिक दर्शन पर रचित पदार्थ तत्त्व निरूपण नामक ग्रन्थ पदार्थखण्डनम तथा पदार्थविवेचनम के अपर नामों से भी ख्याति है।
- रघुनाथ ने वैशेषिक के सात पदार्थों की समीक्षा की और विशेष के पदार्थत्व का खण्डन किया।
- इसी प्रकार उन्होंने नौ द्रव्यों के स्थान पर छ: द्रव्य माने। आकाश, काल और दिशा रघुनाथ की दृष्टि में तीन अलग-अलग द्रव्य नहीं, अपितु एक ही द्रव्य के तीन रूप हैं।
- उन्होंने परमाणु और द्वयणुक की संकल्पना का खण्डन किया और पृथक्त्व, परत्व, अपरत्व और संख्या को गुण नहीं माना।
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