"महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 16 श्लोक 18-22" के अवतरणों में अंतर

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<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">महाभारत: उद्योग पर्व: षोडश अध्याय: श्लोक 18-22 का हिन्दी अनुवाद</div>
 
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">महाभारत: उद्योग पर्व: षोडश अध्याय: श्लोक 18-22 का हिन्दी अनुवाद</div>
  
महेन्द्र आप शक्ति प्राप्त कीजिये और सम्पूर्ण लोकों की रक्षा कीजिये ।इस प्रकार स्तुति की जाने पर देवराज इन्द्र धीरे-धीरे बढ़ने लगे। अपने पूर्व शरीर को प्राप्त करके वे बल पराक्रम से सम्पन्न हो गये । तत्पश्चात इन्द्र ने वहाँ खडे़ हुए अपने गुरू बृहस्पति से कहा। ब्रह्मन् ! त्वष्टा का पुत्र विशालकाय महासुर वृत्र, जो सम्पूर्ण लोको का विनाश कर रहा था, मेरे द्वारा मार गया;अब आप लोगों का कौन सा वचा हुआ कार्य करूँ। बृहस्पति बोले-देवेन्द्र मनुष्य लोक का राजा नहुष देवर्षियों के प्रभाव से देवताओं का राज्य पा गया है, जो सब लोगों को बड़ा कष्ट दे रहा है।  
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महेन्द्र आप शक्ति प्राप्त कीजिये और सम्पूर्ण लोकों की रक्षा कीजिये ।इस प्रकार स्तुति की जाने पर देवराज इन्द्र धीरे-धीरे बढ़ने लगे। अपने पूर्व शरीर को प्राप्त करके वे बल पराक्रम से सम्पन्न हो गये । तत्पश्चात् इन्द्र ने वहाँ खडे़ हुए अपने गुरू बृहस्पति से कहा। ब्रह्मन् ! त्वष्टा का पुत्र विशालकाय महासुर वृत्र, जो सम्पूर्ण लोको का विनाश कर रहा था, मेरे द्वारा मार गया;अब आप लोगों का कौन सा वचा हुआ कार्य करूँ। बृहस्पति बोले-देवेन्द्र मनुष्य लोक का राजा नहुष देवर्षियों के प्रभाव से देवताओं का राज्य पा गया है, जो सब लोगों को बड़ा कष्ट दे रहा है।  
  
 
इन्द्र बोले-बृहस्पते ! नहुष देवताओं का दुलर्भ राज्य कैसे प्राप्त किया? वह किस तपस्या से संयुक्त है?  अथवा उसमें कितना बल और पराक्रम है? उसे किस प्रकार इन्द्रपद की प्राप्ति हुई है? ये सारी बाते आप लोग मुझे बताइये।  
 
इन्द्र बोले-बृहस्पते ! नहुष देवताओं का दुलर्भ राज्य कैसे प्राप्त किया? वह किस तपस्या से संयुक्त है?  अथवा उसमें कितना बल और पराक्रम है? उसे किस प्रकार इन्द्रपद की प्राप्ति हुई है? ये सारी बाते आप लोग मुझे बताइये।  

07:32, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

षोडश (16) अध्‍याय: उद्योग पर्व (सेनोद्योग पर्व)

महाभारत: उद्योग पर्व: षोडश अध्याय: श्लोक 18-22 का हिन्दी अनुवाद

महेन्द्र आप शक्ति प्राप्त कीजिये और सम्पूर्ण लोकों की रक्षा कीजिये ।इस प्रकार स्तुति की जाने पर देवराज इन्द्र धीरे-धीरे बढ़ने लगे। अपने पूर्व शरीर को प्राप्त करके वे बल पराक्रम से सम्पन्न हो गये । तत्पश्चात् इन्द्र ने वहाँ खडे़ हुए अपने गुरू बृहस्पति से कहा। ब्रह्मन् ! त्वष्टा का पुत्र विशालकाय महासुर वृत्र, जो सम्पूर्ण लोको का विनाश कर रहा था, मेरे द्वारा मार गया;अब आप लोगों का कौन सा वचा हुआ कार्य करूँ। बृहस्पति बोले-देवेन्द्र मनुष्य लोक का राजा नहुष देवर्षियों के प्रभाव से देवताओं का राज्य पा गया है, जो सब लोगों को बड़ा कष्ट दे रहा है।

इन्द्र बोले-बृहस्पते ! नहुष देवताओं का दुलर्भ राज्य कैसे प्राप्त किया? वह किस तपस्या से संयुक्त है? अथवा उसमें कितना बल और पराक्रम है? उसे किस प्रकार इन्द्रपद की प्राप्ति हुई है? ये सारी बाते आप लोग मुझे बताइये।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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