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[[गुजरात]] में [[जूनागढ़]] के निकट पर्वत का नाम गिरनार है। गिरनार की पहाड़ियों से पश्चिम और पूर्व दिशा में भादस, रोहजा, शतरूंजी और घेलो नदियां बहती हैं। इन पहाड़ियों पर मुख्यतः भील और डुबला लोगों का निवास है। एशियाई सिंहों के लिए विख्यात [[गिर वन राष्ट्रीय उद्यान]] इसी क्षेत्र में स्थित है। खंबलिया, धारी विसावदर, मेंदरदा और आदित्याणा यहाँ के प्रमुख नगर हैं।  
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*गिरनार की एक पहाड़ी की तलहटी में अशोक के शिलालेख (तीसरी शताब्दी ई.पू.) से युक्त एक चट्टान हैं।  
 
*गिरनार की एक पहाड़ी की तलहटी में अशोक के शिलालेख (तीसरी शताब्दी ई.पू.) से युक्त एक चट्टान हैं।  
 
*मौर्य शासक  चंद्रगुप्त (चौथी शताब्दी ई.पू. का उत्तरार्द्ध) द्वारा सुदर्शन नामक झील बनाए जाने का उल्लेख भी इसी शिलालेख में मिलता है।  
 
*मौर्य शासक  चंद्रगुप्त (चौथी शताब्दी ई.पू. का उत्तरार्द्ध) द्वारा सुदर्शन नामक झील बनाए जाने का उल्लेख भी इसी शिलालेख में मिलता है।  
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==तीर्थ स्थल==
 
==तीर्थ स्थल==
इन दोनों ऐतिहासिक अभिलेखों के अलावा गिरनार जैन मतावलम्बियों का पवित्र तीर्थ स्थान है। यहाँ मल्लिनाथ और नेमिनाथ के स्मारक बने हुए हैं। जैनों के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में प्रमुख 1118 मीटर ऊँचे गिरनार पर्वत पर संगमरमर से बने 16 मन्दिर विशेष रूप से दर्शनीय हैं। ऊपर तक पहुँचने के लिए दर्शकों को पत्थरों से तराशी गयी दस हज़ार सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। सबसे प्राचीन और विशाल मंदिर 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ का है, जिसका निर्माण 112वीं शताब्दी में हुआ था।  
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इन दोनों ऐतिहासिक अभिलेखों के अलावा गिरनार जैन मतावलम्बियों का पवित्र तीर्थ स्थान है। यहाँ [[मल्लिनाथ]] और [[नेमिनाथ]] के स्मारक बने हुए हैं। जैनों के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में प्रमुख 1118 मीटर ऊँचे गिरनार पर्वत पर संगमरमर से बने 16 मन्दिर विशेष रूप से दर्शनीय हैं। ऊपर तक पहुँचने के लिए दर्शकों को पत्थरों से तराशी गयी दस हज़ार सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। सबसे प्राचीन और विशाल मंदिर 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ का है, जिसका निर्माण 112वीं शताब्दी में हुआ था।  
;<u>किनाराम बाबा</u>
 
{{main|किनाराम बाबा}}
 
किनाराम की द्विरागमन के पूर्व ही पत्नी का देहान्त हो गया। उसके कुछ दिन बाद उदास होकर किनाराम घर से निकल गये और गाज़ीपुर ज़िले के कारो नामक गाँव के संयोजी वैष्णव महात्मा शिवादास कायस्थ की सेवा टहल में रहने लगे और कुछ दिनों के बाद उन्हीं के शिष्य हो गये। कुछ वर्ष गुरुसेवा करके उन्होंने गिरनार पर्वत की यात्रा की। वहाँ पर किनाराम ने भगवान दत्तात्रेय का दर्शन किया और उनसे अवधूत वृत्ति की शिक्षा लेकर उनकी आज्ञा से काशी लौटे।
 
 
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==कृषि और उद्योग==
 
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*गिर पर्वतश्रेणी पश्चिमी गुजरात की निम्न पर्वतश्रेणी, दक्षिणी [[काठियावाड़]] प्रायद्वीप के पश्चिमी-मध्य [[भारत]] में स्थित है।  
 
*गिर पर्वतश्रेणी पश्चिमी गुजरात की निम्न पर्वतश्रेणी, दक्षिणी [[काठियावाड़]] प्रायद्वीप के पश्चिमी-मध्य [[भारत]] में स्थित है।  
 
*गिर पर्वतश्रेणी अत्यधिक ऊबड़-खाबड़ है और दक्षिण में समुद्र की ओर तीखी ढलान तथा उत्तर में भीतरी भूमि की ओर अपेक्षाकृत कम निचली है। यहाँ से उत्तर दिशा में निचली, संकरी, विभक्त पर्वतश्रेणी फैली हुई है।  
 
*गिर पर्वतश्रेणी अत्यधिक ऊबड़-खाबड़ है और दक्षिण में समुद्र की ओर तीखी ढलान तथा उत्तर में भीतरी भूमि की ओर अपेक्षाकृत कम निचली है। यहाँ से उत्तर दिशा में निचली, संकरी, विभक्त पर्वतश्रेणी फैली हुई है।  
*विशाल गिरनार पहाड़ियों में गोरखनाथ शिखर (1,117 मीटर) स्थित है, जिसे एक मृत ज्वालामुखी माना जाता है। गिर पर्वतश्रेणी की एक पहाड़ी पर गिरनार का प्राचीन जैन मंदिर (ऐतिहासिक नाम रौवट या उलाड़थेट) होने के कारण इस पर्वतश्रेणी को पवित्र माना जाता है।  
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*यह मंदिर का प्रमुख तीर्थस्थल है। यह पर्वतश्रेणी साल और ढाक के वृक्षों से भरे जंगलों से ढकी हुई है।  
 
*यह मंदिर का प्रमुख तीर्थस्थल है। यह पर्वतश्रेणी साल और ढाक के वृक्षों से भरे जंगलों से ढकी हुई है।  
  
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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==संबंधित लेख==
 
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12:29, 5 जुलाई 2013 का अवतरण

गिरनार
गिरनार पर्वत
विवरण गिरनार की पहाड़ियों से पश्चिम और पूर्व दिशा में भादस, रोहजा, शतरूंजी और घेलो नदियां बहती हैं। इन पहाड़ियों पर मुख्यतः भील और डुबला लोगों का निवास है।
स्थान जूनागढ़, गुजरात, भारत
ऊँचाई 1,031 मी (3,383 फीट)
भौगोलिक निर्देशांक 21°29′41″ उत्तर, 70°30′20″ पूर्व
ऐतिहासिक उल्लेख यहाँ पर एक चट्टान पर मौर्य सम्राट अशोक का चतुर्दश शिलालेख अंकित है। उसी चट्टान के दूसरी ओर शक क्षत्रप रुद्रदामन का अभिलेख (150ई.) है, जिसमें मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के आदेश से वहाँ पर सुदर्शन झील के निर्माण का उल्लेख है।
तीर्थ स्थल गिरनार जैन मतावलम्बियों का पवित्र तीर्थ स्थान है। यहाँ मल्लिनाथ और नेमिनाथ के स्मारक बने हुए हैं।
गूगल मानचित्र गिरनार
अन्य जानकारी विशाल गिरनार पहाड़ियों में गोरखनाथ शिखर (1,117 मीटर) स्थित है, जिसे एक मृत ज्वालामुखी माना जाता है। गिर पर्वतश्रेणी की एक पहाड़ी पर गिरनार का प्राचीन जैन मंदिर (ऐतिहासिक नाम रौवट या उलाड़थेट) होने के कारण इस पर्वतश्रेणी को पवित्र माना जाता है।

गिरनार (अंग्रेज़ी: Girnar) गुजरात में जूनागढ़ के निकट एक पर्वत का नाम है। गिरनार की पहाड़ियों से पश्चिम और पूर्व दिशा में भादस, रोहजा, शतरूंजी और घेलो नदियां बहती हैं। इन पहाड़ियों पर मुख्यतः भील और डुबला लोगों का निवास है। एशियाई सिंहों के लिए विख्यात गिर वन राष्ट्रीय उद्यान इसी क्षेत्र में स्थित है। खंबलिया, धारी विसावदर, मेंदरदा और आदित्याणा यहाँ के प्रमुख नगर हैं।

इतिहास

यहाँ पर एक चट्टान पर मौर्य सम्राट अशोक का चतुर्दश शिलालेख अंकित है। उसी चट्टान के दूसरी ओर शक क्षत्रप रुद्रदामन का अभिलेख (150ई.) है, जिसमें मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के आदेश से वहाँ पर सुदर्शन झील के निर्माण का उल्लेख है। रुद्रदामन के जूनागढ़ लेख से ज्ञात होता है कि सम्राट अशोक के समय तुशाष्प नामक अधीनस्थ यवन राज्यपाल के रूप में सौराष्ट्र पर शासन करता था।

  • गिरनार की एक पहाड़ी की तलहटी में अशोक के शिलालेख (तीसरी शताब्दी ई.पू.) से युक्त एक चट्टान हैं।
  • मौर्य शासक चंद्रगुप्त (चौथी शताब्दी ई.पू. का उत्तरार्द्ध) द्वारा सुदर्शन नामक झील बनाए जाने का उल्लेख भी इसी शिलालेख में मिलता है।

इन दो महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रमाणों के आस-पास की पहाड़ियों पर सोलंकी वंश (961-1242) के राजाओं द्वारा बनवाए गए कई जैन मंदिर स्थित हैं।

तीर्थ स्थल

इन दोनों ऐतिहासिक अभिलेखों के अलावा गिरनार जैन मतावलम्बियों का पवित्र तीर्थ स्थान है। यहाँ मल्लिनाथ और नेमिनाथ के स्मारक बने हुए हैं। जैनों के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में प्रमुख 1118 मीटर ऊँचे गिरनार पर्वत पर संगमरमर से बने 16 मन्दिर विशेष रूप से दर्शनीय हैं। ऊपर तक पहुँचने के लिए दर्शकों को पत्थरों से तराशी गयी दस हज़ार सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। सबसे प्राचीन और विशाल मंदिर 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ का है, जिसका निर्माण 112वीं शताब्दी में हुआ था।

गिरनार, गुजरात

कृषि और उद्योग

विरल आबादी वाले इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में जीविका के लिए की जाने वाली कृषि की प्रधानता है; यहाँ की फ़सलों में अनाज, मूँगफली और कपास शामिल है। बड़े पैमाने पर कुछ उद्योग हैं, जिनमें वस्त्र तथा लोहे व इस्पात के फ़र्नीचर का निर्माण होता है। कुटीर उद्योगों में बढ़ईगिरि, लकड़ी पर नक़्क़ाशी, पीतल के बर्तनों पर वार्निश का काम, कढ़ाई (काठियावाड़ी नमूनों के रूप में विख्यात) और ऊन की बुनाई शामिल है।

गिर पर्वतश्रेणी

  • गिर पर्वतश्रेणी पश्चिमी गुजरात की निम्न पर्वतश्रेणी, दक्षिणी काठियावाड़ प्रायद्वीप के पश्चिमी-मध्य भारत में स्थित है।
  • गिर पर्वतश्रेणी अत्यधिक ऊबड़-खाबड़ है और दक्षिण में समुद्र की ओर तीखी ढलान तथा उत्तर में भीतरी भूमि की ओर अपेक्षाकृत कम निचली है। यहाँ से उत्तर दिशा में निचली, संकरी, विभक्त पर्वतश्रेणी फैली हुई है।
  • विशाल गिरनार पहाड़ियों में गोरखनाथ शिखर (1,117 मीटर) स्थित है, जिसे एक मृत ज्वालामुखी माना जाता है। गिर पर्वतश्रेणी की एक पहाड़ी पर गिरनार का प्राचीन जैन मंदिर (ऐतिहासिक नाम रौवट या उलाड़थेट) होने के कारण इस पर्वतश्रेणी को पवित्र माना जाता है।
  • यह मंदिर का प्रमुख तीर्थस्थल है। यह पर्वतश्रेणी साल और ढाक के वृक्षों से भरे जंगलों से ढकी हुई है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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